Thursday, 2 April 2020

चौथी वाणी : तीसरे पहर यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा इलोई इलोई लमा शबक्तनी जिस का अर्थ यह है हे मेरे परमेश्वर हे मेरे परमेश्वर तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?

चौथी वाणी : जिसे यीशु ने क्रूस पर कही ।
मरकुस 15:34" तीसरे पहर यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा, इलोई, इलोई, लमा शबक्तनी जिस का अर्थ यह है; हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?
    इस वाणी के द्वारा हम मुख्य तीन बातों को बाइबिल के वचनों द्वारा सीखेंगे ।
1. परमेश्वर का प्रेम पापी लोगों के लिए ।
2.यीशु की आज्ञाकारित और यीशु का पापी लोगों के लिए प्रेम ।
3. हम पापी लोगों का कर्तव्य ।

1.  परमेश्वर का प्रेम हम पापी लोगों के लिए ।
बाइबिल इस बात को बताती है कि हम सब पापी है । पाप के कारण हम पर नरक का दंड का आया ।
रोमियो 5:12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया। "
परमेश्वर का प्रेम कि उसने हमें पापों से उध्दार देने के लिए प्रभु यीशु को क्रूस पर कुर्बान होने के लिए दें दिया । ताकि हम सब पापों की क्षमा पा नरक के दंड से बच सके ।  परमेश्वर का वचन कहता हैं

यूहन्ना 3:16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।"  एक औऱ वचन को पढ़ेंगे  जो मिलता है :
यशायाह:53:66 हम तो सब के सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया॥
यशायाह 53:7 वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला।
यशायाह 53:8 अत्याचार कर के और दोष लगाकर वे उसे ले गए; उस समय के लोगों में से किस ने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवतों के बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी।
यशायाह 53:10 तौभी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी।
यशायाह 53:11 वह अपने प्राणों का दु:ख उठा कर उसे देखेगा और तृप्त होगा; अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा। "  ये वचन परमेश्वर ने अपने दास भविष्यवक्ताओं के द्वारा यीशु के जन्म के पूर्व ही कह दी थी ।
       परमेश्वर ने हम मनुष्यों से इतना प्रेम किया कि अपना एकलौता बेटा क्रूस पर कुर्बान होने के लिए दे दिया । एक और वचन के द्वारा परमेश्वर के प्रेम को देखेंगे :
यिर्मयाह 9:1 भला होता, कि मेरा सिर जल ही जल, और मेरी आंखें आँसुओं का सोता होतीं, कि मैं रात दिन अपने मारे हुए लोगों के लिये रोता रहता। "
       प्रियो, परमेश्वर हम से बहुत अधिक प्रेम करते है वे हम मनुयों को पाप में डूबा देख बहुत दुखी है । उनके अंशु हमारे लिए लगता बह रहे है ।  क्योंकि बहुत से मनुष्य पापों से अनजान नरक की ओर बढ़ रहे । इस लिए परमेश्वर ने अपने प्रिय पुत्र को हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए क्रूस पर कुर्बान होने के लिए दे दिया । यीशु क्रूस पर सारे जगत के पापों की सजा को उठा रहे थे । उनका दुख असहनीय था ।  परमेश्वर ने हमारे पापों की सजा को भुगतने के लिए यीशु को छोड़ दिया था । उसने अपना मुख अपने बेटे की ओर से घुमा दिया था । ताकि हमें पापों से उद्धार मिले । ताकि हम स्वर्गीय आशीष को पा सके । यीशु भारी दुख में अपने आप को अकेला पाते है । और पुकार कर कहते है , हे मेरे परमेश्वर , हे मेरे परमेश्वर तूने मुझे क्यों छोड़ दिया  ।
2 यीशु का प्रेम मनुष्य जाति के लिए ।
बाइबिल हमें बताती है कि यीशु ने  हम पापी लोगों से प्रेम किया जिसके कारण वह इस जगत में आ बीमारों को चंगा किया, लंगड़ों को चलाया, दुष्टात्मा को निकाल , कोढ़ीयो को शुद्ध किया , मुर्दो को जिलाया, और कंगालों को सुसमाचार सुनाया । और हम पापियों को हमारे पापो से उद्धार देने के लिए क्रूस की श्रापित मृत्यु को सह लिया । बाइबिल कहती :

फिलिपियो 2:6 -8 जिस ने (यीशु) परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। "
       प्रभु यीशु हमारी  ही तरह देह में जन्म लिए थे । जिसके कारण जैसा दुख शरीर मे हमे होता है वैसे ही यीशु को भी हो रहा था । यीशु हमारे पापों की सजा को निर्दोष होते हुए भी सह रहे थे । गुनाह हम ने किया , हमारे हाथों ने किये लेकिन सजा यीशु ने ली उनके हाथों में किले ठोकी गई । गुनाह हमारे पैरों से हुई सजा यीशु के पैरों को मिली , उनके पैरों में कील ठोकी गईं , हमारे सोच में सदा बुरे विचार उत्पन्न होते है यीशु के सिर पर काटों का मुकुट रखा गया । हमारे मन मे बुरे विचार उत्पन्न होते है सजा यीशु को मिली , उसके पसली में भाला मारा गया। ये भारी दुख यीशु हमे हमारे पापों से उद्धार के लिए उठा रहा था । वह भारी दुख को सहते सहते अपने आप को अकेला महसूस कर रहे थे । तब  उन्होंने पुकारकर कहा , हे मेरे परमेश्वर ,हे मेरे परमेश्वर तूने मुझे क्यों छोड़ दिया ।
      प्रियो, ये वाणी हमे सिखाती है ।
 1.परमेश्वर ने हम मनुष्यों से इतना प्यार किया कि अपने प्रिय बेटे को क्रूस पर कुर्बान होने के लिए दे दिया ।

 2. और प्रभु यीशु परमेश्वर के प्रति इतना आज्ञा कारी रहे , कि हमारे पापों की सजा निर्दोष होते हुए भी क्रूस पर उठा लिया । औऱ क्रूस पर अपने प्राण को त्याग दिए । तीसरे दिन मृतकों में से जीवित हुए । अपने चेलों से बात चीत किये । और चेलों को आज्ञा दी :

मरकुस 28:18-20 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है।  इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं॥

3. हम मनुष्यों का यह कर्तव्य है कि हम परमेश्वर के प्रेम और यीशु के बलिदान को अपने जीवन के लिए व्यर्थ न जाने दे , अपने अपने पापों को यीशु के आगे अंगीकार करे । सच्चा पश्चताप पापों से करे । उसकी आज्ञा के अनुसार जीवन जीना शुरू करे ताकि यीशु आप के पापों को क्षमा करें । और स्वर्गीय राज्य के योग्य बनाये ।  अमीन
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