Thursday, 2 April 2020

छठवीं वाणी: यीशु ने वह सिरका लिया तो कहा पूरा हुआ और सिर झुका कर प्राण त्याग दिए ।

छठवीं वाणी: जिसे यीशु ने क्रूस पर कही ।

प्रभु यीशु ने क्रूस पर कुल 7 वाणी को कहा । जिसमें से यह छठवी वाणी  है :
यूहन्ना 19:30" जब यीशु ने वह सिरका लिया तो कहा ," पूरा हुआ " और सिर झुका कर प्राण त्याग दिए ।"

प्रभु यीशु किस काम को पूरा करने आए थे ? प्रभु यीशु अपने वचन में कहते हैं ।

मत्ती 5:17,18  यह न समझो कि में व्यवस्था या भविष्यवक्ताओं की पुस्तक को लोप करने आया हूं लोप करने नहीं परंतु पूरा करने आया हूं । " बाइबिल इस बात को प्रकट करती है :
रोमियो 5:12 इसलिए जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति मृत्यु (नरक का दंड)  सब मनुष्यों में फैल गयी , इसलिए कि सबने पाप किया ।"

बाइबल धर्म शास्त्र  यह प्रगट करता है, कि पाप के कारण हम सब नरक के दंड के योग्य थे, क्योंकि परमेश्वर अति पवित्र है, उस की पवित्र के सामने पापी मनुष्य ठहर नही सकते । तुरंत ही भस्म हो जाते ,और हम पापी , लेकिन परमेश्वर हम मनुष्यों से प्यार करते है । इसलिए नहीं चाहता कि कोई प्राणी नरक में डाला जाए । इसलिए परमेश्वर ने अपनी चुनी हुई जाति को पवित्र करने के लिए अपने दास मूसा नबी के द्वारा पापी मनुष्य को शुद्ध होने की व्यवस्था ठहराई । परमेश्वर ने मूसा नबी से कहा, एक मंदिर बनाओ और उस मंदिर में तीन भाग बनाए जाए, प्रथम भाग महापवित्र स्थान, दूसरा भाग उसी से लगा पवित्रस्थान बनाना । महापवित्र स्थान और पवित्रस्थान के बीच एक पर्दा लगाना, ताकि वह दो भागों में विभाजित रहे । महापवित्र स्थान में कोई आने जाने ना पाए । मैं वहां उपस्थित रहा करूंगा । यदि कोई अपवित्र, पापी जान वहां मेरी उपस्थिति में आए , तो मेरी पवित्रता में भस्म हो जाएगा ।अतः जिसे मैं पवित्र ठहराउ , वही याजक का काम करें । तीसरा भाग साधारण लोगों के बैठने के लिए बनाना। फिर परमेश्वर ने मूसा नबी से कहा ; मैं जिसे याजक होने को पवित्र ठहराउ , वही याचक का काम करें । याजक में कोई दोष ना हो ।याजक अपने आप को दोषमुक्त करें । वही याजक महापवित्र स्थान में प्रवेश करने पाए । तब परमेश्वर ने मूसा नबी से कहा ;

लैव्यव. 4:13-20 और यदि इस्त्राएल की सारी मण्डली अज्ञानता के कारण पाप करे और वह बात मण्डली की आंखों से छिपी हो, और वे यहोवा की किसी आज्ञा के विरुद्ध कुछ करके दोषी ठहरें हों;  तो जब उनका किया हुआ पाप प्रगट हो जाए तब मण्डली एक बछड़े को पापबलि करके चढ़ाए। वह उसे मिलापवाले तम्बू के आगे ले जाए, और मण्डली के वृद्ध लोग अपने अपने हाथों को यहोवा के आगे बछड़े के सिर पर रखें, और वह बछड़ा यहोवा के साम्हने बलि किया जाए। और अभिषिक्त याजक बछड़े के लोहू में से कुछ मिलापवाले तम्बू में ले जाए; और याजक अपनी उंगली लोहू में डुबो डुबोकर उसे बीच वाले पर्दे के आगे सात बार यहोवा के साम्हने छिड़के। और उसी लोहू में से वेदी के सींगों पर जो यहोवा के आगे मिलापवाले तम्बू में है लगाए; और बचा हुआ सब लोहू होमबलि की वेदी के पाए पर जो मिलापवाले तम्बू के द्वार पर है उंडेल दे। और वह बछड़े की कुल चरबी निकाल कर वेदी पर जलाए। और जैसे पापबलि के बछड़े से किया था वैसे ही इस से भी करे; इस भांति याजक इस्त्राएलियों के लिये प्रायश्चित्त करे, तब उनका पाप क्षमा किया जाएगा। "

 बाइबल धर्मशास्त्र में परमेश्वर का वचन इस प्रकार कहता है ।

लैव्यवस्था 17:11 "क्योंकि शरीर का प्राण लहू में रहता है और उसको मैंने तुम लोगों को वेदी पर चढ़ाने के लिए दिया है कि तुम्हारे प्राणों के लिए प्रायश्चित किया जाए क्योंकि प्राण के कारण लहू ही से प्रायश्चित होता है ।"

          उस व्यवस्था के द्वारा जब कोई पापी मनुष्य पाप करता , तो अपने पापों के प्रायश्चित के लिए निर्दोष पशु के पहिलौठे बच्चे को याजक के पास लाकर बलिदान करवाता । एवं याजक बलि पशु का बलिदान कर रक्त महापवित्र स्थान में ले जाता एवं बली पशु का रक्त परमेश्वर की उपस्थिति में पवित्र हो जाता ।  इस प्रकार पापी मनुष्य पापों के प्रायश्चित के लिए पहिलौठे पशु को याजक के पास ले जा कर बलिदान करवाकर पाप मुक्त , दोष मुक्त होता । इस बलिदान की व्यवस्था के द्वारा पापी मानुष बार-बार पाप कर निर्दोष पशु को बलिदान करवाता ,और पवित्र होने के व्यवस्था को काम में लाता था , लेकिन उसके मन में पापों के लिए सच्चा प्रायश्चित नहीं होता । क्योंकि मनुष्य उच्च श्रेणी का प्राणी और पशु निम्न श्रेणी का । इस व्यवस्था को परमेश्वर ने सैंपल के रीती पर रखा था । परमेश्वर देखना चाहता था, कि इस व्यवस्था का मानव जाति पर क्या प्रभाव पड़ता है । जब परमेश्वर ने देखा इस व्यवस्था के द्वारा मनुष्य में सच्चा प्रायश्चित उत्पन्न नहीं होता । वह बार-बार पाप कर दोषी ठहरता है । इसलिए अपने ही इकलौते पुत्र को इस जगत में निर्दोष बलिदान होने के लिए भेज दिया । परमेश्वर का वचन बाइबल धर्मशास्त्र में इस प्रकार कहता है ।

यूहन्ना 3:16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा,  कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे ,वह नाश ना हो ,परंतु अनंत जीवन पाए ।
अतः परमेश्वर ने हम मनुष्यो को हमारे पापों से उद्धार देने के लिए अपने इकलौते पुत्र को क्रूस पर कुर्बान होने के लिए दे दिया ।प्रभु यीशु हमारे पापों की सजा को क्रूस पर उठा लिये , तथा तीसरे दिन मुर्दो में से जीवित हो गए । 40 दिन चेलो से बातचीत की, फिर सबके देखते स्वर्ग पर  चढ़ गए ।और परमेश्वर पिता की दाहिनी ओर जा बैठे । यीशु आज भी जीवित ही ।अतः परमेश्वर का वचन बाइबल धर्मशास्त्र में इस प्रकार कहता है ।

इब्रानियों 19:12-15 " बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा नहीं पर अपने ही लहू के द्वारा एक ही बार पवित्र स्थान में प्रवेश किया, और अनंत छुटकारा प्राप्त किया ।क्योंकि जब बकरों और बैलों का लहू और बछड़े की राख अपवित्र लोगों पर छिड़के जाने से शरीर की शुद्धता के लिए पवित्र करती है, तो मसीह का लहू जिसने अपने आप को सनातन आत्मा के द्वारा परमेश्वर के सामने निर्दोष चढ़ाया ,तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्यों न शुद्ध करेगा ।ताकि तुम जीवते परमेश्वर की सेवा करो और इसी कारण वह नई वाचा का मध्यस्थ है, ताकि उस मृत्यु के द्वारा जो पहेली वाचक के समय के अपराधों से छुटकारा पाने के लिए हुई है, बुलाए हुए लोग प्रतिज्ञा के अनुसार अनंत मिरास को प्राप्त करें ।"
अतः प्रभु यीशु हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए क्रूस पर बलिदान हुए , ताकि हमें हमारे पापों से उद्धार मिले । बाईबल बताती है :
प्रेरितो के काम 4:12 और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं ,क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सके ।"

प्रियो, तो आइए आज ही अपने अपने पापों को प्रभु यीशु के आगे मान ले और शमा प्राप्त करने के बाद पाप ना करें । परमेश्वर आप सभों  को हर पाप पर जय की सामर्थ प्रदान करे एवं स्वर्गीय राज्य के योग्य बनाये । बाइबिल यह भी बताती है :

इब्रानियों 10:26 , 27 क्योंकि सच्चाई की पहचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जानबूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिए फिर कोई बलिदान बाकी नहीं, हा दंड का एक भयानक बाट जोहना और आग की ज्वलन बाकी है ,जो विरोधियों को भस्म कर देगी । "
परमेश्वर आप सभों को इस वचन के द्वारा बहुतायत की आशीष प्रदान करे ,और पवित्र जीवन जीने की सामर्थ प्रदान करें ।और परमेश्वर का अनुग्रह आप सभों पर सदा बना रहे । अमीन

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