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Thursday, 2 April 2020

चौथी वाणी : तीसरे पहर यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा इलोई इलोई लमा शबक्तनी जिस का अर्थ यह है हे मेरे परमेश्वर हे मेरे परमेश्वर तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?

चौथी वाणी : जिसे यीशु ने क्रूस पर कही ।
मरकुस 15:34" तीसरे पहर यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा, इलोई, इलोई, लमा शबक्तनी जिस का अर्थ यह है; हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?
    इस वाणी के द्वारा हम मुख्य तीन बातों को बाइबिल के वचनों द्वारा सीखेंगे ।
1. परमेश्वर का प्रेम पापी लोगों के लिए ।
2.यीशु की आज्ञाकारित और यीशु का पापी लोगों के लिए प्रेम ।
3. हम पापी लोगों का कर्तव्य ।

1.  परमेश्वर का प्रेम हम पापी लोगों के लिए ।
बाइबिल इस बात को बताती है कि हम सब पापी है । पाप के कारण हम पर नरक का दंड का आया ।
रोमियो 5:12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया। "
परमेश्वर का प्रेम कि उसने हमें पापों से उध्दार देने के लिए प्रभु यीशु को क्रूस पर कुर्बान होने के लिए दें दिया । ताकि हम सब पापों की क्षमा पा नरक के दंड से बच सके ।  परमेश्वर का वचन कहता हैं

यूहन्ना 3:16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए।"  एक औऱ वचन को पढ़ेंगे  जो मिलता है :
यशायाह:53:66 हम तो सब के सब भेड़ों की नाईं भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग लिया; और यहोवा ने हम सभों के अधर्म का बोझ उसी पर लाद दिया॥
यशायाह 53:7 वह सताया गया, तौभी वह सहता रहा और अपना मुंह न खोला; जिस प्रकार भेड़ वध होने के समय वा भेड़ी ऊन कतरने के समय चुपचाप शान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला।
यशायाह 53:8 अत्याचार कर के और दोष लगाकर वे उसे ले गए; उस समय के लोगों में से किस ने इस पर ध्यान दिया कि वह जीवतों के बीच में से उठा लिया गया? मेरे ही लोगों के अपराधों के कारण उस पर मार पड़ी।
यशायाह 53:10 तौभी यहोवा को यही भाया कि उसे कुचले; उसी ने उसको रोगी कर दिया; जब तू उसका प्राण दोषबलि करे, तब वह अपना वंश देखने पाएगा, वह बहुत दिन जीवित रहेगा; उसके हाथ से यहोवा की इच्छा पूरी हो जाएगी।
यशायाह 53:11 वह अपने प्राणों का दु:ख उठा कर उसे देखेगा और तृप्त होगा; अपने ज्ञान के द्वारा मेरा धर्मी दास बहुतेरों को धर्मी ठहराएगा; और उनके अधर्म के कामों का बोझ आप उठा लेगा। "  ये वचन परमेश्वर ने अपने दास भविष्यवक्ताओं के द्वारा यीशु के जन्म के पूर्व ही कह दी थी ।
       परमेश्वर ने हम मनुष्यों से इतना प्रेम किया कि अपना एकलौता बेटा क्रूस पर कुर्बान होने के लिए दे दिया । एक और वचन के द्वारा परमेश्वर के प्रेम को देखेंगे :
यिर्मयाह 9:1 भला होता, कि मेरा सिर जल ही जल, और मेरी आंखें आँसुओं का सोता होतीं, कि मैं रात दिन अपने मारे हुए लोगों के लिये रोता रहता। "
       प्रियो, परमेश्वर हम से बहुत अधिक प्रेम करते है वे हम मनुयों को पाप में डूबा देख बहुत दुखी है । उनके अंशु हमारे लिए लगता बह रहे है ।  क्योंकि बहुत से मनुष्य पापों से अनजान नरक की ओर बढ़ रहे । इस लिए परमेश्वर ने अपने प्रिय पुत्र को हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए क्रूस पर कुर्बान होने के लिए दे दिया । यीशु क्रूस पर सारे जगत के पापों की सजा को उठा रहे थे । उनका दुख असहनीय था ।  परमेश्वर ने हमारे पापों की सजा को भुगतने के लिए यीशु को छोड़ दिया था । उसने अपना मुख अपने बेटे की ओर से घुमा दिया था । ताकि हमें पापों से उद्धार मिले । ताकि हम स्वर्गीय आशीष को पा सके । यीशु भारी दुख में अपने आप को अकेला पाते है । और पुकार कर कहते है , हे मेरे परमेश्वर , हे मेरे परमेश्वर तूने मुझे क्यों छोड़ दिया  ।
2 यीशु का प्रेम मनुष्य जाति के लिए ।
बाइबिल हमें बताती है कि यीशु ने  हम पापी लोगों से प्रेम किया जिसके कारण वह इस जगत में आ बीमारों को चंगा किया, लंगड़ों को चलाया, दुष्टात्मा को निकाल , कोढ़ीयो को शुद्ध किया , मुर्दो को जिलाया, और कंगालों को सुसमाचार सुनाया । और हम पापियों को हमारे पापो से उद्धार देने के लिए क्रूस की श्रापित मृत्यु को सह लिया । बाइबिल कहती :

फिलिपियो 2:6 -8 जिस ने (यीशु) परमेश्वर के स्वरूप में होकर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। और मनुष्य के रूप में प्रगट होकर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। "
       प्रभु यीशु हमारी  ही तरह देह में जन्म लिए थे । जिसके कारण जैसा दुख शरीर मे हमे होता है वैसे ही यीशु को भी हो रहा था । यीशु हमारे पापों की सजा को निर्दोष होते हुए भी सह रहे थे । गुनाह हम ने किया , हमारे हाथों ने किये लेकिन सजा यीशु ने ली उनके हाथों में किले ठोकी गई । गुनाह हमारे पैरों से हुई सजा यीशु के पैरों को मिली , उनके पैरों में कील ठोकी गईं , हमारे सोच में सदा बुरे विचार उत्पन्न होते है यीशु के सिर पर काटों का मुकुट रखा गया । हमारे मन मे बुरे विचार उत्पन्न होते है सजा यीशु को मिली , उसके पसली में भाला मारा गया। ये भारी दुख यीशु हमे हमारे पापों से उद्धार के लिए उठा रहा था । वह भारी दुख को सहते सहते अपने आप को अकेला महसूस कर रहे थे । तब  उन्होंने पुकारकर कहा , हे मेरे परमेश्वर ,हे मेरे परमेश्वर तूने मुझे क्यों छोड़ दिया ।
      प्रियो, ये वाणी हमे सिखाती है ।
 1.परमेश्वर ने हम मनुष्यों से इतना प्यार किया कि अपने प्रिय बेटे को क्रूस पर कुर्बान होने के लिए दे दिया ।

 2. और प्रभु यीशु परमेश्वर के प्रति इतना आज्ञा कारी रहे , कि हमारे पापों की सजा निर्दोष होते हुए भी क्रूस पर उठा लिया । औऱ क्रूस पर अपने प्राण को त्याग दिए । तीसरे दिन मृतकों में से जीवित हुए । अपने चेलों से बात चीत किये । और चेलों को आज्ञा दी :

मरकुस 28:18-20 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है।  इसलिये तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं॥

3. हम मनुष्यों का यह कर्तव्य है कि हम परमेश्वर के प्रेम और यीशु के बलिदान को अपने जीवन के लिए व्यर्थ न जाने दे , अपने अपने पापों को यीशु के आगे अंगीकार करे । सच्चा पश्चताप पापों से करे । उसकी आज्ञा के अनुसार जीवन जीना शुरू करे ताकि यीशु आप के पापों को क्षमा करें । और स्वर्गीय राज्य के योग्य बनाये ।  अमीन
   यदि आपने इस वचन से आशीष पाई है तो अवश्य लाइक कर अपने मित्रों में शेयर करे । ताकि वे भी पापों से मन फिराए ओर नरक के दंड से बच सके । परमेश्वर इस वचन के द्वारा आप सभों को स्वर्गीय राज्य के योग्य बनाये । अमीन

Sunday, 3 March 2019

तुम रोओगे और विलाप करोगे तुम्हारा शोक आनन्द में बदक जाएगा।

तुम रोओगे और विलाप करोगे... तुम्हारा शोक आनन्द में बदक जाएगा।’ (यूहन्ना, 16: 20)

आप सभी भाई ,बहनों पास्टर और प्रचारक को प्रभु यीशु मसीह के मधुर और मीठे नाम में जय मसीह की

यीशु को सलीव की मौत दी गई थी। उसके शिष्य व्याकुल और निराश हो गए थे। उनकी सब आशाएँ उसी पर थी - अब वह कबर में मृतक पड़ा था।
परन्तु तीसरे दिन वह जी उठा। उसके शिष्यों ने अवश्य ही उन शब्दों को याद रखा होगा जिन्हें कि उसने उनसे अपनी मृत्यु के पहले कहा था: जो ऊपर लिखा है 
अपने प्यारे प्रभु और स्वामी को फिर देखने में उन्हें कितना आनन्द हुआ होगा! यूहन्ना हमें बताता है, ‘तब चेले प्रभु को देखकर आनन्दित हुए’ (यूहन्ना, अध्याय 20, पद 20)।

हम उनके आनन्द का अन्दाजा नही लगा सकते हैं।
जब यीशु स्वर्ग चला गया
प्ररितों के काम के पहले अध्याय के प्रथम आठ पदों को फिर से पढ़िये। कल्‍पना कीजिये कि जी उठने के बाद चालीस दिनों तक जब यीशु अपने शिष्यों के बीच में रहा और फिर से उन्हें शिक्षा देते रहा तो वे कितने आनन्दित हुए होंगे।

  चालीस दिनों के बाद आप उन्हें और उनके बीच यीशु को बैतनिय्याह की हरी पहाड़ियों पर खड़ा देखते हैं। अचानक वह उनके बीच में से ऊपर स्वर्ग पर उठा लिया गया। कितने अचम्‍भे से वे उस दृश्‍य को निहार रहे होंगे जब उन्‍उसने पृथ्वी को छोड़ा और एक बादल ने उसे उनकी आखों से छिपा लिया। फिर से वह उनसे ले लिया गया। लेकिन इस समय वे न विस्मित हुए और न निराश हुए; बिल्‍कुल भी नही! 
    लूका हमें बताता है,
‘वह उनसे अलग हो गया और स्वर्ग पर उठा लिया गया। तब वे उसको दण्डवत् करके बड़े आनन्द से यरूशलेम को लौट गए।’ (लूका 24:51-52)

दूसरी बार उनसे अलग होने पर वे इतने आनन्दित क्यों थे? इसलिये कि यीशु ने उनसे एक प्रतिज्ञा की थी। उसने कहा था,
‘देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूँ।’ (मत्ती, अध्याय 28, पद 20)

   वे जानते थे कि कुछ भी हो जाए, वह स्वर्ग से उनकी चौकसी करता रहेगा।
परन्तु सिर्फ इतना ही नहीं। जब वे उसे स्वर्ग में जाते हुए देख रहे थे, दो स्वर्गदूत एक संदेश लेकर उनके पास आए। उन्होंने कहा,
‘हे गलीली पुरूषो, तुम क्‍यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्‍वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्‍वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा।’ (प्रेरितों के काम 1:11)

  यह छोटा सा पद इतना महत्‍वपूर्ण है कि इसे हमेशा याद रखना चाहिये। जब शिष्य यरूशलेम को अपने प्रभु की आज्ञाओं का पालन करने  वापस लौटे, तो उन्‍हें पक्‍का विश्‍वास था कि यीशु खुद पृथ्वी पर वापस लौटेगा। इस बात ने उनहें बहुत आनन्दित किया।
यीशु ने कहाँ था ऊन से 
यह सब 2016 वर्ष  पूर्व हुआ और यीशु अभी तक वापस नहीं आये है।
परन्तु वह अवश्य आयेंगे। उन्‍होंने स्‍वंय ऐसा कहा। लूका के 21 वें अध्याय और 27 वें पद में व़े स्‍वंय बादल पर सामर्थ और बड़ी महिमा के साथ पृथ्वी पर वापिस आने के विषय में बताते है। (क्‍या आपने ध्यान दिया कि वे बादल में गये? और यह भी कि स्वर्गदूतों ने कहा कि जिस रीति से उन्होंने उसे ऊपर जाते देखा उसी रीति से वह लौटेगा?)

   बहुत से दृष्टांत भी यीशु के पुनः आगमन के बारे में बताते हैं। उदाहरण के लिए मत्ती के 25 वें अध्याय और उसके पहले 13 पद में दिए हुए दृष्टांत को लीजिए। 

   इसमें एक दूल्‍हे के बारे में लिखा है, और क्‍योंकि यह एक विवाह का दृश्‍य है तो इसे समझना हमारे लिए मुश्किल नही है। यह दूल्हा वास्‍तव में और कोई नही मसीह है, और यह कहानी हमें चेतावनी देती है कि जब वह आएगा तो कुछ लोग ऐसे भी रहेंगे जो उसके आने के लिए तैयार न होंगे।
तेरवें पद को देखिये। यीशु ऐसा नही कहते है कि, "तुम नही जानते हो कि तुम्हारा प्रभु आएगा या नहीं" उसका आना निश्चित है। इसमें कोई सन्देह नहीं। परन्तु वे यह कहते है,
‘तुम न उस दिन को जानते हो, न उस घड़ी को, जब मनुष्य का पुत्र लौटेगा।’ (मत्ती 25:13)
प्रकाशितवाक्य में यीशु ने अपने अन्तिम सन्देश में कहा,
‘देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ!’ (प्रकाशितवाक्य, अध्याय 22, पद 7)




प्रभु यीशु आप सभी कॊ इस वचन के द्वारा आशिष देवे और दूसरे आगमन के लीये रेडी करे 
बाइबल यहाँ से खरीदेबाइबल यहाँ से खरीदे

Friday, 22 February 2019

THANK YOU LORD FOR EVERYTHING पवित्र बाइबल मे स्तुति को और धन्यवाद को बलिदान भेंट कहा है

भजन संहिता 50:14
परमेश्वर को धन्यवाद ही का बलिदान चढ़ा,
भजन संहिता 100:3
उसके फाटकों से  धन्यवाद, और उसके आंगनों में स्तुति करते हुए प्रवेश करो
 उसका धन्यवाद करो, और उसके नाम को धन्य कहो!

इब्रानियों 13:15
इसलिये हम उसके द्वारा स्तुति रूपी बलिदान
 अर्थात उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार 
करते हैं परमेश्वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।

  पवित्र बाइबल मे स्तुति को ओर धन्यवाद को बलिदान (भेंट ) कहा है। याद रखे 
परमेश्वर को आप इस सुष्टि की कोई भी चीज़ नही  चढ़ा सकते  जैसे फल,फूल 
नारियल ओर भी बहुत कुछ है ।परमेश्वर ऐसी चीजो से प्रसन्न (खुश)नही  होता
ये चीज़ परमेश्वर  की है ओर परमेश्वर ने बनाई है  हम उसकी चीज़ उसको नही 
चढ़ा सकते लेकिन यदि आप परमेश्वर को प्रसन्न (खुश) करना चाहते हो या 
परमेश्वर को कुछ देना चाहते हो तो उसको धन्यवाद ओर स्तुति का बलिदान चढ़ाओ। 
पवित्र बाइबल मे स्तुति ओर धन्यवाद को बलिदान कहा है।(इब्रानियों 13:15, भजन 50:14
ओर परमेश्वर इसी बलिदान से प्रसन्न होता है याद रखे। 
    
  स्तुति क्या है आप जानते है स्तुति करना मतलब परमेश्वर की बड़ाई करना परमेश्वर की तारीफ करना जब कोई जन परमेश्वर की स्तुति करता है लगातार  परमेश्वर की उपस्थिति उस जगह आ जाती परमेश्वर खुद उस जगह आ जाता है। (भजन सहिता 22:3 के अनुसार )जब हम परमेश्वर की स्तुति ओर धन्यवाद  करते है तो हम उसका आदर करते है ओर जब हम ऐसा करते है तो परमेश्वर को उपहार (Gift) देते है।
यदि आप को कोई उपहार(Gift) दे तो आप बहुत  खुश हो जाओगे। वैसे ही जब हम परमेश्वर को धन्यवाद 
ओर स्तुति का उपहार(Gift) देते है तो परमेश्वर बहुत खुश होते है।

  याद रखे परमेश्वर को यदि आप को खुश करना है
 तो उसकी स्तुति ओर धन्यवाद करे। 

जब हम परमेश्वर की स्तुति ओर धन्यवाद करते है तो हम घोषित करते है की हम परमेश्वर के लोग है। ओर जब हम ऐसा करते है तो हम परमेश्वर के साथ वाचा बांधते है।(भजन 50:5)ओर परमेश्वर की वाचा की आशीष हमारे जीवन मे आने पाती है। (निर्गमन 23:26)वाचा की आशीष का मतलब परमेश्वर की सारी प्रतिज्ञा हमारे जीवन मे पूरी होनी पाती है।स्तुति परमेश्वर के सामर्थ को लेकर आती है ओर परमेश्वर की उपस्थिति को भी लेकर आती है। (2इतिहास5:13,14)

स्तुति हमे शैतान ओर अंधकार की ताकत पर जय दिलाती है। जब हम परमेश्वर की स्तुति करते है
 तो हम शैतान के ऊपर attack करते है स्तुति ये आत्मिक हथियार है जो हमे शैतान पर जय दिलाती है। 
(2 इतिहास20:21 के अनुसार) हो सकता है शैतान आप के जीवन मे किसी न किसी रूप से काम कर रहा हो।
 हो सकता है किसी व्यक्ति के दावरा या बीमारी के दावरा यदि ऐसा है तो आप चिंता न करे आप सिर्फ परमेश्वर की स्तुति करे जय आप को भी मिलेगी।
     आप यदि परमेश्वर से प्रेम करते है ये कैसे कह सकते है ? यदि आप परमेश्वर से प्रेम करते है  तो ये कैसे प्रकट करेगे परमेश्वर को। उसका जवाब है परमेश्वर को स्तुति ओर धन्यवाद का बलिदान चढ़ा कर जब हम परमेश्वर को स्तुति ओर धन्यवाद  का बलिदान चढ़ाते है तो हम परमेश्वर को बताते है की हम उससे प्रेम करते है। ओर परमेश्वर का वचन भी कहता है की उसकी आज्ञा को मानना ही परमेश्वर से प्रेम करना है (यूहन्ना 14:15)
ओर हमे कहा भी है परमेश्वर के वचन मे की परमेश्वर को स्तुति ओर धन्यवाद का बलिदान चढ़ा।(भजन50:14,भजन100:3, इब्रानियों13:14)
इसलिए जब हम  परमेश्वर को धन्यवाद ओर स्तुति का बलिदान चढ़ाते है तो यह प्रकट करते है की हम परमेश्वर से प्रेम करते है।
क्योकि इसके दावरा ही हम परमेश्वर को बताते है की हम परमेश्वर से प्रेम करते है। ओर याद रखे हम परमेश्वर को इस पृथ्वी की कोई भी चीज़ नही दे सकते
क्योकि सब कुछ उसका है।
यदि आप परमेश्वर को प्रसन्न करना चाहते हो तो परमेश्वर को स्तुति ओर धन्यवाद का बलिदान चढ़ाए। जब हम ऐसा करते है तो हम परमेश्वर को प्रेम  करते है।
परमेश्वर  हम से प्रेम करता है इसलिए उसने हमे बचाने के लिए अपने पुत्र तक को दे दिया। ताकि हम उस पर( यीशु पर) मतलब उसके वचन पर विश्वास करे तो नाश न हो। (यूहन्ना3:16)



Thursday, 6 December 2018

PRABHU BHOJ MASIH SANGTI KA KYA MAHATTV HAI ? | प्रभु भोज मसीही संगति का क्या महत्त्व है? |

प्रभु भोज मसीही संगति का क्या महत्त्व है?

उत्तर:प्रभु भोज के अर्थ में जो गहराई है उसके कारण इसका 
अध्यन आत्मा को एक झनझोडने वाला अनुभव है । फसह का
सदियों पुराना उत्सव मनाये जाने के दोरान यीशु ने अपनी मृत्यु 
की पूर्व संधया को एक विशेष नयी संगति भोज का स्थापित किया 
जिसे हम आज के दिन तक मनाते है। यह मसीह अराधना का एक 
अभिन्न अंग है। यह हमे हमारे प्रभु की मृत्यु और पुनरूत्थान और
भविष्य में उसके महिमा के साथ वापस आने की बाट जोहने के
 विषय मे स्मरण कराता है। 


यहूदी धार्मिक वर्ष का सबसे पवित्र पर्व फसह था। यह मिस्त्र पर 
अन्तिम विपत्ति का स्मरण दिलाता है जब मिस्त्रीयों के पहिलोठे
मर गए थे और इस्त्राएलियों को छोड दिया गया था मेमने के उस
लहू के कारण जो उनके द्वार के चौखट के सिरे और दोनो अंलगो 
पर छिडका गया था । फिर मेमने को भुना और अखमीरी रोटी के
साथ खाया गया । परमेश्वर की आज्ञा यह थी कि आनेवाली सब
पीढियों में यह पर्व मनाया जाए यह कहानी निर्गमन 12 में लिखी है। 

अन्तिम भोज के दोरान-फसह के पर्व का मनाया जाना - यीशु ने
रोटी को लिया और परमेश्वर को धन्यवाद दिया । जब उसने 
उसे तोडा और अपने शिष्यों को दिया उसने कहा यह मेरी देह
है जो तुम्हारे लिये दी जाती है: मेरे स्मरण के लिये यही किया 
करो।  इसी रीति से उसने भोजन के बाद कटोरा भी यह कहते
हुए दिया कि यह कटोरा मेरे उस लहू में जो तुम्हारे लिये बहाया 
जाता है नई वाचा है। लूका 22:19-21 उसने एक भजन गा कर
पर्व का समापन किया मत्ती 26:30 और वह रात्रि मे जैतून के
पहाड पर चले गए। यही पर यहूदा के द्वारा यीशु का विश्वासघात
किया गया जैसे कि पहले बताया गया था। अगले दिन उसे क्रूस 
पर चढा दिया गया। 

प्रभू भोज के विवरण सुसमाचार की पुस्तको में पाए जाते हैं
मत्ती 26: 26-29 मरकुस 14:17-25 लुका 22:7-22 और
यूहाा 13:21-30)। प्रेरित पौलुस ने 1 कुरिन्थियों में 11:23-29
में प्रभु भोज के विषय में लिखा । पौलुस एक कथन को
सम्मिलित करता है जो कि सुसमाचार की पुस्तको में 
नहीं पाया जाता इसलिये जो कोई अनुचित रीति से प्रभु 
की रोटी खाए या उसके कटोरे में से पीए वह प्रभु की देह 
और लहू का अपराधी ठहरेगा । इसलिए मनुष्य अपने आप
का जाँच ले और इसी रीति से इस रोटी में से खाए और इस
कटोरे मे से पीए । क्योकि जो खाते - पीते समय प्रभु की 
देह को न पहचाने, वह इस खाने और पीने से अपने ऊपर 

दण्ड लाता है 1 कुरिन्थियो 11:27-29। हम पुछ सकते है
 कि रोटी और कटोरे में अनुचित रीत्ति से सहभागिता 
करने से क्या अर्थ है।इस का अर्थ यह हो सकता है कि 
रोटी और कटोरे का जो वास्तविक अर्थ है उसकी उपेक्षा 
करना और जो बहुत बडी कीमत हमारे उद्धारकर्ता ने हमारे 
उद्धार के लिए अदा की है उसको भुला देना।या इसका अर्थ
यह हो सकता है कि इस अयोजन को मृत और औपचारिक 
प्रथा बना देना या प्रभु भोज में अंगीकार न किए गए पाप के
साथ सहभागिता करना । पौलुस की चितौनी के अनुसार 
चलते हुए हमे पहले अपने आप को जाँचना चाहिए और
 इसी रीति से रोटी मे से खाए और कटोरे मे से पीए । 

एक और कथन पौलुस कहता है जो सुसमाचार की पुस्तको 
के विवरणों में सम्मलित नहीं है कि  क्योकि जब कभी तुम
यह रोटी खाते और इस कटोरे में से पीते हो तो प्रभु की मृत्यु 
को जब तक वह न आए प्रचार करते हो 1 कुरिन्थियो 11:26।
यह इस अयोजन पर एक समय सीमा लगा देता है - जब तक
हमारा प्रभु न आए। इन संक्षिप्त विवरणो से हम सिखते है कि
कैसे यीशु बहुत नाजुक तत्वों में से दो का उपयोग अपनी देह और
लहू का प्रतीक होने के लिए करते है और उनका आरम्भ अपने
स्मारक के रूप मे करते है | यह स्मारक किसी नक्काशी किए हुए
संगमरमर या साँचे में ढाले गए हुए पितल का नही, बल्कि रोटी 
और दाखरस का था । 

उसने घोषित किया कि रोटी उसकी देह का प्रतीक है जो कि
तोडी जाएगी। तोडी गई हुई कोई हड्डी नहीं थी, परन्तु उसको 
इतनी बुरी तरह से यातना दी गई थी कि उसको पहचान पाना
कठिन था भजन सहिता 22:12-17 यशायाह 53:4-7 ।
दाखरस उसके लहू का प्रतीक है, जो संकेत करता है उस 
भयानक मृत्यु का जो उसे दी जाएगी। वह, परमेश्वर का सिद्ध
पुत्र पुराने नियम में एक छुटकारा दिलाने वाले के विषय में की
गई अनगिनत भविष्यवाणीयों का पूरा करने वाला बना भजन 
सहिता 22 यशायाह 53 जब उसने कहा यह मेरे स्मरण में किया
करो उसने संकेत दिया कि इस रस्म को भविष्य में भी जारी रखा 
जाए। यह इसका संकेत भी देता था कि फसह जिसमें एक मेमने का
मारा जाना आवश्यक होता था और जो उस परमेश्वर के मेमने के
आगमन की बाट जोहता था जो कि संसार के पाप को उठा ले जाएगा
प्रभु भोज में पूरा हुआ । नई वाचा ने पुरानी वाचा का स्थान ले लिया
जब मसीह फसह का मेमना 1 कुरिन्थियो 5:7 बलिदान किया गया 
इब्रानियों 8:8-13।बलिदान की व्यवस्था की अब आगे और 
आवश्यकता नहीं था इब्रानियो 9:25-28 । प्रभु-भोज/ मसीह संगति
 उसको स्मरण करना है जो मसीह ने हमारे लिए किया और 
उसका आनन्द मनाना है जो हम उसके बलिदान के परिणाम
 स्वरूप प्राप्त करते है।
आगे वचन देखे 
             मत्ती(Matthew) 22

22:1 इस पर यीशु फिर उन से दृष्टान्तों में कहने लगा।
22:1 And Jesus answered and spake unto them again by parables, and said,
22:2 स्वर्ग का राज्य उस राजा के समान है, जिस ने अपने पुत्र का ब्याह किया।
22:2 The kingdom of heaven is like unto a certain king, which made a marriage for his son,
22:3 और उस ने अपने दासों को भेजा, कि नेवताहारियों को ब्याह के भोज में बुलाएं; परन्तु उन्होंने आना न चाहा।
22:3 And sent forth his servants to call them that were bidden to the wedding: and they would not come.
22:4 फिर उस ने और दासों को यह कहकर भेजा, कि नेवताहारियों से कहो, देखो; मैं भोज तैयार कर चुका हूं, और मेरे बैल और पले हुए पशु मारे गए हैं: और सब कुछ तैयार है; ब्याह के भोज में आओ।
22:4 Again, he sent forth other servants, saying, Tell them which are bidden, Behold, I have prepared my dinner: my oxen and my fatlings are killed, and all things are ready: come unto the marriage.
22:5 परन्तु वे बेपरवाई करके चल दिए: कोई अपने खेत को, कोई अपने व्यापार को।
22:5 But they made light of it, and went their ways, one to his farm, another to his merchandise:
22:6 औरों ने जो बच रहे थे उसके दासों को पकड़कर उन का अनादर किया और मार डाला।
22:6 And the remnant took his servants, and entreated them spitefully, and slew them.
22:7 राजा ने क्रोध किया, और अपनी सेना भेजकर उन हत्यारों को नाश किया, और उन के नगर को फूंक दिया।
22:7 But when the king heard thereof, he was wroth: and he sent forth his armies, and destroyed those murderers, and burned up their city.
22:8 तब उस ने अपने दासों से कहा, ब्याह का भोज तो तैयार है, परन्तु नेवताहारी योग्य न ठहरे।
22:8 Then saith he to his servants, The wedding is ready, but they which were bidden were not worthy.
22:9 इसलिये चौराहों में जाओ, और जितने लोग तुम्हें मिलें, सब को ब्याह के भोज में बुला लाओ।
22:9 Go ye therefore into the highways, and as many as ye shall find, bid to the marriage.
22:10 सो उन दासों ने सड़कों पर जाकर क्या बुरे, क्या भले, जितने मिले, सब को इकट्ठे किया; और ब्याह का घर जेवनहारों से भर गया।
22:10 So those servants went out into the highways, and gathered together all as many as they found, both bad and good: and the wedding was furnished with guests.
22:11 जब राजा जेवनहारों के देखने को भीतर आया; तो उस ने वहां एक मनुष्य को देखा, जो ब्याह का वस्त्र नहीं पहिने था।
22:11 And when the king came in to see the guests, he saw there a man which had not on a wedding garment:
22:12 उस ने उससे पूछा हे मित्र; तू ब्याह का वस्त्र पहिने बिना यहां क्यों आ गया? उसका मुंह बन्द हो गया।
22:12 And he saith unto him, Friend, how camest thou in hither not having a wedding garment? And he was speechless.
22:13 तब राजा ने सेवकों से कहा, इस के हाथ पांव बान्धकर उसे बाहर अन्धियारे में डाल दो, वहां रोना, और दांत पीसना होगा।
22:13 Then said the king to the servants, Bind him hand and foot, and take him away, and cast him into outer darkness; there shall be weeping and gnashing of teeth.
22:14 क्योंकि बुलाए हुए तो बहुत परन्तु चुने हुए थोड़े हैं॥
22:14 For many are called, but few are chosen.
22:15 तब फरीसियों ने जाकर आपस में विचार किया, कि उस को किस प्रकार बातों में फंसाएं।
22:15 Then went the Pharisees, and took counsel how they might entangle him in his talk.
22:16 सो उन्हों ने अपने चेलों को हेरोदियों के साथ उसके पास यह कहने को भेजा, कि हे गुरू; हम जानते हैं, कि तू सच्चा है; और परमेश्वर का मार्ग सच्चाई से सिखाता है; और किसी की परवा नहीं करता, क्योंकि तू मनुष्यों का मुंह देखकर बातें नही करता।
22:16 And they sent out unto him their disciples with the Herodians, saying, Master, we know that thou art true, and teachest the way of God in truth, neither carest thou for any man: for thou regardest not the person of men.
22:17 इस लिये हमें बता तू क्या समझता है? कैसर को कर देना उचित है, कि नहीं।
22:17 Tell us therefore, What thinkest thou? Is it lawful to give tribute unto Caesar, or not?
22:18 यीशु ने उन की दुष्टता जानकर कहा, हे कपटियों; मुझे क्यों परखते हो?
22:18 But Jesus perceived their wickedness, and said, Why tempt ye me, ye hypocrites?
22:19 कर का सिक्का मुझे दिखाओ: तब वे उसके पास एक दीनार ले आए।
22:19 Shew me the tribute money. And they brought unto him a penny.
22:20 उस ने, उन से पूछा, यह मूर्ति और नाम किस का है?
22:20 And he saith unto them, Whose is this image and superscription?
22:21 उन्होंने उस से कहा, कैसर का; तब उस ने, उन से कहा; जो कैसर का है, वह कैसर को; और जो परमेश्वर का है, वह परमेश्वर को दो।
22:21 They say unto him, Caesar's. Then saith he unto them, Render therefore unto Caesar the things which are Caesar's; and unto God the things that are God's.
22:22 यह सुनकर उन्होंने अचम्भा किया, और उसे छोड़कर चले गए॥
22:22 When they had heard these words, they marvelled, and left him, and went their way.
22:23 उसी दिन सदूकी जो कहते हैं कि मरे हुओं का पुनरुत्थान है ही नहीं उसके पास आए, और उस से पूछा।
22:23 The same day came to him the Sadducees, which say that there is no resurrection, and asked him,
22:24 कि हे गुरू; मूसा ने कहा था, कि यदि कोई बिना सन्तान मर जाए, तो उसका भाई उस की पत्नी को ब्याह करके अपने भाई के लिये वंश उत्पन्न करे।
22:24 Saying, Master, Moses said, If a man die, having no children, his brother shall marry his wife, and raise up seed unto his brother.
22:25 अब हमारे यहां सात भाई थे; पहिला ब्याह करके मर गया; और सन्तान न होने के कारण अपनी पत्नी को अपने भाई के लिये छोड़ गया।
22:25 Now there were with us seven brethren: and the first, when he had married a wife, deceased, and, having no issue, left his wife unto his brother:
22:26 इसी प्रकार दूसरे और तीसरे ने भी किया, और सातों तक यही हुआ।
22:26 Likewise the second also, and the third, unto the seventh.
22:27 सब के बाद वह स्त्री भी मर गई।
22:27 And last of all the woman died also.
22:28 सो जी उठने पर, वह उन सातों में से किस की पत्नी होगी? क्योंकि वह सब की पत्नी हो चुकी थी।
22:28 Therefore in the resurrection whose wife shall she be of the seven? for they all had her.
22:29 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, कि तुम पवित्र शास्त्र और परमेश्वर की सामर्थ नहीं जानते; इस कारण भूल में पड़ गए हो।
22:29 Jesus answered and said unto them, Ye do err, not knowing the scriptures, nor the power of God.
22:30 क्योंकि जी उठने पर ब्याह शादी न होगी; परन्तु वे स्वर्ग में परमेश्वर के दूतों की नाईं होंगे।
22:30 For in the resurrection they neither marry, nor are given in marriage, but are as the angels of God in heaven.
22:31 परन्तु मरे हुओं के जी उठने के विषय में क्या तुम ने यह वचन नहीं पढ़ा जो परमेश्वर ने तुम से कहा।
22:31 But as touching the resurrection of the dead, have ye not read that which was spoken unto you by God, saying,
22:32 कि मैं इब्राहीम का परमेश्वर, और इसहाक का परमेश्वर, और याकूब का परमेश्वर हूं वह तो मरे हुओं का नहीं, परन्तु जीवतों का परमेश्वर है।
22:32 I am the God of Abraham, and the God of Isaac, and the God of Jacob? God is not the God of the dead, but of the living.
22:33 यह सुनकर लोग उसके उपदेश से चकित हुए।
22:33 And when the multitude heard this, they were astonished at his doctrine.
22:34 जब फरीसियों ने सुना, कि उस ने सदूकियों का मुंह बन्द कर दिया; तो वे इकट्ठे हुए।
22:34 But when the Pharisees had heard that he had put the Sadducees to silence, they were gathered together.
22:35 और उन में से एक व्यवस्थापक ने परखने के लिये, उस से पूछा।
22:35 Then one of them, which was a lawyer, asked him a question, tempting him, and saying,
22:36 हे गुरू; व्यवस्था में कौन सी आज्ञा बड़ी है?
22:36 Master, which is the great commandment in the law?
22:37 उस ने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख।
22:37 Jesus said unto him, Thou shalt love the Lord thy God with all thy heart, and with all thy soul, and with all thy mind.
22:38 बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है।
22:38 This is the first and great commandment.
22:39 और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।
22:39 And the second is like unto it, Thou shalt love thy neighbour as thyself.
22:40 ये ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं का आधार है॥
22:40 On these two commandments hang all the law and the prophets.
22:41 जब फरीसी इकट्ठे थे, तो यीशु ने उन से पूछा।
22:41 While the Pharisees were gathered together, Jesus asked them,
22:42 कि मसीह के विषय में तुम क्या समझते हो? वह किस का सन्तान है? उन्होंने उस से कहा, दाऊद का।
22:42 Saying, What think ye of Christ? whose son is he? They say unto him, The son of David.
22:43 उस ने उन से पूछा, तो दाऊद आत्मा में होकर उसे प्रभु क्यों कहता है?
22:43 He saith unto them, How then doth David in spirit call him Lord, saying,
22:44 कि प्रभु ने, मेरे प्रभु से कहा; मेरे दाहिने बैठ, जब तक कि मैं तेरे बैरियों को तेरे पांवों के नीचे न कर दूं।
22:44 The LORD said unto my Lord, Sit thou on my right hand, till I make thine enemies thy footstool?
22:45 भला, जब दाऊद उसे प्रभु कहता है, तो वह उसका पुत्र क्योंकर ठहरा?
22:45 If David then call him Lord, how is he his son?
22:46 उसके उत्तर में कोई भी एक बात न कह सका; परन्तु उस दिन से किसी को फिर उस से कुछ पूछने का हियाव न हुआ॥
22:46 And no man was able to answer him a word, neither durst any man from that day forth ask him any more questions.