तुम रोओगे और विलाप करोगे... तुम्हारा शोक आनन्द में बदक जाएगा।’ (यूहन्ना, 16: 20)
आप सभी भाई ,बहनों पास्टर और प्रचारक को प्रभु यीशु मसीह के मधुर और मीठे नाम में जय मसीह की
यीशु को सलीव की मौत दी गई थी। उसके शिष्य व्याकुल और निराश हो गए थे। उनकी सब आशाएँ उसी पर थी - अब वह कबर में मृतक पड़ा था।
परन्तु तीसरे दिन वह जी उठा। उसके शिष्यों ने अवश्य ही उन शब्दों को याद रखा होगा जिन्हें कि उसने उनसे अपनी मृत्यु के पहले कहा था: जो ऊपर लिखा है
अपने प्यारे प्रभु और स्वामी को फिर देखने में उन्हें कितना आनन्द हुआ होगा! यूहन्ना हमें बताता है, ‘तब चेले प्रभु को देखकर आनन्दित हुए’ (यूहन्ना, अध्याय 20, पद 20)।
हम उनके आनन्द का अन्दाजा नही लगा सकते हैं।
जब यीशु स्वर्ग चला गया
प्ररितों के काम के पहले अध्याय के प्रथम आठ पदों को फिर से पढ़िये। कल्पना कीजिये कि जी उठने के बाद चालीस दिनों तक जब यीशु अपने शिष्यों के बीच में रहा और फिर से उन्हें शिक्षा देते रहा तो वे कितने आनन्दित हुए होंगे।
चालीस दिनों के बाद आप उन्हें और उनके बीच यीशु को बैतनिय्याह की हरी पहाड़ियों पर खड़ा देखते हैं। अचानक वह उनके बीच में से ऊपर स्वर्ग पर उठा लिया गया। कितने अचम्भे से वे उस दृश्य को निहार रहे होंगे जब उन्उसने पृथ्वी को छोड़ा और एक बादल ने उसे उनकी आखों से छिपा लिया। फिर से वह उनसे ले लिया गया। लेकिन इस समय वे न विस्मित हुए और न निराश हुए; बिल्कुल भी नही!
लूका हमें बताता है,
‘वह उनसे अलग हो गया और स्वर्ग पर उठा लिया गया। तब वे उसको दण्डवत् करके बड़े आनन्द से यरूशलेम को लौट गए।’ (लूका 24:51-52)
दूसरी बार उनसे अलग होने पर वे इतने आनन्दित क्यों थे? इसलिये कि यीशु ने उनसे एक प्रतिज्ञा की थी। उसने कहा था,
‘देखो, मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूँ।’ (मत्ती, अध्याय 28, पद 20)
वे जानते थे कि कुछ भी हो जाए, वह स्वर्ग से उनकी चौकसी करता रहेगा।
परन्तु सिर्फ इतना ही नहीं। जब वे उसे स्वर्ग में जाते हुए देख रहे थे, दो स्वर्गदूत एक संदेश लेकर उनके पास आए। उन्होंने कहा,
‘हे गलीली पुरूषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा।’ (प्रेरितों के काम 1:11)
यह छोटा सा पद इतना महत्वपूर्ण है कि इसे हमेशा याद रखना चाहिये। जब शिष्य यरूशलेम को अपने प्रभु की आज्ञाओं का पालन करने वापस लौटे, तो उन्हें पक्का विश्वास था कि यीशु खुद पृथ्वी पर वापस लौटेगा। इस बात ने उनहें बहुत आनन्दित किया।
यीशु ने कहाँ था ऊन से
यह सब 2016 वर्ष पूर्व हुआ और यीशु अभी तक वापस नहीं आये है।
परन्तु वह अवश्य आयेंगे। उन्होंने स्वंय ऐसा कहा। लूका के 21 वें अध्याय और 27 वें पद में व़े स्वंय बादल पर सामर्थ और बड़ी महिमा के साथ पृथ्वी पर वापिस आने के विषय में बताते है। (क्या आपने ध्यान दिया कि वे बादल में गये? और यह भी कि स्वर्गदूतों ने कहा कि जिस रीति से उन्होंने उसे ऊपर जाते देखा उसी रीति से वह लौटेगा?)
बहुत से दृष्टांत भी यीशु के पुनः आगमन के बारे में बताते हैं। उदाहरण के लिए मत्ती के 25 वें अध्याय और उसके पहले 13 पद में दिए हुए दृष्टांत को लीजिए।
इसमें एक दूल्हे के बारे में लिखा है, और क्योंकि यह एक विवाह का दृश्य है तो इसे समझना हमारे लिए मुश्किल नही है। यह दूल्हा वास्तव में और कोई नही मसीह है, और यह कहानी हमें चेतावनी देती है कि जब वह आएगा तो कुछ लोग ऐसे भी रहेंगे जो उसके आने के लिए तैयार न होंगे।
तेरवें पद को देखिये। यीशु ऐसा नही कहते है कि, "तुम नही जानते हो कि तुम्हारा प्रभु आएगा या नहीं" उसका आना निश्चित है। इसमें कोई सन्देह नहीं। परन्तु वे यह कहते है,
‘तुम न उस दिन को जानते हो, न उस घड़ी को, जब मनुष्य का पुत्र लौटेगा।’ (मत्ती 25:13)
प्रकाशितवाक्य में यीशु ने अपने अन्तिम सन्देश में कहा,
प्रभु यीशु आप सभी कॊ इस वचन के द्वारा आशिष देवे और दूसरे आगमन के लीये रेडी करे