Friday, 18 January 2019

PRAY AAP KI PRARTHNA ME KUCH MUL BATE HONA JARURI HAI

प्रार्थना PRAY
यदि हम यह चाहते है, की परमेश्वर हमारी प्रार्थना को सुने तो 
हमारी प्रार्थना में कुछ मूल बाते होना आवश्यक है। जैसे.
   सबसे पहला है - क्षमा 
मरकुस 11:25-26 मे लिखा है यीशु ने कहा  जब कभी तुम खड़े हुए प्रार्थना करते हो तो
 यदि तुम्हारे मन में किसी के प्रति कुछ विरोध हो तो उसे क्षमा करो 
 इसलिए की तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा करे। 


और यदि तुम क्षमा न करो तो तुम्हारा पिता भी जो  
स्वर्ग में है तुम्हारा अपराध क्षमा न करेगा।
इसीलिये प्रार्थना से पहले अगर किसी के लिए कुछ भी मन में विद्रोह हो तो 
हमे उससे मिलकर मन मुटाव दूर करना जरूरी है, एेसा करना थोड़ा मुश्किल है 
लेकिन नामुमकिन नही एेसा ख्याल दिल मे आते ही प्रभु हमारी सहायता करता है

दूसरी बात - प्रार्थना विश्ववास से की जाए । 
विश्ववास से की जाने वाली हर प्रार्थना का उत्तर हमे मिलता है कई लोग प्रार्थना को 
लाटरी टिकट की तरह मानते है हमे इस तरह से और इस सोच से प्रार्थना नही करना
 चाहिए, परमेश्वर की ओर से हर बात का एक समय है हमे जवाब के लिए थोड़ा इंतेजार करना चाहिए.

मरकुस 11:24 मे लिखा हैं जो कुछ तुम प्रार्थना करके माँगो तो प्रतीति कर लो की 
वह तुम्हे मिल गया और तुम्हारे लिये हो जायेगा
बहुत से भाई बहन विश्ववास के साथ प्रार्थना करते है और उनका अपने विश्ववास के कारण 
यह विश्ववास होकी है की जो उन्होंने प्रार्थना में माँगा उन्हें वह मिल गया है।हालेलूय्या..
पवित्रशास्त्र कहता है -याकूब 5:17 मे लिखा है एलिय्याह भी तो हमारे समान दुःख सुख भोगी मनुष्य था
 और उसने प्रार्थना की कि मेह ना बरसे और साढ़े तीन साल तक भूमि पर मेह नही बरसा ! 
यह थी विश्ववास के साथ माँगी गई प्रार्थना का जवाब .

हमारी प्रार्थना सुनकर प्रार्थना को परमेश्वर तक पहुँचाने
 वाला आज भी हमारे लिये जीवित है। 

इब्रानियों 7:25, मे लिखा है  इसी लिये जो उसके द्वारा "यानी प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के पास आते है वह उनका यानी प्रभु यीशु मसीह पूरा पूरा उद्धार कर सकता है क्योकि वह उनके लिए विनती  करने को सर्वदा जीवित हैं

तीसरी बात - प्रार्थना एक याचना है एलिय्याह ने प्रार्थना में याचना की वह उसे मिल भी गया। 
इसी तरह हन्ना ने परमेश्वर से माँगा और परमेश्वर ने उसे दे दिया।
अब लोग माँगने के लिए तैयार नही होते है।
 पवित्र बाइबल कहती है माँगो तो तुम्हे दिया जायेगा
1शमुएल 1: 10-18 में हन्ना की प्रार्थना लिखी है उसकी  प्रार्थना में विस्वास की प्रार्थना थी।

15 मे लिखा है, हन्ना ने कहा नहीं हे मैरे प्रभु मैं तो दु:खिया हूँ  मैं ने न तो दाखमधु पिया है
 और न मदिरा मैं ने अपने मन की बात खोलकर" यहोवा से कही है।

यहा खास बात यह है हन्ना ने  मन की बात खोलकर यहोवा से कही थी.
18 मे लिखा हैं उसका मुँह भी फिर उदास न रहा
वह उदास होकर आयी तो थी परन्तु आनन्द के साथ घर लौटी हालेलूय्या

1 शमुएल 1:27 मे लिखा है यहोवा से मैने प्रार्थना की थी और उसने मुझे मुँह माँगा वर दिया है। हमारी प्रार्थनाओ को न ठुकराने वाला परमेश्वर आज भी जीवित है, जो भी माँगो विश्ववास से माँगो लेकिन प्रभु यीशु मसीह के नाम से माँगों.

यूहन्ना 14:13, मे लिखा हैं, जो कुछ तुम मैरे नाम से माँगोंगे, वही मैं करूँगा कि पुत्र के द्वारा पिता की महिमा हो।.

आज हमारे पास समय है के इस साल हम अपने विरोधीयो को माफ करे, अपने विश्ववास को बढ़ाए याचना के साथ प्रभु यीशु मसीह के नाम से माँगें ताकि हमारी हर प्रार्थना परमेश्वर के सम्मुख कबूल हो आमीन..

आप सभी को प्रभु यीशु मसीह इस वचन के द्वारा आशीष देवे आमीन




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1:18 अब यीशु मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ, कि जब उस की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई, तो उन के इकट्ठे होने के पहिले से वह पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती पाई गई।
1:18 Now the birth of Jesus Christ was on this wise: When as his mother Mary was espoused to Joseph, before they came together, she was found with child of the Holy Ghost.
1:19 सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था, उसे चुपके से त्याग देने की मनसा की।
1:19 Then Joseph her husband, being a just man, and not willing to make her a publick example, was minded to put her away privily.
1:20 जब वह इन बातों के सोच ही में था तो प्रभु का स्वर्गदूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा; हे यूसुफ दाऊद की सन्तान, तू अपनी पत्नी मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर; क्योंकि जो उसके गर्भ में है, वह पवित्र आत्मा की ओर से है।
1:20 But while he thought on these things, behold, the angel of the LORD appeared unto him in a dream, saying, Joseph, thou son of David, fear not to take unto thee Mary thy wife: for that which is conceived in her is of the Holy Ghost.
1:21 वह पुत्र जनेगी और तू उसका नाम यीशु रखना; क्योंकि वह अपने लोगों का उन के पापों से उद्धार करेगा।
1:21 And she shall bring forth a son, and thou shalt call his name JESUS: for he shall save his people from their sins.
1:22 यह सब कुछ इसलिये हुआ कि जो वचन प्रभु ने भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा था; वह पूरा हो।
1:22 Now all this was done, that it might be fulfilled which was spoken of the Lord by the prophet, saying,
1:23 कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है “ परमेश्वर हमारे साथ”।
1:23 Behold, a virgin shall be with child, and shall bring forth a son, and they shall call his name Emmanuel, which being interpreted is, God with us.
1:24 सो यूसुफ नींद से जागकर प्रभु के दूत की आज्ञा अनुसार अपनी पत्नी को अपने यहां ले आया।
1:24 Then Joseph being raised from sleep did as the angel of the Lord had bidden him, and took unto him his wife:
1:25 और जब तक वह पुत्र न जनी तब तक वह उसके पास न गया: और उस ने उसका नाम यीशु रखा॥
1:25 And knew her not till she had brought forth her firstborn son: and he called his name JESUS.