Dashamaansh kisako dena hai
गिनती 18:21 --- उनको को इस्त्राएलियों का सब दशमांश उनका निज भाग कर देता हूं। दशमांश परमेश्वर के भवन में कार्य करने वालो का भाग है । मलाकी 3:10- सारे दशमांश भण्डार में ले आओ कि मेरे भवन में भोजनवस्तु रहे।
दशमांश किसको देना है ??
इस लेख को पढने वाला कोई भी व्यक्ति अगर इन आशीषो से वंचित है
तो आज ही प्रभु से माफ़ी माँग ले।
गिनती 18:21 --- उनको को इस्त्राएलियों का सब दशमांश उनका निज भाग कर देता हूं। दशमांश परमेश्वर के भवन में कार्य करने वालो का भाग है । मलाकी 3:10- सारे दशमांश भण्डार में ले आओ कि मेरे भवन में भोजनवस्तु रहे।
परमेश्वर के भवन से आत्मिक भोजन पाने वाले को अपना दशमांश वाह देना है । नये नियम में प्रेरित पौलूस ने उल्लेख किया है
"हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देने वाले से प्रेम रखता है
(2 कुरिन्थियों 9:7
जिस जगह से हमे निरंतर आत्मिक भोजन मिलता है वही पर हमे अपना दशमांश देना है । आपके लिय प्रार्थना करने वालो को आपके रिश्तेदार जो सेवकाई में है और जरूरतमंद प्रभु के दासो को भी ना भूले । आपके पास जो 90 % है उसमे से आप उन्हें जरुर दे।
जिस जगह से हमे निरंतर आत्मिक भोजन मिलता है वही पर हमे अपना दशमांश देना है । आपके लिय प्रार्थना करने वालो को आपके रिश्तेदार जो सेवकाई में है और जरूरतमंद प्रभु के दासो को भी ना भूले । आपके पास जो 90 % है उसमे से आप उन्हें जरुर दे।
व्यवस्थाविवरण 16: 17 उस आशीष के अनुसार जो तेरे परमेश्वर यहोवा ने तुझ को दी हो, दिया करें।
1 कुरिन्थियों 9:7-17..इन पदों में प्रेरीत पौलुस ने प्रभु यीशु के वचनों को लेकर विस्वासियो को बताता है . प्रभु ने भी ठहराया कि जो लोग सुसमाचार सुनाते है उन की जीविका सुसमाचार से हो।
इसीलिए सुसमाचार सुनाने वालो की मदद करना अनिवार्य है । हमे मनुष्यों के लिए नही परमेश्वर के लिए देना है प्रभु राह खोलेगा।
एक भाई ने मेरे को बोला की भाई मै जिस चर्च में जाता हु वहा पर मै आब दशमांश नहीं दूंगा ।
मै पुछा क्यों? क्या हुआ भाई तो ओ बोले की वहा के लोग पैसे को सही उपयोग नही करते है ।
भीर मै भाई को बोला की भाई आप जिस चर्च में दंशमंश दे रहे है वही पर देवे क्योकि आप मनुष्यों को नहीं दे रहे हो आप प्रभु को दे रहे हो । प्रभु उन से जबाब मांगेगे उनको देना है जबाब ।आप को नही
दशमांश नया नियम की आज्ञा है ।आज्ञा का पालन करे आप आशीषीत होंगे ।
जब हम दशमांश बिना दिये परमेश्वर को पुकारोगे - आपने खुद अपने आशीष को चुरा लिया है
इसलिए परमेश्वर दुःखी है ।मालकी 3:8 क्या मनुष्य परमेश्वर को धोखा दे सकता है?
* दशमांश न देने वाले श्रापित है ।
* इस विषय में परमेश्वर ने मनुष्य को उनकी परीक्षा लेने को कहा है।
हम पुणं रूप से दशमांश न देकर अपनी ही आशीष चुरा लेते है ।इस प्रकार परमेश्वर को धोखा देते है । परमेस्वर कभी भी हमारे आशीषो को नही रोकता है परन्तु शैतान हमारे ह्रदय को फेद्कर हम उसकी बातो पर विस्वास करके अपने लिए श्राप बना लेते है । इसीलिए प्रभु यीशु ने कहा है " मत्ती 6:24 .तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते”।
यदि परमेश्वर के भवन में धन हो तो सुसमाचार फैलता जायेगा और देवे वाला विस्वाश आशीषीत होगा, सुसमाचार सुनने वाला आशीष पायेगा प्रभु के राज्य में अनेक लोग प्रवेश कर पाएंगे । शैतान इन सब बातो की पसंद नहीं करता है इसीलिए विस्वाशीयो के मन को कब्जा करके उनके आर्थिक आशीषो को रोक देता है अत सुसमाचार के प्राचार में बाधा आती है । प्रभु के नाम की महिमा नही होती है।
परमेश्वर ने हमे चुनाव करने का अधिकार दिया है उसके सारे नियमो का पालन करे।
व्यवस्थाविवरण 6:24 में लिखा है - यहोवा ने हमें ये सब विधियां पालने की आज्ञा दी इसलिये कि हम
अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें और इस रीति सदैव हमारा भला हो और वह हम को जीवित रखे जैसा कि आज के दिन है।
दशमांश व् भेंट न देवे का फल-
* हम श्रापित हो जाते है मलाकी 3:9,2:2
* आकाश के झरोखे आपके लिए नही खुलेंगे
* समृध्दि नष्ट हो जाएगी
* दाखलता में से अंगूर जल्दी ही गिर जायेंगे ।
दशमांश व् भेट न देवे वाले ही परमेश्वर को धोखा देते है ।
क्या हम परमेश्वर से चोरी कर सकते है ? कभी नही
लेकिन परमेश्वर कहता है की हम चोरी करते है जिस परमेश्वर से हमे काम करने की शक्ति मिलती है
उसी का भाग हम चुरा लेते है । नुकसान भी हमारा ही है । न परमेश्वर का और न उनके दासो का।
प्रभु इस वचन के द्वारा आप सभी को आशीष देवे और वचनों पर चलने में सहायता करे आमीन