अय्यूब अध्याय 3 - सम्पूर्ण वचन और व्याख्या (Job Chapter 3 in Hindi)
अय्यूब 3:1
इसके बाद अय्यूब ने अपना मुंह खोला, और अपने जन्म के दिन को कोसा।
व्याख्या: अय्यूब की पीड़ा इतनी बढ़ गई थी कि वह अपने ही जन्म को शाप देने लगा। यह उस गहरे मानसिक और आत्मिक संकट का प्रतीक है जिसमें मनुष्य अपनी उपस्थिति पर ही प्रश्न उठाने लगता है।
अय्यूब 3:2
और अय्यूब ने कहा,
व्याख्या: अब अय्यूब अपने दिल की गहराइयों से वह कहने को तैयार है जो उसके भीतर लंबे समय से दबा था। यह उसके दुःख की अभिव्यक्ति की शुरुआत है।
अय्यूब 3:3
क्या दिन था जिस दिन मैं उत्पन्न हुआ? और क्या रात थी जिस दिन कहा गया, "तू गर्भ में पड़ा है?"
व्याख्या: अय्यूब अब अपने जन्म पर प्रश्न उठाता है। वह चाहता है कि वह कभी न पैदा होता, क्योंकि उसके लिए यह जीवन बहुत दुःख और पीड़ा का कारण बन चुका है।
अय्यूब 3:4
वह दिन अंधकारमय हो, परमेश्वर से उपेक्षित हो, और ऊँचाई से कोई ज्योति न चमके।
व्याख्या: अय्यूब चाहता है कि वह दिन अंधकार में डूब जाए, जैसे वह कभी अस्तित्व में नहीं था। वह परमेश्वर से ही उपेक्षा का अनुभव कर रहा है।
अय्यूब 3:5
उस दिन अंधकार और घना अंधकार हो, उसे घेरने वाली घटाएँ उसे ढक लें, और उस पर भय के बवंडर उच्छल जाएं।
व्याख्या: अय्यूब चाहता है कि उस दिन पर सभी बुराइयाँ और घने अंधकार का राज हो, जिससे कोई प्रकाश न दिखाई दे। यह उसकी निराशा की पराकाष्ठा है।
अय्यूब 3:6
उस रात को काली रात समझा जाए, उसे उसमें कोई खुशी न हो, न ही वह किसी समय के दिनों में गणना में आए।
व्याख्या: वह रात और दिन दोनों के बीच खोया हुआ महसूस करता है। वह चाहता है कि वह रात कभी अस्तित्व में न आए, जैसे उसकी पीड़ा का कोई अंत न हो।
अय्यूब 3:7
उस रात को बियाबान की तरह हो, न उसमें कोई ध्वनि हो, न कोई आनंद का दिन आए।
व्याख्या: अय्यूब के लिए वह रात पूरी तरह निराशाजनक है, जिसमें न कोई आशा है, न कोई खुशहाली। वह बियाबान में अकेला और खोया हुआ महसूस करता है।
अय्यूब 3:8
जो समुद्र को जागृत करते हैं, और उसके गर्भ में हलचल मचाते हैं, क्या उन्हें शाप न दिया जाए?
व्याख्या: अय्यूब समुद्र के उथल-पुथल को एक उपमा के रूप में प्रस्तुत करता है, वह चाहता है कि जैसे समुद्र में हलचल मचाने वाले शापित होते हैं, वैसे ही उसके जन्म के दिन को भी शापित किया जाए।
अय्यूब 3:9
उस दिन के तारे अंधकारमय हो जाएं, और वे परमेश्वर के प्रकाश का आलंबन न बनें।
व्याख्या: अय्यूब चाहता है कि उस दिन का हर रूप अंधकार में डूब जाए, जिसमें कोई आशा या प्रकाश न दिखाई दे।
अय्यूब 3:10
क्योंकि वह मेरे जन्म को नित्य कुपित करता है, और मुझे निरर्थक जन्म देने के लिए परमेश्वर ने मेरी स्त्री के गर्भ में मुझे स्थान दिया।
व्याख्या: अय्यूब अपने जन्म को निरर्थक मानता है, और यह महसूस करता है कि परमेश्वर ने उसे जन्म देने में कोई उद्देश्य नहीं रखा।
अय्यूब 3:11
क्यों मैं मरकर जन्मा नहीं, या मेरे मुँह से ही मृत्यु क्यों नहीं आई?
व्याख्या: अय्यूब मौत की कामना करता है, वह मानता है कि मृत्यु उसे शांति दे सकती है।
अय्यूब 3:12
क्या जब मैं पैदा हुआ था, मेरी माँ ने मुझे क्यों रखा? या मेरे पिताजी ने मुझे क्यों अपनाया?
व्याख्या: अय्यूब अपने माता-पिता से सवाल करता है कि क्यों उन्हें जन्म दिया, जबकि वह जीवन में इतनी पीड़ा सह रहा है।
अय्यूब 3:13
यदि मैं मर जाता, तो विश्राम प्राप्त करता, और शांति पाता,
व्याख्या: अय्यूब मृत्यु को विश्राम और शांति का स्रोत मानता है। वह अब जीने की तुलना में मरने को बेहतर मानता है।
अय्यूब 3:14
जो लोग दुष्ट थे, वे वहाँ विश्राम करते हैं; और वहाँ रक्षक और नियंत्रक नहीं होते।
व्याख्या: अय्यूब यह मानता है कि मृत्यु में सभी भेद मिट जाते हैं, चाहे व्यक्ति दुष्ट हो या नहीं।
अय्यूब 3:15
मैं तो वहाँ राजा और प्रधानों के साथ रहता, जो सोने का महल बनाते थे, और चांदी के घर में रहते थे।
व्याख्या: वह मृत्यु को एक ऐसा स्थान मानता है, जहाँ सभी समान होते हैं, और यहाँ तक कि राजा और गरीब भी एक जैसे रहते हैं।
अय्यूब 3:16
क्योंकि वहाँ गरीब और उधारकर्ता समान हैं, और दास मुक्त हो जाता है अपने मालिक से।
व्याख्या: मृत्यु में सामाजिक भेदभाव समाप्त हो जाता है। गरीब और उधारकर्ता, दास और मालिक सभी समान हो जाते हैं। यह मनुष्य के जीवन की अस्थायी सत्ता की याद दिलाता है।
अय्यूब 3:17
वहाँ पथभ्रष्ट और पथहीन लोग एक साथ विश्राम करते हैं।
व्याख्या: मृत्यु में हर प्रकार के लोग, चाहे वे सही मार्ग पर हों या भटक गए हों, सबको समान विश्राम मिलता है। यह मृत्यु की समानता दर्शाता है।
अय्यूब 3:18
जहाँ चीर और अँधकार है, और जहाँ प्रकाश है अंधकार से छुटकारा नहीं पाता।
व्याख्या: यहाँ अय्यूब मृत्यु के उस रहस्य को व्यक्त करता है जहाँ ना तो पूरी तरह उजाला है और ना अंधकार। यह उस अवस्था की व्याख्या है जहाँ जीवन के परिचित अनुभव समाप्त हो जाते हैं।
अय्यूब 3:19
वहाँ घोड़े और उसके सवार दोनों एक साथ रहते हैं।
व्याख्या: मृत्यु सभी वर्गों और पदों के बीच भेद मिटा देती है — चाहे वह घोड़ा हो या उसका सवार, दोनों को समान अवस्था में रखा जाता है।
अय्यूब 3:20
जहाँ दुष्ट और निर्मल दोनों हैं, और जहां दुष्ट और जो दूसरों को घायल करते हैं, एक साथ रहते हैं।
व्याख्या: यहाँ भी मृत्यु के समानता के सिद्धांत को दोहराया गया है जहाँ सभी, चाहे वे अच्छे हों या बुरे, एक समान रूप से विश्राम करते हैं।
अय्यूब 3:21
मैं सोचता हूँ, और मेरा मन कहता है,
व्याख्या: अय्यूब अपने भीतर गहरे विचारों में डूब जाता है और अपने मन की बात सुनता है, जो उसे मृत्युपरक विचारों की ओर ले जाता है।
अय्यूब 3:22
क्योंकि मृत्यु से बचा हुआ व्यक्ति है? मृत्यु की घाटी से कौन लौटता है?
व्याख्या: अय्यूब यह प्रश्न पूछता है कि मृत्यु से कोई वापस नहीं आता, जो जीवन के अस्थायी और नश्वर स्वभाव को दर्शाता है।
अय्यूब 3:23
मैं तो यहूदी का जीवन मार्ग देखता हूँ, और रात और दिन के बीच घूमता रहता हूँ।
व्याख्या: अय्यूब जीवन की निरंतर संघर्षमय स्थिति को दर्शाता है, जहाँ वह जीवन के मार्ग पर दिन-रात यात्रा करता है, परंतु शांति नहीं पाता।
अय्यूब 3:24
जब मैं कहता हूँ, मेरी शक्ति है, और मेरी आत्मा परमेश्वर की कृपा से जीवित है;
व्याख्या: यहाँ अय्यूब जीवन में बची हुई अपनी ताकत और परमेश्वर की कृपा को महसूस करता है, जो उसे जीने की हिम्मत देती है।
अय्यूब 3:25
तो मैं अपने दुखों से घबरा जाता हूँ, और याद करता हूँ कि मैं कैसे उसके सामने गया।
व्याख्या: अय्यूब अपनी पीड़ा में भयभीत होता है, लेकिन परमेश्वर के सामने आने की याद उसे संतोष भी देती है।
अय्यूब 3:26
जहाँ भी मैं चलता हूँ, मुझे अपनी ओर उसकी दृष्टि प्राप्त होती है।
व्याख्या: अय्यूब यह स्वीकार करता है कि परमेश्वर उसकी हर गतिविधि पर नज़र रखते हैं, चाहे वह कहीं भी हो। यह परमेश्वर की सर्वव्यापकता और देखभाल का संकेत है।
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