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Thursday, 2 April 2020

सातवीं वाणी: लुक 23:46 और यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा; हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं ।

सातवीं वाणी: जिसे यीशु ने क्रूस पर कही ।

लुक 23:46 और यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा; हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूं ।

यीशु ने पुकार कर क्यों कहा ? क्या हमारा पिता धीरे बोलने से नहीं सुनता ? हमारा पिता यदि हम मन में भी दुआ करें, तौभी वह हमारी प्रार्थना को सुनने की सामर्थ रखता है, तो फिर यीशु ने बड़े जोर से पुकार कर क्यों कहा है? हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सोता हूं । इस पृथ्वी पर तीन प्रकार के लोग रहते हैं ।
1. नास्तिक : जो परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते; जैसे आतंकवादी और नक्सलवादी
2 शारीरिक लोग : वे शरीर की आवश्यकता की पूर्ति के लिए ही परमेश्वर के करीब आते हैं ,पापों से उद्धार की चाहत उनमें नहीं होती ।
3. आत्मिक लोग: ये वे लोग हैं जो पापों से उद्धार पाने की लालसा से प्रभु यीशु के पास आते हैं ।
      जिन्होंने यीशु को क्रूस पर चढ़वाया  था । वे सभी शारीरिक लोग थे । जिन्हें पापों से उद्धार पाने की लालसा नहीं थी ।उनके लिए शरीर और संसार की वस्तुएं ही सब कुछ थी । वे पाप में जीवन बिता रहे थे । जिसके कारण वे प्रभु यीशु के द्वारा किए गए सामर्थ के कामों को नकार रहे थे । प्रभु यीशु ने बीमारों को चंगा किया, कोड़ियों को शुद्ध किया ,उन्होंने दुष्टआत्मा को निकाला ,यहां तक कि 4 दिन के मरे हुए लाजर को मुर्दो में से जीवित किया । जब यीशु ने लाजर को जीवित किया , तब बहुत से यहूदी यीशु की ओर फिर गए ,तब शास्त्री और फरीसियों, महायाजकों ने लाजर को ही खत्म कर देने की साजिश की । ताकि लोग यीशु की ओर ना फिरे । वे समझ रहे थे, कि यीशु इस जगत का राजा  बन जाएगा । वे लोग प्रभु यीशु को परमेश्वर का पुत्र नहीं मानते थे । जबकि प्रभु यीशु अपने वचन में कहते हैं :
यूहन्ना 11:25 ,26 यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है, वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा।  और जो कोई जीवता है, और मुझ पर विश्वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा ।
यूहन्ना 10:15 इसी तरह मैं अपनी भेड़ों को जानता हूं, और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं, और मैं भेड़ों के लिये अपना प्राण देता हूं।
यूहन्ना 10:17,18 पिता इसलिये मुझ से प्रेम रखता है, कि मैं अपना प्राण देता हूं, कि उसे फिर ले लूं । कोई उसे मुझ से छीनता नहीं, वरन मैं उसे आप ही देता हूं: मुझे उसके देने का अधिकार है, और उसे फिर लेने का भी अधिकार है: यह आज्ञा मेरे पिता से मुझे मिली है॥

        उपरोक्त वचनों के द्वारा प्रभु यीशु ने यह प्रगट कर दिया था, कि मैं भेड़ों के लिए अपना प्राण देता हूं, मुझे प्राण देने का भी अधिकार है ,और उसे फिर लेने का भी अधिकार है । लेकिन जिन यहूदियों ने यीशु को क्रूस पर लटकवाया था, वे प्रभु यीशु के किसी वचनों पर और कामों पर विश्वास नहीं कर रहे थे । जिसके कारण भीड़ को सुनाते हुए यीशु ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा : हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौपता हूं ,और यह कहकर प्राण छोड़ दिए। बाइबल धर्मशास्त्र बताती है; जैसे ही यीशु ने प्राण त्यागा मंदिर का पर्दा  फटकर दो भागों में विभाजित हो गया ।

मत्ती 27:51-54 और देखो मन्दिर का परदा ऊपर से नीचे तक फट कर दो टुकड़े हो गया: और धरती डोल गई और चटानें तड़क गईं। और कब्रें खुल गईं; और सोए हुए पवित्र लोगों की बहुत लोथें जी उठीं। और उसके जी उठने के बाद वे कब्रों में से निकलकर पवित्र नगर में गए, और बहुतों को दिखाई दिए।  तब सूबेदार और जो उसके साथ यीशु का पहरा दे रहे थे, भुईंडोल और जो कुछ हुआ था, देखकर अत्यन्त डर गए, और कहा, सचमुच “यह परमेश्वर का पुत्र था”।

         उपरोक्त वचनों से यह स्पष्ट होता है ,कि यीशु सचमुच में परमेश्वर का पुत्र है,और इस पृथ्वी पर हम मनुष्य जाति को हमारे पापों से उद्धार देने के लिए क्रूस पर बलिदान हुए ।यीशु हम मनुष्यों से बहुत अधिक प्यार करते हैं ,वे नहीं चाहते कि हम पाप करते हुए मर के नरक में डाले जाए ,और अनंत काल तक पीड़ा में तड़पते रहे । इसलिए जोर से पुकार कर कहा है, हे पिता मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सोचता हूं ,और यह कहकर प्राण को छोड़ दिए ।ताकि लोग जान सके कि वह परमेश्वर का पुत्र और उद्धार करता है । फिर उसे कबर में रखा गया , यीशु अपने वचन के अनुसार तीसरे दिन मुर्दो में से जी उठे । 40 दिन लोगों को दिखाई दिए । अपने चेलों से बातचीत की ।फिर सबके देखते स्वर्ग पर चढ़ गए । यीशु आज भी जीवित है ।
 परमेश्वर हमसे बहुत अधिक प्यार करते हैं बाइबल हमें बताती है :
यहेजकेल 33:11" सो तू उन से यह कह, परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न नहीं होता, परन्तु इस से कि दुष्ट अपने मार्ग से फिर कर जीवित रहे; हे इस्राएल के घराने, तुम अपने अपने बुरे मार्ग से फिर जाओ; तुम क्यों मरो? "

 हा प्रियो, परमेश्वर नही चाहता कि हम नाश हो, नही चाहता कि हम उसके क्रोध का सामना करे । परमेशर हमारे लिए दुखी है । लेकिन वह न्यायी ओर पवित्र परमेशवर है , हम उसकी पवित्र के सामने खड़े नही हो सकते , पापी उसकी निकटता में भस्म हो जाते है , इसलिए परमेश्वर बार बार पापों से मन फिरने के लिए अपने दास, भवियवक्ताओ द्वारा कहता है । परमेश्वर यिर्मयाह भविष्यवक्ता के द्वारा अपने प्रेम को प्रगट करते हुए कहते है :
यिर्मयाह 9:1 भला होता, कि मेरा सिर जल ही जल, और मेरी आंखें आँसुओं का सोता होतीं, कि मैं रात दिन अपने मारे हुए लोगों के लिये रोता रहता।

प्रियो, जैसा परमेश्वर हम से प्यार करते है, वैसे ही प्रभु यीशु भी हम मनुष्यों से प्यार करते है । बाइबिल धर्मशास्त्र में यीशु के प्रेम के लिए भविष्यवाणी की है  :

विलापगीत 3:48-50 मेरी आंखों से मेरी प्रजा की पुत्री के विनाश के कारण जल की धाराएं बह रही है। मेरी आंख से लगातार आंसू बहते रहेंगे,  जब तक यहोवा स्वर्ग से मेरी ओर न देखे; । विलापगीत 3:48-59 तक पढ़े ।

प्रियों ,यीशु का क्रूस पर बलिदान , प्यार किसी के लिये व्यर्थ न जाने पाए । तो आओ अपने अपने पापों को यीशु के आगे काबुल करे । पापों की माफी के लिए सच्चे मन से गिड़गिड़ा कर यीशु मसीह से प्रार्थना करे । प्रभु यीशु आप सभी को जरूर माफ़ करेंगे । फिर पाप कर अपने आप को अशुद्ध न करे , तब जब यीशु अपने चुने लोगों को लेने आएंगे, तो आप भी यीशु के साथ स्वर्ग में जा सकोगें  । परमेश्वर इस वचन के द्वारा आप सभों को बहुतायत की आत्मिक आशीष को दे । अमीन

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छठवीं वाणी: यीशु ने वह सिरका लिया तो कहा पूरा हुआ और सिर झुका कर प्राण त्याग दिए ।

छठवीं वाणी: जिसे यीशु ने क्रूस पर कही ।

प्रभु यीशु ने क्रूस पर कुल 7 वाणी को कहा । जिसमें से यह छठवी वाणी  है :
यूहन्ना 19:30" जब यीशु ने वह सिरका लिया तो कहा ," पूरा हुआ " और सिर झुका कर प्राण त्याग दिए ।"

प्रभु यीशु किस काम को पूरा करने आए थे ? प्रभु यीशु अपने वचन में कहते हैं ।

मत्ती 5:17,18  यह न समझो कि में व्यवस्था या भविष्यवक्ताओं की पुस्तक को लोप करने आया हूं लोप करने नहीं परंतु पूरा करने आया हूं । " बाइबिल इस बात को प्रकट करती है :
रोमियो 5:12 इसलिए जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति मृत्यु (नरक का दंड)  सब मनुष्यों में फैल गयी , इसलिए कि सबने पाप किया ।"

बाइबल धर्म शास्त्र  यह प्रगट करता है, कि पाप के कारण हम सब नरक के दंड के योग्य थे, क्योंकि परमेश्वर अति पवित्र है, उस की पवित्र के सामने पापी मनुष्य ठहर नही सकते । तुरंत ही भस्म हो जाते ,और हम पापी , लेकिन परमेश्वर हम मनुष्यों से प्यार करते है । इसलिए नहीं चाहता कि कोई प्राणी नरक में डाला जाए । इसलिए परमेश्वर ने अपनी चुनी हुई जाति को पवित्र करने के लिए अपने दास मूसा नबी के द्वारा पापी मनुष्य को शुद्ध होने की व्यवस्था ठहराई । परमेश्वर ने मूसा नबी से कहा, एक मंदिर बनाओ और उस मंदिर में तीन भाग बनाए जाए, प्रथम भाग महापवित्र स्थान, दूसरा भाग उसी से लगा पवित्रस्थान बनाना । महापवित्र स्थान और पवित्रस्थान के बीच एक पर्दा लगाना, ताकि वह दो भागों में विभाजित रहे । महापवित्र स्थान में कोई आने जाने ना पाए । मैं वहां उपस्थित रहा करूंगा । यदि कोई अपवित्र, पापी जान वहां मेरी उपस्थिति में आए , तो मेरी पवित्रता में भस्म हो जाएगा ।अतः जिसे मैं पवित्र ठहराउ , वही याजक का काम करें । तीसरा भाग साधारण लोगों के बैठने के लिए बनाना। फिर परमेश्वर ने मूसा नबी से कहा ; मैं जिसे याजक होने को पवित्र ठहराउ , वही याचक का काम करें । याजक में कोई दोष ना हो ।याजक अपने आप को दोषमुक्त करें । वही याजक महापवित्र स्थान में प्रवेश करने पाए । तब परमेश्वर ने मूसा नबी से कहा ;

लैव्यव. 4:13-20 और यदि इस्त्राएल की सारी मण्डली अज्ञानता के कारण पाप करे और वह बात मण्डली की आंखों से छिपी हो, और वे यहोवा की किसी आज्ञा के विरुद्ध कुछ करके दोषी ठहरें हों;  तो जब उनका किया हुआ पाप प्रगट हो जाए तब मण्डली एक बछड़े को पापबलि करके चढ़ाए। वह उसे मिलापवाले तम्बू के आगे ले जाए, और मण्डली के वृद्ध लोग अपने अपने हाथों को यहोवा के आगे बछड़े के सिर पर रखें, और वह बछड़ा यहोवा के साम्हने बलि किया जाए। और अभिषिक्त याजक बछड़े के लोहू में से कुछ मिलापवाले तम्बू में ले जाए; और याजक अपनी उंगली लोहू में डुबो डुबोकर उसे बीच वाले पर्दे के आगे सात बार यहोवा के साम्हने छिड़के। और उसी लोहू में से वेदी के सींगों पर जो यहोवा के आगे मिलापवाले तम्बू में है लगाए; और बचा हुआ सब लोहू होमबलि की वेदी के पाए पर जो मिलापवाले तम्बू के द्वार पर है उंडेल दे। और वह बछड़े की कुल चरबी निकाल कर वेदी पर जलाए। और जैसे पापबलि के बछड़े से किया था वैसे ही इस से भी करे; इस भांति याजक इस्त्राएलियों के लिये प्रायश्चित्त करे, तब उनका पाप क्षमा किया जाएगा। "

 बाइबल धर्मशास्त्र में परमेश्वर का वचन इस प्रकार कहता है ।

लैव्यवस्था 17:11 "क्योंकि शरीर का प्राण लहू में रहता है और उसको मैंने तुम लोगों को वेदी पर चढ़ाने के लिए दिया है कि तुम्हारे प्राणों के लिए प्रायश्चित किया जाए क्योंकि प्राण के कारण लहू ही से प्रायश्चित होता है ।"

          उस व्यवस्था के द्वारा जब कोई पापी मनुष्य पाप करता , तो अपने पापों के प्रायश्चित के लिए निर्दोष पशु के पहिलौठे बच्चे को याजक के पास लाकर बलिदान करवाता । एवं याजक बलि पशु का बलिदान कर रक्त महापवित्र स्थान में ले जाता एवं बली पशु का रक्त परमेश्वर की उपस्थिति में पवित्र हो जाता ।  इस प्रकार पापी मनुष्य पापों के प्रायश्चित के लिए पहिलौठे पशु को याजक के पास ले जा कर बलिदान करवाकर पाप मुक्त , दोष मुक्त होता । इस बलिदान की व्यवस्था के द्वारा पापी मानुष बार-बार पाप कर निर्दोष पशु को बलिदान करवाता ,और पवित्र होने के व्यवस्था को काम में लाता था , लेकिन उसके मन में पापों के लिए सच्चा प्रायश्चित नहीं होता । क्योंकि मनुष्य उच्च श्रेणी का प्राणी और पशु निम्न श्रेणी का । इस व्यवस्था को परमेश्वर ने सैंपल के रीती पर रखा था । परमेश्वर देखना चाहता था, कि इस व्यवस्था का मानव जाति पर क्या प्रभाव पड़ता है । जब परमेश्वर ने देखा इस व्यवस्था के द्वारा मनुष्य में सच्चा प्रायश्चित उत्पन्न नहीं होता । वह बार-बार पाप कर दोषी ठहरता है । इसलिए अपने ही इकलौते पुत्र को इस जगत में निर्दोष बलिदान होने के लिए भेज दिया । परमेश्वर का वचन बाइबल धर्मशास्त्र में इस प्रकार कहता है ।

यूहन्ना 3:16 क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा,  कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे ,वह नाश ना हो ,परंतु अनंत जीवन पाए ।
अतः परमेश्वर ने हम मनुष्यो को हमारे पापों से उद्धार देने के लिए अपने इकलौते पुत्र को क्रूस पर कुर्बान होने के लिए दे दिया ।प्रभु यीशु हमारे पापों की सजा को क्रूस पर उठा लिये , तथा तीसरे दिन मुर्दो में से जीवित हो गए । 40 दिन चेलो से बातचीत की, फिर सबके देखते स्वर्ग पर  चढ़ गए ।और परमेश्वर पिता की दाहिनी ओर जा बैठे । यीशु आज भी जीवित ही ।अतः परमेश्वर का वचन बाइबल धर्मशास्त्र में इस प्रकार कहता है ।

इब्रानियों 19:12-15 " बकरों और बछड़ों के लहू के द्वारा नहीं पर अपने ही लहू के द्वारा एक ही बार पवित्र स्थान में प्रवेश किया, और अनंत छुटकारा प्राप्त किया ।क्योंकि जब बकरों और बैलों का लहू और बछड़े की राख अपवित्र लोगों पर छिड़के जाने से शरीर की शुद्धता के लिए पवित्र करती है, तो मसीह का लहू जिसने अपने आप को सनातन आत्मा के द्वारा परमेश्वर के सामने निर्दोष चढ़ाया ,तुम्हारे विवेक को मरे हुए कामों से क्यों न शुद्ध करेगा ।ताकि तुम जीवते परमेश्वर की सेवा करो और इसी कारण वह नई वाचा का मध्यस्थ है, ताकि उस मृत्यु के द्वारा जो पहेली वाचक के समय के अपराधों से छुटकारा पाने के लिए हुई है, बुलाए हुए लोग प्रतिज्ञा के अनुसार अनंत मिरास को प्राप्त करें ।"
अतः प्रभु यीशु हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए क्रूस पर बलिदान हुए , ताकि हमें हमारे पापों से उद्धार मिले । बाईबल बताती है :
प्रेरितो के काम 4:12 और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं ,क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिसके द्वारा हम उद्धार पा सके ।"

प्रियो, तो आइए आज ही अपने अपने पापों को प्रभु यीशु के आगे मान ले और शमा प्राप्त करने के बाद पाप ना करें । परमेश्वर आप सभों  को हर पाप पर जय की सामर्थ प्रदान करे एवं स्वर्गीय राज्य के योग्य बनाये । बाइबिल यह भी बताती है :

इब्रानियों 10:26 , 27 क्योंकि सच्चाई की पहचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जानबूझकर पाप करते रहें, तो पापों के लिए फिर कोई बलिदान बाकी नहीं, हा दंड का एक भयानक बाट जोहना और आग की ज्वलन बाकी है ,जो विरोधियों को भस्म कर देगी । "
परमेश्वर आप सभों को इस वचन के द्वारा बहुतायत की आशीष प्रदान करे ,और पवित्र जीवन जीने की सामर्थ प्रदान करें ।और परमेश्वर का अनुग्रह आप सभों पर सदा बना रहे । अमीन

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पाँचवी वाणी : मैं प्यासा हूं | यीशु ने यह जानकर कि अब सब कुछ हो चुका इसलिये कि पवित्र शास्त्र की बात पूरी हो कहा " मैं प्यासा हूं "

पाँचवी वाणी : जिसे प्रभु यीशु ने क्रूस पर कही ।
          " मैं प्यासा हूं  "
यूहन्ना 19:28 इस के बाद यीशु ने यह जानकर कि अब सब कुछ हो चुका; इसलिये कि पवित्र शास्त्र की बात पूरी हो कहा, मैं प्यासा हूं। "
प्रभु यीशु परमेश्वर की आज्ञानुसार इस जगत में हम पापी लोगों को हमारे पापों से उद्धार देने आए । प्रभु यीशु के इस जगत में जन्म लेने से पहले परमेश्वर ने अपने दास भविष्यवक्ताओं के द्वारा भविष्यवाणी कर बतला दिया था कि यीशु का जन्म किस रीति से होगा, उसकी मृत्यु क्रूस पर किस रीति से होगी , उस पर क्या क्या बीतेगा । इस लिए यीशु ने कहा : यह जान कर की अब सब कुछ हो चुका कहा " मैं प्यासा हूं । "
इस वाणी के द्वारा हम तीन बातो को बाइबिल से जानने पाह एंगे :

1. यीशु को क्रूस पर चढ़ाते वक्त कौन कौन सी भविष्यवाणी परमेश्वर ने पहले से अपने दास भविष्यवक्ताओं द्वारा की ।

2. यीशु को प्यास लगी : दो प्रकार की :
      1ला -पापी लोगों को नाश होने से बचाने की प्यास ।
      2रा-शारिरिक प्यास
3. हम पापी लोगों को पापों से उद्धार की भूख- प्यास होना आवश्यक है ।
1. यीशु ही इस जगत का उद्धार कर्ता है । परमेश्वर ने यीशु के विषय में क्या क्या भसविष्यवानी की जाने :

यशायाह 53:8 अत्याचार कर के और दोष लगाकर वे उसे ले गए;
      प्रियों, यीशु ने कोई पाप न किया था । उन्होंने इस जगत में बीमारों को  चंगा किया , कोढियों को शुध्द किया, जन्म के अंधे देखने लगे, मुर्दो को जिलाया । ओर बहुत से भले कामों को किया । यीशु में उन्होंने कोई दोष न पाया तब झुटे दोष लगाया और उसे गिरफ्तार किया । ये भविष्यवाणी यीशु के जीवन में पूरी हुई । एक ओर वचन को पढ़ेंगे , जो मिलता है :
यशायाह 53:5 परन्तु वह हमारे ही अपराधो के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के हेतु कुचला गया; हमारी ही शान्ति के लिये उस पर ताड़ना पड़ी कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाएं। "
   प्रभु यीशु हमारे पापों की सजा को उठाएगा ओर उसे कोड़ों से मारा जाएगा । कि उसके कोड़े खाने से हम चंगे हो जाये । एक ओर वचन को पढ़ेंगे ।जो मिलता है :

भजन संहिता 22:16 क्योंकि कुत्तों ने मुझे घेर लिया है; कुकर्मियों की मण्डली मेरी चारों ओर मुझे घेरे हुए है; वह मेरे हाथ और मेरे पैर छेदते हैं। "
    प्रियो, जैसे इस पद में लिखा है कि कुत्तो ने मुझे घेर लिया ।मतलब लालची लोग जो कुत्तों का स्वभाव रखते है । अपने लाभ के लिए निर्दोष की हानि करने से नही रुकते । इस लिए लिखा है कुत्तों ने मुझे घेर लिया । यीशु को दुष्ट पापी लोगों ने क्रूस पर चढ़ाया था , यहूदा पलटन और महायाजकों, फरीसियों के प्यादों ने यीशु को क्रूस पर चढ़ाया। यीशु के चेले धर्मी लोग  डर के मारे अपने को छुपा कर रखे हुए थे । ये भविष्यवाणी भी यीशु के विषय मे पूरी हुई। एक ओर वचन को पढ़ेंगे जो मिलता :

भजन संहिता 22:18 वे मेरे वस्त्र आपस में बांटते हैं, और मेरे पहिरावे पर चिट्ठी डालते हैं।

    प्रभु यीशु बिना सिला कपड़ा पहनते थे जिसे महायाजकों ,ओर फरीसियों के प्यादों, सिपाहियों ने उत्तर लिया था । और उस पर चिठ्ठी डाली थी । जिसे यूहन्ना 19:23 में पड़ सकते है :
  जब सब भविष्यवाणी यीशु के जीवन मे पूरी हो चुकी तब यीशु ने कहा : मैं प्यासा हूं ।
2. यीशु को प्यास लगी : दो प्रकार की :
   1.  पापी लोगों को नरक में नाश होने से बचने की प्यास : जब यीशु क्रूस पर लटके थे उनके चारों ओर दुष्ट पापी लोग खड़े थे  । जिन्हें अपने पापों के लिए कोई पश्चाताप नही था । उन्हें नाश होते देख यीशु ने कहा" मैं प्यासा हूं ।" यीशु ने अपने चेलों से कहा था :

यूहन्ना 4:34 यीशु ने उन से कहा, मेरा भोजन यह है, कि अपने भेजने वाले की इच्छा के अनुसार चलूं और उसका काम पूरा करूं। " एक ओर वचन को पड़ेंगे :

यूहन्ना 6:38-40 क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, वरन अपने भेजने वाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूं। और मेरे भेजने वाले की इच्छा यह है कि जो कुछ उस ने मुझे दिया है, उस में से मैं कुछ न खोऊं परन्तु उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊं।क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है, कि जो कोई पुत्र को देखे, और उस पर विश्वास करे, वह अनन्त जीवन पाए; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा। "
  हा प्रियों , यीशु हमें अनंत जीवन देने के लिए इस जगत में आये थे  । इसलिए एक ओर जगह यीशु ने अपने वचन में कहा :
यूहन्ना 7:37,38 फिर पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पीए। जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्र शास्त्र में आया है उसके ह्रृदय में से जीवन के जल की नदियां बह निकलेंगी। "

     प्रियों, यीशु हमें अनंत जीवन , स्वर्गीय जीवन देने आया था । उन्हें जो पापों से उद्धार पाने की भूख और प्यास को रखते है । उनके हृदय से जीवन जल की नदियां बह निकलेगी यीशु ने कहा । इस लिए प्रियों हमें उद्धार की भुख ओर प्यास का होना जरूरी है । तभी हम अपने आप को पापों से बचाये रख सकते है ।

2 . यीशु को शारिरिक प्यास भी लगी थी । यीशु हमारी ही तरह हड्डी ओर मास का था । पूर्ण मनुष्य रूप में जन्म लेने के कारण जैसा दर्द हम शरीर में महसूस करते है वैसा ही दर्द यीशु को भी हो रहा था , लेकिन यीशु की यातना बहुत अधिक होने के कारण , ओर भूखे प्यासे होने के करण यीशु को भी प्यास लगी । और यीशु ने कहा : मैं प्यासा हूं ।इसके साथ यीशु के लिए की गई भविष्यवाणी भी पूरी हुई जो मिलती है :
भजन संहिता 69:21 और लोगों ने मेरे खाने के लिये इन्द्रायन दिया, और मेरी प्यास बुझाने के लिये मुझे सिरका पिलाया॥
    प्रियो, जब यीशु ने कहा , मैं प्यासा हूं तब उन्होंने सिरके में भिगोये हुए इपंज को जुफे पर रख कर उसके मुंह से लगाया ।
प्रियो ,यीशु को पानी भी न पिलाया ।
 यीशु आज भी प्यासे है । हमारी आत्मा को नाश होने से बचाने की प्यास अब भी है ।
3.  इस वाणी के द्वारा हमे यह शिक्षा मिलती है, कि हम पापियों को पापों से उद्धार की भूख और प्यास का होना आवश्यक है तभी हम पापों को यीशु के आगे अंगीकार कर सच्चा समर्पण कर सकते है । जब हम पापों से सच्चा पश्चताप करेंगे तभी यीशु हमे अपने पवित्र लहू से धोकर साफ करेगा और हमारे पापों को क्षमा करेगा । परमेश्वर इस वचन के द्वारा आप सभों को बहुतायत की आशीष दे । प्रभु यीशु आप सभों में  पापों से उद्धार की भूख और प्यास को उत्पन्न करे । ओर धर्म की रहो पर चलने की सामर्थ प्रदान करे । यीशु का बलिदान आप सभों के लिए उद्धार का कारण हो । आप सब स्वर्गीय राज्य के योग्य बनने पाए । परमेश्वर इस वचन के द्वारा आप सभों को बहुतायत की आशीष दे । अमीन
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तीसरी वाणी : यीशु ने अपनी माता और उस चेले को जिस से वह प्रेम रखता था पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा हे नारी देख यह तेरा पुत्र है।

तीसरी वाणी : जिसे यीशु ने क्रूस पर कही ।

यूहन्ना 19:26,27 यीशु ने अपनी माता और उस चेले को जिस से वह प्रेम रखता था, पास खड़े देखकर अपनी माता से कहा; हे नारी, देख, यह तेरा पुत्र है।
तब उस चेले से कहा, यह तेरी माता है, और उसी समय से वह चेला, उसे अपने घर ले गया॥
   
     इस वाणी के द्वारा यीशु हमे क्या शिक्षा देना चाह रहे है सीखेंगे :
1. अपनी माता मरियम को नारी कह के क्यों पुकारा ?
2. अपनी माता को अपने प्रिय चेले को सौपना ।

 1. यीशु ने अपनी माता को नारी कह कर  यह  स्पष्ट किया की मैं तेरा पुत्र नही । परमेश्वर का पुत्र हूं , परमेश्वर की उस प्रतिज्ञा को पूरा करने आया हूँ , जिसे जिब्राईल स्वर्गदूत ने तुझ से की । जिसका वर्णन बाइबिल में इस प्रकार है ।
लुक 1:26-35 " छठवें महीने में परमेश्वर की ओर से जिब्राईल स्वर्गदूत गलील के नासरत नगर में एक कुंवारी के पास भेजा गया। जिस की मंगनी यूसुफ नाम दाऊद के घराने के एक पुरूष से हुई थी: उस कुंवारी का नाम मरियम था। स्वर्गदूत ने उस से कहा, हे मरियम; भयभीत न हो, क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है। और देख, तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा; तू उसका नाम यीशु रखना।
वह महान होगा; और परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा; और प्रभु परमेश्वर उसके पिता दाऊद का सिंहासन उस को देगा। और वह याकूब के घराने पर सदा राज्य करेगा; और उसके राज्य का अन्त न होगा। मरियम ने स्वर्गदूत से कहा, यह क्योंकर होगा? मैं तो पुरूष को जानती ही नहीं।
स्वर्गदूत ने उस को उत्तर दिया; कि पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परमप्रधान की सामर्थ तुझ पर छाया करेगी इसलिये वह पवित्र जो उत्पन्न होनेवाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा। "

इससे स्पष्ट होता है , यीशु , कुंवारी मरियम का पुत्र नही , परमेश्वर का पुत्र है । इस लिए यीशु ने मरियम को नारी कह के संबोधित किया ।जिब्राईल स्वर्ग दूत ने मरियम के मंगेतर युशूफ से भी यही बात की यीशु मरियम का पुत्र नही ,जो  बाइबिल में मिलता :

मत्ती 1: 18,19" अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की।
मत्ती20-23 जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर; क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है। वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा। यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था; वह पूरा हो। कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा, जिस का अर्थ यह है “ परमेश्वर हमारे साथ”।
      उपरिक्त वचन से स्पष्ट होता है । यीशु , मरियम का पुत्र नही,  परमेश्वर का पुत्र है , परंतु देहधारण के लिए कुंवारी मरियम को चुना ।
        उपरोक्त वचन से यह स्पष्ट होता है जैसा लिखा है, वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा  । यीशु , स्वयं परमेश्वर होकर इस जगत में हम मनुष्यो को हमारे पापों से उद्धार देने आये ।
परमेश्वर ने इस जगत में जन्म लेने के लिए मरियम को क्यों चुना ?
 जबकि बहुत सी कुंवारिया इस संसार में थी । क्या आप जानते है? पुरे संसार में परमेश्वर ने इस्राएल जाती के यहूदा गोत्र की कुंवरी को क्यों चुना ?
 बाइबिल इस बात को प्रगट करती है । कि पूरे संसार में  इस्त्राएल जाती को परमेश्वर ने चुना । बाइबिल बताती है इस्त्राएल जाती मिस्त्र में परदेशी हो कर रह रहे थे , ओर मिस्त्र के राजा अपने कर्मचारियों के द्वारा इस्त्राएलियों पर बहुत अधिक काम के बोझ तले दबा रहा था । वे बहुत दुख और मुसीबत को झेल रहे थे ,और राजा उन पर मुसीबत बढ़ता जा रहा था तब वे स्वर्ग के परमेश्वर को पुकार उठे , हे परमेश्वर हमे मिस्त्र की गुलामी से आजाद कर । उनकी पीड़ा बहुत अधिक होने के कारण वे परमेश्वर से गिड़गिड़ाकर बिनती करने लगे । तब परमेश्वर ने उनकी बिनती सुन अपने सेवक मूसा को भेज, उन्हें मिस्त्र की गुलामी से आजाद किया । जब इस्राएली मिस्त्र से निकले तब परमेश्वर इस्राएलियों के आगे आगे आग और बादल के खम्बे के रूप में  चलता था ,और इस्राएली परमेश्वर के पीछे चलते थे। तब परमेश्वर ने अपने सेवक मूसा के द्वारा मिस्त्र की गुलामी से आजाद किया  । तब इस्राएली उद्धार के भूखे और प्यासे हो परमेश्वर के पीछे पीछे चल रहे थे । वे जच्चा की सी पीड़ा के साथ परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते पीछे पीछे चल रहे थे ।  तब उन्हें उद्धार देने के लिए परमेश्वर ने इस्राएल के यहूदा गोत्र से कुवारी मरियम को चुना ,परमेश्वर के पुत्र जनने के लिए । जब शैतान ने देखा कि इस्राएली परमेश्वर के पीछे चल रहे है ,और उस की आज्ञा पा पालन कर रहे है ,तो उस ने एक तिहाई को पाप में गिरा नाश कर दिया । ताकि वे परमेश्वर से उद्धार पा स्वर्ग में जाने न पाए । प्रकाशित वाक्य 12:1-6 में इसे पढ़ सकते है ।
प्रा.वा. 12:4 और वह अजगर उस स्त्री से साम्हने जो जच्चा थी, खड़ा हुआ, कि जब वह बच्चा जने तो उसके बच्चे को निगल जाए।
प्रकाशित वाक्य 12:5 और वह बेटा जनी जो लोहे का दण्ड लिए हुए, सब जातियों पर राज्य करने पर था, और उसका बच्चा एकाएक परमेश्वर के पास, और उसके सिंहासन के पास उठा कर पहुंचा दिया गया। "
    उपरोक्त वचन से यह स्पस्ट होता है जब कुंवारी मरियम ने पवित्र आत्मा के द्वारा गर्भ धारण किया तो शैतान ,यीशु को मार डालना चाहता था । क्यों कि वह जानता था ,यीशु के निर्दोष बलिदान के द्वारा मानव जाति पापों की क्षमा  पा स्वर्गी राज्य में प्रवेश कर  पायेगी । इस लिए यीशु के जन्म के तुरन्त बाद हेरोदेश राजा को बहकाकर यीशु को मार डालना चाहा । इस लिए हेरोदेश राजा ने यरूशलेम और आसपास के नगरों के बच्चों को मरवा डालने का आदेश दिया । लेकिन परमेश्वर ने यीशु की रक्षा की । यीशु के बड़े होने के बाद भी शैतान शास्त्री फरीसियों यहूदियों को बहकाकर मार डालने के लिए उपाय खोजता रहा । अंत में यीशु को रोमी सरकार द्वारा पकड़वा कर बहुत अपमानित करवाया , 39 कोड़े लगवाया , भारी क्रूस उठाकर चलवाया , क्रूस पर किलों से ठुकवा दिया , ताकि भारी यातना में यीशु के द्वारा कोई अप शब्द निकले और पाप गिना जाए । लेकिन यीशु ने एक भी अपशब्द अपने मुंह से न निकाला और निर्दोष सब कुछ सहता रहा ।उसके सिर पर काटों का मुकुट भी रखा गया । फिर भी यीशु ने कुछ न कहा । प्रियों बाइबिल बताती है :
रोमियो 5:12 इसलिये जैसा एक मनुष्य के द्वारा पाप जगत में आया, और पाप के द्वारा मृत्यु आई, और इस रीति से मृत्यु सब मनुष्यों में फैल गई, इसलिये कि सब ने पाप किया। "
      प्रियों, पाप के कारण मनुष्यों में मृत्यु आई ।
 1. शरीक मृत्यु 2.आत्मिक मृत्यु (नरक का दंड )
लेकिन यीशु ने एक भी पाप न किया जिसके कारण यीशु को मृत्यु न आती , अतः यीशु ने प्राण को परमेश्वर पिता के हाथों में शौप दिया । अतः शैतान , यीशु की कुछ भी हानि न कर सका । तीसरे दिन यीशु जीवित हो 40 दिन  अपने चेलों से बातचित की फिर स्वर्ग पर सबके देखते चढ़ गए । यीशु आज भी जीवित है । यीशु  हमारे पापों के प्रायश्चित हेतु क्रूस पर निर्दोष बलिदान हुए । ताकि हमें पापों से उद्धार मिले । और हम अनंत जीवन स्वर्गीय जीवन को पा सके ।
       प्रियों, इस वाणी से यह शिक्षा मिलती है ,कि हमें उद्धार की भूख और प्यास का होना जरूरी है । तभी हम परमेश्वर की आज्ञा का पालन कर सकेंगे ।

2.यीशु ने अपनी माता से कहा ;देख यह तेरा पुत्र है । तब  उस चेले से कहा ,यह तेरी माता है , और उसी समय से वह चेला उसे अपने घर ले गया ।
      प्रियों, यीशु भारी दुख और पीड़ा के बाद भी अपने पुत्र होने के फर्ज को निभाया । वैसे ही हमे भी अपने बुजुर्क माता पिता के प्रति पुत्र पुत्री होने के फर्ज को निभाना चाहिए ।
      प्रियो, इस वाणी से मुख्य शिक्षा मिलती है, यदि हम स्वर्ग जाना चाहते है तो पापों से उद्धार की भूख और प्यास के साथ यीशु के पाप आये । जैसा परमेश्वर का वचन कहता है :
योएल 2:12 ,१३तौभी यहोवा की यह वाणी है, अभी भी सुनो, उपवास के साथ रोते-पीटते अपने पूरे मन से फिरकर मेरे पास आओ। अपने वस्त्र नहीं, अपने मन ही को फाड़ कर अपने परमेश्वर यहोवा की ओर फिरो; क्योंकि वह अनुग्रहकारी, दयालु, विलम्ब से क्रोध करने वाला, करूणानिधान और दु:ख देकर पछतानेहारा है।
       प्रियो, परमेश्वर आपके लौट आने का इंतजार कर रहा है । वह नही चाहता कि कोई नाश हो । परमेश्वर आप को सच्चा पश्चातापी मन दे । परमेश्वर के भय में चलने की आत्मा दे । और परमेश्वर की दया आप सभों पर इस लोक में ओर परलोक में भी सदा बानी रहे ।  अमीन
     परमेश्वर इस वचन के द्वारा आप सभों को बहुतायत की आशीष दे ,और स्वर्गी राज्य के लिए चुन लें । अमीन
     यदि आप ने  इस वचन से आशीष पाई है तो अवश्य लाइक कर अपने मित्रों में शेयर करे ।


Friday, 22 February 2019

THANK YOU LORD FOR EVERYTHING पवित्र बाइबल मे स्तुति को और धन्यवाद को बलिदान भेंट कहा है

भजन संहिता 50:14
परमेश्वर को धन्यवाद ही का बलिदान चढ़ा,
भजन संहिता 100:3
उसके फाटकों से  धन्यवाद, और उसके आंगनों में स्तुति करते हुए प्रवेश करो
 उसका धन्यवाद करो, और उसके नाम को धन्य कहो!

इब्रानियों 13:15
इसलिये हम उसके द्वारा स्तुति रूपी बलिदान
 अर्थात उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार 
करते हैं परमेश्वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।

  पवित्र बाइबल मे स्तुति को ओर धन्यवाद को बलिदान (भेंट ) कहा है। याद रखे 
परमेश्वर को आप इस सुष्टि की कोई भी चीज़ नही  चढ़ा सकते  जैसे फल,फूल 
नारियल ओर भी बहुत कुछ है ।परमेश्वर ऐसी चीजो से प्रसन्न (खुश)नही  होता
ये चीज़ परमेश्वर  की है ओर परमेश्वर ने बनाई है  हम उसकी चीज़ उसको नही 
चढ़ा सकते लेकिन यदि आप परमेश्वर को प्रसन्न (खुश) करना चाहते हो या 
परमेश्वर को कुछ देना चाहते हो तो उसको धन्यवाद ओर स्तुति का बलिदान चढ़ाओ। 
पवित्र बाइबल मे स्तुति ओर धन्यवाद को बलिदान कहा है।(इब्रानियों 13:15, भजन 50:14
ओर परमेश्वर इसी बलिदान से प्रसन्न होता है याद रखे। 
    
  स्तुति क्या है आप जानते है स्तुति करना मतलब परमेश्वर की बड़ाई करना परमेश्वर की तारीफ करना जब कोई जन परमेश्वर की स्तुति करता है लगातार  परमेश्वर की उपस्थिति उस जगह आ जाती परमेश्वर खुद उस जगह आ जाता है। (भजन सहिता 22:3 के अनुसार )जब हम परमेश्वर की स्तुति ओर धन्यवाद  करते है तो हम उसका आदर करते है ओर जब हम ऐसा करते है तो परमेश्वर को उपहार (Gift) देते है।
यदि आप को कोई उपहार(Gift) दे तो आप बहुत  खुश हो जाओगे। वैसे ही जब हम परमेश्वर को धन्यवाद 
ओर स्तुति का उपहार(Gift) देते है तो परमेश्वर बहुत खुश होते है।

  याद रखे परमेश्वर को यदि आप को खुश करना है
 तो उसकी स्तुति ओर धन्यवाद करे। 

जब हम परमेश्वर की स्तुति ओर धन्यवाद करते है तो हम घोषित करते है की हम परमेश्वर के लोग है। ओर जब हम ऐसा करते है तो हम परमेश्वर के साथ वाचा बांधते है।(भजन 50:5)ओर परमेश्वर की वाचा की आशीष हमारे जीवन मे आने पाती है। (निर्गमन 23:26)वाचा की आशीष का मतलब परमेश्वर की सारी प्रतिज्ञा हमारे जीवन मे पूरी होनी पाती है।स्तुति परमेश्वर के सामर्थ को लेकर आती है ओर परमेश्वर की उपस्थिति को भी लेकर आती है। (2इतिहास5:13,14)

स्तुति हमे शैतान ओर अंधकार की ताकत पर जय दिलाती है। जब हम परमेश्वर की स्तुति करते है
 तो हम शैतान के ऊपर attack करते है स्तुति ये आत्मिक हथियार है जो हमे शैतान पर जय दिलाती है। 
(2 इतिहास20:21 के अनुसार) हो सकता है शैतान आप के जीवन मे किसी न किसी रूप से काम कर रहा हो।
 हो सकता है किसी व्यक्ति के दावरा या बीमारी के दावरा यदि ऐसा है तो आप चिंता न करे आप सिर्फ परमेश्वर की स्तुति करे जय आप को भी मिलेगी।
     आप यदि परमेश्वर से प्रेम करते है ये कैसे कह सकते है ? यदि आप परमेश्वर से प्रेम करते है  तो ये कैसे प्रकट करेगे परमेश्वर को। उसका जवाब है परमेश्वर को स्तुति ओर धन्यवाद का बलिदान चढ़ा कर जब हम परमेश्वर को स्तुति ओर धन्यवाद  का बलिदान चढ़ाते है तो हम परमेश्वर को बताते है की हम उससे प्रेम करते है। ओर परमेश्वर का वचन भी कहता है की उसकी आज्ञा को मानना ही परमेश्वर से प्रेम करना है (यूहन्ना 14:15)
ओर हमे कहा भी है परमेश्वर के वचन मे की परमेश्वर को स्तुति ओर धन्यवाद का बलिदान चढ़ा।(भजन50:14,भजन100:3, इब्रानियों13:14)
इसलिए जब हम  परमेश्वर को धन्यवाद ओर स्तुति का बलिदान चढ़ाते है तो यह प्रकट करते है की हम परमेश्वर से प्रेम करते है।
क्योकि इसके दावरा ही हम परमेश्वर को बताते है की हम परमेश्वर से प्रेम करते है। ओर याद रखे हम परमेश्वर को इस पृथ्वी की कोई भी चीज़ नही दे सकते
क्योकि सब कुछ उसका है।
यदि आप परमेश्वर को प्रसन्न करना चाहते हो तो परमेश्वर को स्तुति ओर धन्यवाद का बलिदान चढ़ाए। जब हम ऐसा करते है तो हम परमेश्वर को प्रेम  करते है।
परमेश्वर  हम से प्रेम करता है इसलिए उसने हमे बचाने के लिए अपने पुत्र तक को दे दिया। ताकि हम उस पर( यीशु पर) मतलब उसके वचन पर विश्वास करे तो नाश न हो। (यूहन्ना3:16)



Saturday, 2 February 2019

YESHU NAMAK PANI ES PANI KO PIYO OR AMAR HO JAO Water named Jesus

यीशु नामक पानी 
    प्रभु यीशु मसीह के मधुर और मीठे नाम मे आप सभी भाईओ बहनों पास्टर 
उपदेशक और युवा मित्र साथियों कॊ जय मसीह कई कहता हूँ 

आप लोगो ने बहुत पानी का नाम सुना होगा 
जो भिँय भिँय कार्यों मे काम आता हैं 

लेकीन मै आप सब कॊ एक येसे पानी का नाम बताऊँगा जिससे पी कर आप हमेशा
 के लिये अमर हो जायेंगे हमेशा के लिये जीवित रहेंगे.

      आप लोगो ने सुना होगा टीवी मे देखा होगा की अमृत पीने से मनुष्य जो हैं ओ अमर हो जाता हैं.
      पहली बात तो ये साच्च नहीँ हैं सही नहीँ हैं और मान लो सही भी हैं तो आप कॊ अमृत कहाँ मिलेगा ?

    हम पहले देख चुके हैं टीवी मे की लोग अमृत पाने के लिये क्या क्या करते हैं.
     काई काई  वर्ष पहाडो पर जा कर तपस्या करते हैं उपवास करते हैं कइओं सालो तक ,बली देते हैं
 अमृत कॊ पाने के लिये भीर भी कोई भरोसा नहीँ की उनको अमृत मील जायेगा.

लेकीन प्रियाओं आप सब कॊ ये करने की जरुर नहीँ हैं ना ही आप कॊ पहाडो पर जाना हैं 
और ना ही आप कॊ बली देना हैं और ना ही आप कॊ तपस्या करना हैं 

   तो करना क्या हैं 

 आप कॊ बस ये करना हैं की आप कॊ अपना जीवन यीशु कॊ देना हैं 
   उसके आज्ञा कॊ बनना हैं उसके कहे वचनों पर विश्वाश करना हैं उसके साथ
 पवित्रा के साथ जीवन बिताना हैं लोगो कॊ यीशु के बारे मे बताना हैं 
    
   भीर जब आप ये सब करेंगे तो यीशु आप कॊ पानी पिलायेंगे 
   ओ पानी का नाम हैं 
"यीशु नामक पानी" 
    जी हाँ  यीशु नामक पानी पीने से आपस अमर हो जायेंगे 
यीशु ने कहाँ हैं यूहन्ना 4 अध्याय के 14 पद मे  की 

परन्तु जो कोई उस जल में से पीएगा जो मैं उसे दूंगा, वह फिर अनन्तकाल तक
 प्यासा न होगा: वरन जो जल मैं उसे दूंगा, वह उस में एक सोता बन जाएगा जो
 अनन्त जीवन के लिये उमड़ता रहेगा।

  जी मेरे प्रियाओं ओ एक सोता बन जायेगा और ओ 
अनन्त जीवन के लिये रहेगा आप के पास.

तो मेरे दोस्तो अपना जीवन प्रभु कॊ दीजिये अपने मुँह से कहते रहे जाहे जहाँ 
भी रहे क्योंकि प्रभु ने आप कॊ ओ जल दे दिये हैं तो आप उनका धन्यवाद इस प्रकार से करे.




धन्यवाद यीशु , धन्यवाद यीशु, धन्यवाद यीशु,
धन्यवाद यीशु , धन्यवाद यीशु, धन्यवाद यीशु,धन्यवाद यीशु , धन्यवाद यीशु, धन्यवाद
 यीशु,धन्यवाद यीशु , धन्यवाद यीशु, धन्यवाद यीशु, अनगिनत बार बोलते रहे


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1} दशमांश किसको देना है ??





5} प्रार्थना में घुटने टेकने का अर्थ।




Thursday, 31 January 2019

Lazare Ko Jivan Dan लाजर को जीवन दान jesus group

परमेश्वर की स्तुति हो।
             लाजर को जीवन दान
प्रभु यीशु मसीह के मधुर और मीठे नाम में
 आप सभी को जय मसीह की कहता हूं

मरियम उस जगह पहुँची, जहाँ प्रभु यीशु मसीह  थे । 
उन्हे देखते ही वह उनके चरणों पर गिर पड़ी और बोली,  प्रभु !
  यदि आप यहाँ होते तो मेरा भाई नही मरता  " । 
प्रभु यीशु मसीह  उसे और उसके साथ आये हुए यहुदियों को रोते देखकर 
बहुत व्याकुल हो उठे और आह भर कर बोले तुम लोगो ने उसे कहाँ रखा है? 
उन्होंने कहा प्रभु  !  आइये और देखिए । 
प्रभु यीशु मसीह रो पड़े । इस पर यहुदियों ने कहा देखो! 
वै उसे कितना प्यार करते थे । 
कब्र के पास पहुंचने पर प्रभु यीशु मसीह फिर बहुत व्याकुल हो उठे । 
वह कब्र एक गुफा थी जिसके मुँह पर एक बडा पत्थर रखा हुआ था ।
प्रभु यीशु मसीह ने कहा  पत्थर हटा दो  । म्रितक की बहन मरथा ने उन से कहा प्रभु!
 अब तो दुर्गन्ध आती होगी आज चौथा दिन है प्रभु यीशु मसीह ने उसे उत्तर दिया
 क्या मैंने तुमसे यह नही कहा कि यदि तुम विश्वास करोगी तो परमेश्वर की महिमा देखोगी.
 हल्लिलुय्याह हल्लिलुय्याह आमीन आमीन आमीन
( यहुन्ना 11 : 32 - 40 )
प्रभु इस वचन के द्वारा आप सभी को आशीष देवे

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1} दशमांश किसको देना है ??





5} प्रार्थना में घुटने टेकने का अर्थ।


6} लोगो से शिकायते नही प्रभु से प्रार्थना कीजिये आप परिस्थितियों से आजाद हो जायेंगे


 क्योंकि व्यवस्था जिस में आने वाली अच्छी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब है, पर उन का असली स्वरूप नहीं, इसलिये उन एक ही प्रकार के बलिदानों के द्वारा, जो प्रति वर्ष अचूक चढ़ाए जाते हैं, पास आने वालों को कदापि सिद्ध नहीं कर सकतीं।
 For the law having a shadow of good things to come, and not the very image of the things, can never with those sacrifices which they offered year by year continually make the comers thereunto perfect.
 नहीं तो उन का चढ़ाना बन्द क्यों न हो जाता? इसलिये कि जब सेवा करने वाले एक ही बार शुद्ध हो जाते, तो फिर उन का विवेक उन्हें पापी न ठहराता।
 For then would they not have ceased to be offered? because that the worshippers once purged should have had no more conscience of sins.
 परन्तु उन के द्वारा प्रति वर्ष पापों का स्मरण हुआ करता है।
 But in those sacrifices there is a remembrance again made of sins every year.
 क्योंकि अनहोना है, कि बैलों और बकरों का लोहू पापों को दूर करे।
 For it is not possible that the blood of bulls and of goats should take away sins.
 इसी कारण वह जगत में आते समय कहता है, कि बलिदान और भेंट तू ने न चाही, पर मेरे लिये एक देह तैयार किया।
 Wherefore when he cometh into the world, he saith, Sacrifice and offering thou wouldest not, but a body hast thou prepared me:
 होम-बलियों और पाप-बलियों से तू प्रसन्न नहीं हुआ।
 In burnt offerings and sacrifices for sin thou hast had no pleasure.
 तब मैं ने कहा, देख, मैं आ गया हूं, (पवित्र शास्त्र में मेरे विषय में लिखा हुआ है) ताकि हे परमेश्वर तेरी इच्छा पूरी करूं।
 Then said I, Lo, I come (in the volume of the book it is written of me,) to do thy will, O God.
 ऊपर तो वह कहता है, कि न तू ने बलिदान और भेंट और होम-बलियों और पाप-बलियों को चाहा, और न उन से प्रसन्न हुआ; यद्यपि ये बलिदान तो व्यवस्था के अनुसार चढ़ाए जाते हैं।
 Above when he said, Sacrifice and offering and burnt offerings and offering for sin thou wouldest not, neither hadst pleasure therein; which are offered by the law;
 फिर यह भी कहता है, कि देख, मैं आ गया हूं, ताकि तेरी इच्छा पूरी करूं; निदान वह पहिले को उठा देता है, ताकि दूसरे को नियुक्त करे।
Then said he, Lo, I come to do thy will, O God. He taketh away the first, that he may establish the second.
 उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए हैं।
 By the which will we are sanctified through the offering of the body of Jesus Christ once for all.
 और हर एक याजक तो खड़े होकर प्रति दिन सेवा करता है, और एक ही प्रकार के बलिदान को जो पापों को कभी भी दूर नहीं कर सकते; बार बार चढ़ाता है।
 And every priest standeth daily ministering and offering oftentimes the same sacrifices, which can never take away sins:
 पर यह व्यक्ति तो पापों के बदले एक ही बलिदान सर्वदा के लिये चढ़ा कर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा।
 But this man, after he had offered one sacrifice for sins for ever, sat down on the right hand of God;
 और उसी समय से इस की बाट जोह रहा है, कि उसके बैरी उसके पांवों के नीचे की पीढ़ी बनें।
 From henceforth expecting till his enemies be made his footstool.
 क्योंकि उस ने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है।
 For by one offering he hath perfected for ever them that are sanctified.
 और पवित्र आत्मा भी हमें यही गवाही देता है; क्योंकि उस ने पहिले कहा था
 Whereof the Holy Ghost also is a witness to us: for after that he had said before,
 कि प्रभु कहता है; कि जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उन से बान्धूंगा वह यह है कि मैं अपनी व्यवस्थाओं को उनके हृदय पर लिखूंगा और मैं उन के विवेक में डालूंगा।
 This is the covenant that I will make with them after those days, saith the Lord, I will put my laws into their hearts, and in their minds will I write them;
 (फिर वह यह कहता है, कि) मैं उन के पापों को, और उन के अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूंगा।
 And their sins and iniquities will I remember no more.
 और जब इन की क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा॥
 Now where remission of these is, there is no more offering for sin.
 सो हे भाइयो, जब कि हमें यीशु के लोहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है।
 Having therefore, brethren, boldness to enter into the holiest by the blood of Jesus,
 जो उस ने परदे अर्थात अपने शरीर में से होकर, हमारे लिये अभिषेक किया है,
 By a new and living way, which he hath consecrated for us, through the veil, that is to say, his flesh;
 और इसलिये कि हमारा ऐसा महान याजक है, जो परमेश्वर के घर का अधिकारी है।
 And having an high priest over the house of God;
 तो आओ; हम सच्चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक को दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएं।
 Let us draw near with a true heart in full assurance of faith, having our hearts sprinkled from an evil conscience, and our bodies washed with pure water.
 और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें; क्योंकि जिस ने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्चा है।
 Let us hold fast the profession of our faith without wavering; (for he is faithful that promised;)
 और प्रेम, और भले कामों में उक्साने के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें।
 And let us consider one another to provoke unto love and to good works:
 और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना ने छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो॥
 Not forsaking the assembling of ourselves together, as the manner of some is; but exhorting one another: and so much the more, as ye see the day approaching.
 क्योंकि सच्चाई की पहिचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जान बूझ कर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं।
 For if we sin wilfully after that we have received the knowledge of the truth, there remaineth no more sacrifice for sins,
 हां, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना और आग का ज्वलन बाकी है जो विरोधियों को भस्म कर देगा।
 But a certain fearful looking for of judgment and fiery indignation, which shall devour the adversaries.
 जब कि मूसा की व्यवस्था का न मानने वाला दो या तीन जनों की गवाही पर, बिना दया के मार डाला जाता है।
 He that despised Moses' law died without mercy under two or three witnesses:
 तो सोच लो कि वह कितने और भी भारी दण्ड के योग्य ठहरेगा, जिस ने परमेश्वर के पुत्र को पांवों से रौंदा, और वाचा के लोहू को जिस के द्वारा वह पवित्र ठहराया गया था, अपवित्र जाना है, और अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया।
 Of how much sorer punishment, suppose ye, shall he be thought worthy, who hath trodden under foot the Son of God, and hath counted the blood of the covenant, wherewith he was sanctified, an unholy thing, and hath done despite unto the Spirit of grace?
 क्योंकि हम उसे जानते हैं, जिस ने कहा, कि पलटा लेना मेरा काम है, मैं ही बदला दूंगा: और फिर यह, कि प्रभु अपने लोगों का न्याय करेगा।
 For we know him that hath said, Vengeance belongeth unto me, I will recompense, saith the Lord. And again, The Lord shall judge his people.
 जीवते परमेश्वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है॥
 It is a fearful thing to fall into the hands of the living God.
 परन्तु उन पहिले दिनों को स्मरण करो, जिन में तुम ज्योति पाकर दुखों के बड़े झमेले में स्थिर रहे।
 But call to remembrance the former days, in which, after ye were illuminated, ye endured a great fight of afflictions;
 कुछ तो यों, कि तुम निन्दा, और क्लेश सहते हुए तमाशा बने, और कुछ यों, कि तुम उन के साझी हुए जिन की र्दुदशा की जाती थी।
 Partly, whilst ye were made a gazingstock both by reproaches and afflictions; and partly, whilst ye became companions of them that were so used.
 क्योंकि तुम कैदियों के दुख में भी दुखी हुए, और अपनी संपत्ति भी आनन्द से लुटने दी; यह जान कर, कि तुम्हारे पास एक और भी उत्तम और सर्वदा ठहरने वाली संपत्ति है।
 For ye had compassion of me in my bonds, and took joyfully the spoiling of your goods, knowing in yourselves that ye have in heaven a better and an enduring substance.
 सो अपना हियाव न छोड़ो क्योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है।
 Cast not away therefore your confidence, which hath great recompence of reward.
 क्योंकि तुम्हें धीरज धरना अवश्य है, ताकि परमेश्वर की इच्छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।
 For ye have need of patience, that, after ye have done the will of God, ye might receive the promise.
 क्योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है जब कि आने वाला आएगा, और देर न करेगा।
 For yet a little while, and he that shall come will come, and will not tarry.
 और मेरा धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा, और यदि वह पीछे हट जाए तो मेरा मन उस से प्रसन्न न होगा।
 Now the just shall live by faith: but if any man draw back, my soul shall have no pleasure in him.
 पर हम हटने वाले नहीं, कि नाश हो जाएं पर विश्वास करने वाले हैं, कि प्राणों को बचाएं॥
 But we are not of them who draw back unto perdition; but of them that believe to the saving of the soul.


Friday, 18 January 2019

PRAY AAP KI PRARTHNA ME KUCH MUL BATE HONA JARURI HAI

प्रार्थना PRAY
यदि हम यह चाहते है, की परमेश्वर हमारी प्रार्थना को सुने तो 
हमारी प्रार्थना में कुछ मूल बाते होना आवश्यक है। जैसे.
   सबसे पहला है - क्षमा 
मरकुस 11:25-26 मे लिखा है यीशु ने कहा  जब कभी तुम खड़े हुए प्रार्थना करते हो तो
 यदि तुम्हारे मन में किसी के प्रति कुछ विरोध हो तो उसे क्षमा करो 
 इसलिए की तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा करे। 


और यदि तुम क्षमा न करो तो तुम्हारा पिता भी जो  
स्वर्ग में है तुम्हारा अपराध क्षमा न करेगा।
इसीलिये प्रार्थना से पहले अगर किसी के लिए कुछ भी मन में विद्रोह हो तो 
हमे उससे मिलकर मन मुटाव दूर करना जरूरी है, एेसा करना थोड़ा मुश्किल है 
लेकिन नामुमकिन नही एेसा ख्याल दिल मे आते ही प्रभु हमारी सहायता करता है

दूसरी बात - प्रार्थना विश्ववास से की जाए । 
विश्ववास से की जाने वाली हर प्रार्थना का उत्तर हमे मिलता है कई लोग प्रार्थना को 
लाटरी टिकट की तरह मानते है हमे इस तरह से और इस सोच से प्रार्थना नही करना
 चाहिए, परमेश्वर की ओर से हर बात का एक समय है हमे जवाब के लिए थोड़ा इंतेजार करना चाहिए.

मरकुस 11:24 मे लिखा हैं जो कुछ तुम प्रार्थना करके माँगो तो प्रतीति कर लो की 
वह तुम्हे मिल गया और तुम्हारे लिये हो जायेगा
बहुत से भाई बहन विश्ववास के साथ प्रार्थना करते है और उनका अपने विश्ववास के कारण 
यह विश्ववास होकी है की जो उन्होंने प्रार्थना में माँगा उन्हें वह मिल गया है।हालेलूय्या..
पवित्रशास्त्र कहता है -याकूब 5:17 मे लिखा है एलिय्याह भी तो हमारे समान दुःख सुख भोगी मनुष्य था
 और उसने प्रार्थना की कि मेह ना बरसे और साढ़े तीन साल तक भूमि पर मेह नही बरसा ! 
यह थी विश्ववास के साथ माँगी गई प्रार्थना का जवाब .

हमारी प्रार्थना सुनकर प्रार्थना को परमेश्वर तक पहुँचाने
 वाला आज भी हमारे लिये जीवित है। 

इब्रानियों 7:25, मे लिखा है  इसी लिये जो उसके द्वारा "यानी प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के पास आते है वह उनका यानी प्रभु यीशु मसीह पूरा पूरा उद्धार कर सकता है क्योकि वह उनके लिए विनती  करने को सर्वदा जीवित हैं

तीसरी बात - प्रार्थना एक याचना है एलिय्याह ने प्रार्थना में याचना की वह उसे मिल भी गया। 
इसी तरह हन्ना ने परमेश्वर से माँगा और परमेश्वर ने उसे दे दिया।
अब लोग माँगने के लिए तैयार नही होते है।
 पवित्र बाइबल कहती है माँगो तो तुम्हे दिया जायेगा
1शमुएल 1: 10-18 में हन्ना की प्रार्थना लिखी है उसकी  प्रार्थना में विस्वास की प्रार्थना थी।

15 मे लिखा है, हन्ना ने कहा नहीं हे मैरे प्रभु मैं तो दु:खिया हूँ  मैं ने न तो दाखमधु पिया है
 और न मदिरा मैं ने अपने मन की बात खोलकर" यहोवा से कही है।

यहा खास बात यह है हन्ना ने  मन की बात खोलकर यहोवा से कही थी.
18 मे लिखा हैं उसका मुँह भी फिर उदास न रहा
वह उदास होकर आयी तो थी परन्तु आनन्द के साथ घर लौटी हालेलूय्या

1 शमुएल 1:27 मे लिखा है यहोवा से मैने प्रार्थना की थी और उसने मुझे मुँह माँगा वर दिया है। हमारी प्रार्थनाओ को न ठुकराने वाला परमेश्वर आज भी जीवित है, जो भी माँगो विश्ववास से माँगो लेकिन प्रभु यीशु मसीह के नाम से माँगों.

यूहन्ना 14:13, मे लिखा हैं, जो कुछ तुम मैरे नाम से माँगोंगे, वही मैं करूँगा कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो।.

आज हमारे पास समय है के इस साल हम अपने विरोधीयो को माफ करे, अपने विश्ववास को बढ़ाए याचना के साथ प्रभु यीशु मसीह के नाम से माँगें ताकि हमारी हर प्रार्थना परमेश्वर के सम्मुख कबूल हो आमीन..

आप सभी को प्रभु यीशु मसीह इस वचन के द्वारा आशीष देवे आमीन


Thursday, 17 January 2019

He Said Unto Me My Grace Is Sufficient For Thee For My Strength Is Made Perfect In Weakness

प्रभु यीशु ने मुझ से कहा
  प्रभु यीशु के मधुर और मीठे नाम में 
           आप सभी को जय मसीह की कहता हूं 
( 2 कुरिन्थियों 12 : 9 - 10 )
 जब भी हमें अपने ईच्छा अनुसार सांसरिक खुशी मिलती रहती है तब हम ईश्वर से दूर होने लगते हैं,
हम यह भूल जाते हैं यह सब हमें ईश्वर के अनुग्रह से ही मिला है न कि अपने सामर्थ से ।
   और जब हम तकलीफ में होते हैं तब यह कहने लगते हैं, हे ईश्वर आपने मेरे मुसीबत में मुझे छोड़ दिया ।

   क्या यह सही है? नहीं हम ईश्वर को भुल जाते हैं, ईश्वर हमें नहीं ।
खुशी हो या दुख हमे हर पल ईश्वर से जुड़े रहना है प्रार्थना करते रहना हैं 

  हर बात पर उनको धन्यवाद देना हैं क्योंकि जब हम प्रभु से जुड़े होते हैं प्रार्थना के द्वारा तब हमारे मन में असीम शान्ति का अनुभव करते साथ ही साथ हमारे  समस्याओं का हल भी निकलने लगता है, अतः हम ईश्वर से प्रार्थना कर सारे काम करें तब हमें  सफल होने से कोई नहीं रोक सकता, 



प्रभु आप सभी को इस वचन के द्वारा आशीष देवे।

Tuesday, 8 January 2019

Build ye houses and dwell in them and plant gardens and eat the fruit of them घर बना कर उन में बस जाओ; बारियां लगा कर उनके फल खाओ।

घर बना कर उन में बस जाओ; बारियां लगा कर उनके फल खाओ।
ब्याह कर के बेटे-बेटियां जन्माओ; और अपने बेटों के लिये स्त्रियां ब्याह
 लो और अपनी बेटियां पुरुषों को ब्याह दो, कि वे भी बेटे-बेटियां जन्माएं
 और वहां घटो नहीं वरन बढ़ते जाओ।
यिर्मयाह 29: 5,6