सातवीं वाणी: जिसे यीशु ने क्रूस पर कही ।
लुक 23:46 और यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा; हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं ।
यीशु ने पुकार कर क्यों कहा ? क्या हमारा पिता धीरे बोलने से नहीं सुनता ? हमारा पिता यदि हम मन में भी दुआ करें, तौभी वह हमारी प्रार्थना को सुनने की सामर्थ रखता है, तो फिर यीशु ने बड़े जोर से पुकार कर क्यों कहा है? हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सोता हूं । इस पृथ्वी पर तीन प्रकार के लोग रहते हैं ।
1. नास्तिक : जो परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते; जैसे आतंकवादी और नक्सलवादी
2 शारीरिक लोग : वे शरीर की आवश्यकता की पूर्ति के लिए ही परमेश्वर के करीब आते हैं ,पापों से उद्धार की चाहत उनमें नहीं होती ।
3. आत्मिक लोग: ये वे लोग हैं जो पापों से उद्धार पाने की लालसा से प्रभु यीशु के पास आते हैं ।
जिन्होंने यीशु को क्रूस पर चढ़वाया था । वे सभी शारीरिक लोग थे । जिन्हें पापों से उद्धार पाने की लालसा नहीं थी ।उनके लिए शरीर और संसार की वस्तुएं ही सब कुछ थी । वे पाप में जीवन बिता रहे थे । जिसके कारण वे प्रभु यीशु के द्वारा किए गए सामर्थ के कामों को नकार रहे थे । प्रभु यीशु ने बीमारों को चंगा किया, कोड़ियों को शुद्ध किया ,उन्होंने दुष्टआत्मा को निकाला ,यहां तक कि 4 दिन के मरे हुए लाजर को मुर्दो में से जीवित किया । जब यीशु ने लाजर को जीवित किया , तब बहुत से यहूदी यीशु की ओर फिर गए ,तब शास्त्री और फरीसियों, महायाजकों ने लाजर को ही खत्म कर देने की साजिश की । ताकि लोग यीशु की ओर ना फिरे । वे समझ रहे थे, कि यीशु इस जगत का राजा बन जाएगा । वे लोग प्रभु यीशु को परमेश्वर का पुत्र नहीं मानते थे । जबकि प्रभु यीशु अपने वचन में कहते हैं :
यूहन्ना 11:25 ,26 यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है, वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा ।
यूहन्ना 10:15 इसी तरह मैं अपनी भेड़ों को जानता हूं, और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं, और मैं भेड़ों के लिये अपना प्राण देता हूं।
यूहन्ना 10:17,18 पिता इसलिये मुझ से प्रेम रखता है, कि मैं अपना प्राण देता हूं, कि उसे फिर ले लूं । कोई उसे मुझ से छीनता नहीं, वरन मैं उसे आप ही देता हूं: मुझे उसके देने का अधिकार है, और उसे फिर लेने का भी अधिकार है: यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है॥
उपरोक्त वचनों के द्वारा प्रभु यीशु ने यह प्रगट कर दिया था, कि मैं भेड़ों के लिए अपना प्राण देता हूं, मुझे प्राण देने का भी अधिकार है ,और उसे फिर लेने का भी अधिकार है । लेकिन जिन यहूदियों ने यीशु को क्रूस पर लटकवाया था, वे प्रभु यीशु के किसी वचनों पर और कामों पर विश्वास नहीं कर रहे थे । जिसके कारण भीड़ को सुनाते हुए यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा : हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौपता हूं ,और यह कहकर प्राण छोड़ दिए। बाइबल धर्मशास्त्र बताती है; जैसे ही यीशु ने प्राण त्यागा मंदिर का पर्दा फटकर दो भागों में विभाजित हो गया ।
मत्ती 27:51-54 और देखो मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया: और धरती डोल गई और चटानें तड़क गईं। और कब्रें खुल गईं; और सोए हुए पवित्र लोगों की बहुत लोथें जी उठीं। और उसके जी उठने के बाद वे कब्रों में से निकलकर पवित्र नगर में गए, और बहुतों को दिखाई दिए। तब सूबेदार और जो उसके साथ यीशु का पहरा दे रहे थे, भुईंडोल और जो कुछ हुआ था, देखकर अत्यन्त डर गए, और कहा, सचमुच “यह परमेश्वर का पुत्र था”।
उपरोक्त वचनों से यह स्पष्ट होता है ,कि यीशु सचमुच में परमेश्वर का पुत्र है,और इस पृथ्वी पर हम मनुष्य जाति को हमारे पापों से उद्धार देने के लिए क्रूस पर बलिदान हुए ।यीशु हम मनुष्यों से बहुत अधिक प्यार करते हैं ,वे नहीं चाहते कि हम पाप करते हुए मर के नरक में डाले जाए ,और अनंत काल तक पीड़ा में तड़पते रहे । इसलिए जोर से पुकार कर कहा है, हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सोचता हूं ,और यह कहकर प्राण को छोड़ दिए ।ताकि लोग जान सके कि वह परमेश्वर का पुत्र और उद्धार करता है । फिर उसे कबर में रखा गया , यीशु अपने वचन के अनुसार तीसरे दिन मुर्दो में से जी उठे । 40 दिन लोगों को दिखाई दिए । अपने चेलों से बातचीत की ।फिर सबके देखते स्वर्ग पर चढ़ गए । यीशु आज भी जीवित है ।
परमेश्वर हमसे बहुत अधिक प्यार करते हैं बाइबल हमें बताती है :
यहेजकेल 33:11" सो तू उन से यह कह, परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न नहीं होता, परन्तु इस से कि दुष्ट अपने मार्ग से फिर कर जीवित रहे; हे इस्राएल के घराने, तुम अपने अपने बुरे मार्ग से फिर जाओ; तुम क्यों मरो? "
हा प्रियो, परमेश्वर नही चाहता कि हम नाश हो, नही चाहता कि हम उसके क्रोध का सामना करे । परमेशर हमारे लिए दुखी है । लेकिन वह न्यायी ओर पवित्र परमेशवर है , हम उसकी पवित्र के सामने खड़े नही हो सकते , पापी उसकी निकटता में भस्म हो जाते है , इसलिए परमेश्वर बार बार पापों से मन फिरने के लिए अपने दास, भवियवक्ताओ द्वारा कहता है । परमेश्वर यिर्मयाह भविष्यवक्ता के द्वारा अपने प्रेम को प्रगट करते हुए कहते है :
यिर्मयाह 9:1 भला होता, कि मेरा सिर जल ही जल, और मेरी आंखें आँसुओं का सोता होतीं, कि मैं रात दिन अपने मारे हुए लोगों के लिये रोता रहता।
प्रियो, जैसा परमेश्वर हम से प्यार करते है, वैसे ही प्रभु यीशु भी हम मनुष्यों से प्यार करते है । बाइबिल धर्मशास्त्र में यीशु के प्रेम के लिए भविष्यवाणी की है :
विलापगीत 3:48-50 मेरी आंखों से मेरी प्रजा की पुत्री के विनाश के कारण जल की धाराएं बह रही है। मेरी आंख से लगातार आंसू बहते रहेंगे, जब तक यहोवा स्वर्ग से मेरी ओर न देखे; । विलापगीत 3:48-59 तक पढ़े ।
प्रियों ,यीशु का क्रूस पर बलिदान , प्यार किसी के लिये व्यर्थ न जाने पाए । तो आओ अपने अपने पापों को यीशु के आगे काबुल करे । पापों की माफी के लिए सच्चे मन से गिड़गिड़ा कर यीशु मसीह से प्रार्थना करे । प्रभु यीशु आप सभी को जरूर माफ़ करेंगे । फिर पाप कर अपने आप को अशुद्ध न करे , तब जब यीशु अपने चुने लोगों को लेने आएंगे, तो आप भी यीशु के साथ स्वर्ग में जा सकोगें । परमेश्वर इस वचन के द्वारा आप सभों को बहुतायत की आत्मिक आशीष को दे । अमीन
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लुक 23:46 और यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा; हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं ।
यीशु ने पुकार कर क्यों कहा ? क्या हमारा पिता धीरे बोलने से नहीं सुनता ? हमारा पिता यदि हम मन में भी दुआ करें, तौभी वह हमारी प्रार्थना को सुनने की सामर्थ रखता है, तो फिर यीशु ने बड़े जोर से पुकार कर क्यों कहा है? हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सोता हूं । इस पृथ्वी पर तीन प्रकार के लोग रहते हैं ।
1. नास्तिक : जो परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते; जैसे आतंकवादी और नक्सलवादी
2 शारीरिक लोग : वे शरीर की आवश्यकता की पूर्ति के लिए ही परमेश्वर के करीब आते हैं ,पापों से उद्धार की चाहत उनमें नहीं होती ।
3. आत्मिक लोग: ये वे लोग हैं जो पापों से उद्धार पाने की लालसा से प्रभु यीशु के पास आते हैं ।
जिन्होंने यीशु को क्रूस पर चढ़वाया था । वे सभी शारीरिक लोग थे । जिन्हें पापों से उद्धार पाने की लालसा नहीं थी ।उनके लिए शरीर और संसार की वस्तुएं ही सब कुछ थी । वे पाप में जीवन बिता रहे थे । जिसके कारण वे प्रभु यीशु के द्वारा किए गए सामर्थ के कामों को नकार रहे थे । प्रभु यीशु ने बीमारों को चंगा किया, कोड़ियों को शुद्ध किया ,उन्होंने दुष्टआत्मा को निकाला ,यहां तक कि 4 दिन के मरे हुए लाजर को मुर्दो में से जीवित किया । जब यीशु ने लाजर को जीवित किया , तब बहुत से यहूदी यीशु की ओर फिर गए ,तब शास्त्री और फरीसियों, महायाजकों ने लाजर को ही खत्म कर देने की साजिश की । ताकि लोग यीशु की ओर ना फिरे । वे समझ रहे थे, कि यीशु इस जगत का राजा बन जाएगा । वे लोग प्रभु यीशु को परमेश्वर का पुत्र नहीं मानते थे । जबकि प्रभु यीशु अपने वचन में कहते हैं :
यूहन्ना 11:25 ,26 यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है, वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा ।
यूहन्ना 10:15 इसी तरह मैं अपनी भेड़ों को जानता हूं, और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं, और मैं भेड़ों के लिये अपना प्राण देता हूं।
यूहन्ना 10:17,18 पिता इसलिये मुझ से प्रेम रखता है, कि मैं अपना प्राण देता हूं, कि उसे फिर ले लूं । कोई उसे मुझ से छीनता नहीं, वरन मैं उसे आप ही देता हूं: मुझे उसके देने का अधिकार है, और उसे फिर लेने का भी अधिकार है: यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है॥
उपरोक्त वचनों के द्वारा प्रभु यीशु ने यह प्रगट कर दिया था, कि मैं भेड़ों के लिए अपना प्राण देता हूं, मुझे प्राण देने का भी अधिकार है ,और उसे फिर लेने का भी अधिकार है । लेकिन जिन यहूदियों ने यीशु को क्रूस पर लटकवाया था, वे प्रभु यीशु के किसी वचनों पर और कामों पर विश्वास नहीं कर रहे थे । जिसके कारण भीड़ को सुनाते हुए यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा : हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौपता हूं ,और यह कहकर प्राण छोड़ दिए। बाइबल धर्मशास्त्र बताती है; जैसे ही यीशु ने प्राण त्यागा मंदिर का पर्दा फटकर दो भागों में विभाजित हो गया ।
मत्ती 27:51-54 और देखो मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया: और धरती डोल गई और चटानें तड़क गईं। और कब्रें खुल गईं; और सोए हुए पवित्र लोगों की बहुत लोथें जी उठीं। और उसके जी उठने के बाद वे कब्रों में से निकलकर पवित्र नगर में गए, और बहुतों को दिखाई दिए। तब सूबेदार और जो उसके साथ यीशु का पहरा दे रहे थे, भुईंडोल और जो कुछ हुआ था, देखकर अत्यन्त डर गए, और कहा, सचमुच “यह परमेश्वर का पुत्र था”।
उपरोक्त वचनों से यह स्पष्ट होता है ,कि यीशु सचमुच में परमेश्वर का पुत्र है,और इस पृथ्वी पर हम मनुष्य जाति को हमारे पापों से उद्धार देने के लिए क्रूस पर बलिदान हुए ।यीशु हम मनुष्यों से बहुत अधिक प्यार करते हैं ,वे नहीं चाहते कि हम पाप करते हुए मर के नरक में डाले जाए ,और अनंत काल तक पीड़ा में तड़पते रहे । इसलिए जोर से पुकार कर कहा है, हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सोचता हूं ,और यह कहकर प्राण को छोड़ दिए ।ताकि लोग जान सके कि वह परमेश्वर का पुत्र और उद्धार करता है । फिर उसे कबर में रखा गया , यीशु अपने वचन के अनुसार तीसरे दिन मुर्दो में से जी उठे । 40 दिन लोगों को दिखाई दिए । अपने चेलों से बातचीत की ।फिर सबके देखते स्वर्ग पर चढ़ गए । यीशु आज भी जीवित है ।
परमेश्वर हमसे बहुत अधिक प्यार करते हैं बाइबल हमें बताती है :
यहेजकेल 33:11" सो तू उन से यह कह, परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न नहीं होता, परन्तु इस से कि दुष्ट अपने मार्ग से फिर कर जीवित रहे; हे इस्राएल के घराने, तुम अपने अपने बुरे मार्ग से फिर जाओ; तुम क्यों मरो? "
हा प्रियो, परमेश्वर नही चाहता कि हम नाश हो, नही चाहता कि हम उसके क्रोध का सामना करे । परमेशर हमारे लिए दुखी है । लेकिन वह न्यायी ओर पवित्र परमेशवर है , हम उसकी पवित्र के सामने खड़े नही हो सकते , पापी उसकी निकटता में भस्म हो जाते है , इसलिए परमेश्वर बार बार पापों से मन फिरने के लिए अपने दास, भवियवक्ताओ द्वारा कहता है । परमेश्वर यिर्मयाह भविष्यवक्ता के द्वारा अपने प्रेम को प्रगट करते हुए कहते है :
यिर्मयाह 9:1 भला होता, कि मेरा सिर जल ही जल, और मेरी आंखें आँसुओं का सोता होतीं, कि मैं रात दिन अपने मारे हुए लोगों के लिये रोता रहता।
प्रियो, जैसा परमेश्वर हम से प्यार करते है, वैसे ही प्रभु यीशु भी हम मनुष्यों से प्यार करते है । बाइबिल धर्मशास्त्र में यीशु के प्रेम के लिए भविष्यवाणी की है :
विलापगीत 3:48-50 मेरी आंखों से मेरी प्रजा की पुत्री के विनाश के कारण जल की धाराएं बह रही है। मेरी आंख से लगातार आंसू बहते रहेंगे, जब तक यहोवा स्वर्ग से मेरी ओर न देखे; । विलापगीत 3:48-59 तक पढ़े ।
प्रियों ,यीशु का क्रूस पर बलिदान , प्यार किसी के लिये व्यर्थ न जाने पाए । तो आओ अपने अपने पापों को यीशु के आगे काबुल करे । पापों की माफी के लिए सच्चे मन से गिड़गिड़ा कर यीशु मसीह से प्रार्थना करे । प्रभु यीशु आप सभी को जरूर माफ़ करेंगे । फिर पाप कर अपने आप को अशुद्ध न करे , तब जब यीशु अपने चुने लोगों को लेने आएंगे, तो आप भी यीशु के साथ स्वर्ग में जा सकोगें । परमेश्वर इस वचन के द्वारा आप सभों को बहुतायत की आत्मिक आशीष को दे । अमीन
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