जो कुछ तुम प्रार्थना कर के मांगो तो प्रतीति कर लो कि तुम्हें मिल गया
और तुम्हारे लिये हो जाएगा।
( मरकुस 11: 24)
आप सभी भाई ,बहनों पास्टर और प्रचारक और युवा मित्र साथियों को प्रभु यीशु मसीह के मधुर और मीठे नाम में जय मसीह की
प्रार्थना करने वाले बहुत लोग है । लेकिन कुछ लोग प्रतिदिन प्रार्थना करते है ।
कुछ लोग समय मिलने पर प्रार्थना करते है और कुछ लोग तो प्रार्थना ही नहीं करते है ।
मेरे भाई और बहनों प्रार्थना एक विस्वाशी के लिये प्राण वायु की तरह है ।
जी विस्वाशी प्रार्थना नही करता वह उस मछली के समान है जो पेड़ पर अपना घर बनाना चाहती है
जो असभव है । इसीलिए जिस प्रकार मछली पेड़ पर नही रह सकती है , उसी प्रकार एक विस्वासी
प्रार्थना के बिना जीवित नही रह सकता है।
परमेश्वर हमारी प्रार्थना सुनकर उतर देता है लेकिन कुछ विषयों के लिए प्रार्थना करने के बाद भी
उतर नही मिलने पर अनेक लोग दुःखी है । वे कहते है की परमेश्वर उनकी प्रार्थना नही सुनता है ।
लेकिन हमे यह समझने की जरूरत है जी परमेश्वर हमारी प्रार्थना को सुनने के लिए कुछ बाते है।
लक्षय के बिना बन्दुक चलाने वाले शिकारी की तरह की जाने वाली प्रार्थना का कोई फल नही है ।
कुछ लोग प्रार्थना को केवल रिवाज की तरह करते है इससे कुछ फायदा नही है। प्रभु यीशु की प्रार्थना
को बिना मतलब समझे बार बार दोहराना व्यर्थ है यदि हम चाहते है की प्रभु हमारी प्रार्थना को सुन ले
तो हमारी प्रार्थना में कुछ मूल बाते अवयस होनी चाहिए । प्रभु यीशु ने इन बातो की हमे सिखया है ।(मत्ती 6: 9-13)
* स्वर्गीय पिता- पिता से यीशु के माध्यम से हमारा सम्बन्ध होना है ( खून का रिश्ता )अन्य लोगो की प्रार्थना परमेश्वर नही सुनता है ।
पापियों की प्रार्थना से परमेश्वर नफरत करता है।
* तेरा नाम पवित्र माना जाए - परमेश्वर पवित्र है इसीलिए हमे भी पवित्रता से जीवन बिताना है।
तब ही परमेश्वर का नाम पवित्र माना जायगा । अपवित्र लोगो की प्रार्थना को परमेश्वर ग्रहण नहीं करेगा।
* तेरा राज्य आवे - परमेश्वर के राज्य के सदस्यों को उसकी आज्ञा का पालन करना है।
* तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी होवे -
परमेश्वर के राज्य के सदस्यों क परमेश्वर की इच्छानुसार चलना है।
* हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे - हमारी जरूरते पाचवे स्थान पर है।
* जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर- जो परमेश्वर से क्षामा चाहते है प
पहले वे क्षमा करना सीखे जो हमसे बुरा करते है अगर हम उन्हें क्षमा ना करे तो हम कैसे सोच सकते है की परमेश्वर हमारे पाप क्षमा करेगा ?
इसीलिय पहले हम दुसरो को क्षमा करना है तब परमेश्वर हमारी क्षमा प्रार्थना का जबाब देगा।
* हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा - परमेश्वर हमारी परीझा नही करता
लेकिन वह सैतान को अनुमति देता की हम परखे जाए भीर भी वह हमे हर एक बुराई से बचाता है।
पहले चार बिंदु के बाद ही हमारी आवश्यकताओ को बताना है।
इसका तात्पय है की हमारे जीवन को पहले सही करना है तभी परमेश्वर हमारी प्रार्थना को सुनेगा।
अपने हद्रय को निष्कपट रूप से परमेश्वर के चारणो में रखना ही प्रार्थना है ।
अन्य शब्दों में परमेश्वर से बाते करते हुए सपर्क में रहना ही प्रार्थना है हम जिस व्यक्ति से प्रेम करते है
उनसे बाते करना और संपर्क में रहना हमे अच्छा लगता है उस व्यक्ति की आवाज को जल्द ही हम पहचान
लेते है प्रार्थना द्रारा परमेश्वर से निरंतर संपर्क हमे धीरज के साथ पवित्रता में स्थायी रहने में मदद करता है ।
प्रार्थना से हम परमेश्वर के निकट बने रहेंगे और उसका आन्नद भी अनुभव कर सकेंगे
प्रभु यीशु मशीह इस वचनों के द्वारा आप सभी को आशीष देवे आमीन