लोगो से शिकायते नही प्रभु से प्रार्थना कीजिये आप परिस्थितियों से आजाद हो जायेंगे ।
प्रभु यीशु मसीह एक ऐसे व्यक्ति से मिले जो लंबे पहाड़ जैसे 38 वर्ष से बीमारी की हालत में एक स्थान जहाँ कुण्ड था जिसे बैतहसदा कहा जाता है इस आशा में पड़ा हुआ था कि जब स्वर्गदूत के द्वारा उस कुण्ड को हिलाया जाये तो मैं सबसे पहले उसमे उतरु और चंगा हो जाऊ । लेकिन यह बीमार व्यक्ति पिछले 38 वर्षों से कुण्ड में सबसे पहले उतरना चाहता था लेकिन उतरने में असफल रहा । क्योंकि जब भी वह पहले उतरने का प्रयास करता उससे पहले कोई और उतर जाता था किंतु बाइबल ऐसा बताती है कि प्रभु ने उसकी हालत देखी और जानी और उससे पूछे क्या तू चंगा होना चाहता है । 38 वर्ष के बाद कोई उसकी सहायता की बात कर रहा था क्योंकि आज से पहले वो मदद मांगता था इसके बाद भी नही मिलता था । यीशु ही हमारा सच्चा और निःस्वार्थ मददगार है । आज हमें भी यह जान लेना चाहिए कि संसार से हमे कोई मदद नही मिल सकता लेकिन यीशु आपके द्वार पर आज खड़ा कह रहा है क्या तू चंगा होना चाहता है क्या तू समस्याओ से मुक्त होना चाहता है क्या तू मेरी शांति पाना चाहता है क्या तू मुझमे विश्राम ( रेस्ट ) करना चाहता है । आगे बाइबल बताती है कि उस बीमार ने प्रभु के सामने अपनी हालत को शिकायत को उंडेलना शुरू किया उस ने कहा कि हे प्रभु मेरे पास कोई मनुष्य नहीं कि जब पानी हिलाया जाए तो मुझे कुण्ड में उतारे परन्तु मेरे पहुंचते पहुंचते दूसरा मुझ से पहिले उतर पड़ता है यह पूरी सच्ची घटना यूहन्ना 5:1 से 9 में वर्णित है । हम समझ सकते है इस बीमार की उन 38 वर्षो में क्या स्थिति हो चुकी होगी । वो थका और हारा हुआ जीवन जी रहा होगा । वो निराश होगा । उसके पास सिर्फ शिकायते ही होंगी । आज संसार में भी बहुत से लोगो की यही हालत है वो मन में खुद से शिकायते करते करते , लोगो को शिकायते बताते बताते थक हार चुके है । आज हमारे
पास भी लंबे समय से बहुत सी शिकायते हो सकती है । हम बहुत कुछ झेल रहे है हम बीमार है आर्थिक रूप से परेशान है पारिवार में झगड़े है कोर्ट केस चल रहा है बच्चो की शादी नही हो रही हो पति और बच्चे सांसारिक कामो में फसे हुए है दुस्तात्माओ से ग्रस्त है परिवार का उद्धार नही हो रहा है आप परिवार में एकलौते मसीही होने के कारण क्लेश झेल रहे होंगे संसार हमारा हक़ मार रहा हो हमारे साथ अन्याय हो रहा हो कोई हम पर दया नही कर रहा हो कोई सहायता करने वाला नही हो हम संसार के सामने मदद के लिए रो रहे हो फिर भी किसी को फर्क नही पड रहा हो सब स्वार्थी हो चुके है हम संसार के सामने अपनी शिकायतो को हालातों को बता रहे है बता रहे है और बता ही रहे है लेकिन फिर भी लंबे समय से कोई मदद करने वाला सामने नही आ रहा है कोई आशा नही मिल रही है इसके विपरीत सिर्फ धोखा निराशा ही हाथ लगा हो । हम खुद को अकेला और असहाय महसूस कर रहे है । परेशानी कुछ भी हो सकती है । हमे अपनी शिकायतों को संसार से बताने की बजाय अपनी शिकायतों को सर्वप्रथम प्रार्थना के रूप में यीशु के सामने उंडेल देने की आवश्यकता है हम जब संसार पर निर्भर रहेंगे संसार से अपनी बाते कहेंगे तो जैसे उस बीमार को 38 वर्षो से कोई फायदा नही हुआ । एक भी व्यक्ति उसके हालातों पर दया नही किया 38 वर्षो से कोई मदद के लिए आगे नही आया संसार आज भी ऐसी ही स्वार्थी है और 38 वर्ष के बाद भी वह उसी स्थिति में पडा रहा हमारे साथ भी यही स्थिति हो सकती है । लेकिन जब उसने अपनी शिकायतों को यीशु से कहा उसकी समस्याओ का समाधान जो 38 वर्षो से नही हो पाया वो 1 मिनट में हो गया मैग्गी से भी फ़ास्ट हाल्लेलूय्याह । मैं ये नही कहता कि आप भी तुरंत चंगे हो जायेंगे या आपकी समस्याये चुटकी मारते ही गायब हो जाएंगी और मैं यह भी नही कहता कि चुटकी मारते आपकी समस्याएं हल नही होंगी क्योंकि यीशु सब कुछ कर सकता है और हर एक के लिए उसकी अलग योजना है । लेकिन मैं यह पुरे विश्वास के साथ जरूर कह सकता हूँ कि यीशु हमे उस बीमारी से परिस्थिति से समस्याओ से लड़ने का सहने का शक्ति देगा । स्वर्गीय शांति देगा । ऐसी शांति जिसे पाकर हम बड़े से बड़े तकलीफों में भी आराम दायक बिना चिन्ता के पूरी तरह से आनंदित रह सकते है । और इस तरह हम आगे प्रभु यीशु के सम्मुख लगातार प्रार्थना गुहार-दोहाई विश्वास निर्भरता में बने रहते है तो मैं यह विश्वास के साथ घोषणा कर सकता हूँ कि यीशु हम आने वाले समय में सारी परिस्थितियों से बीमारियों से बन्धनों से जरूर आजाद हो जायेंगे यीशु मसीह नासरी के समार्थी नाम से । आज हमें एक बात बहुत अच्छे से जानने और समझने की जरूरत है कि हमारा परमेश्वर जीवित है वो मुर्दो में से जी उठा है और वो न सोता है न ऊंघता है वो देखता है सुनता है और हमारे प्रार्थनाओं का उत्तर हमारे विश्वास और निर्भरता के अनुसार हमे देता है हमारे लिए कर देता है । मै मसीह में आपका भाई होने के नाते आज एक सलाह देना चाहूंगा अपने जीवन की एक एक बात सबसे पहले सिर्फ यीशु से कहिये क्योंकि यीशु ही है जो सब कुछ कर सकता है जो हम सोच भी नही सकते उससे भी बेहतर हमारे लिए करके दे सकता है । वो आसमान और जमीन को अपनी सामर्थ्य से बनाने वाला है सर्वशक्तिमान है ।
प्रभु यीशु हम सभो से बेहद प्यार करते है वो हमेशा हमेशा हमारे साथ है ।
प्रभु यीशु हम सभो से बेहद प्यार करते है वो हमेशा हमेशा हमारे साथ है ।
परमेश्वर कैसे नम्र होने का सबूत देता है नम्रता क्या है, यह कैसे ज़ाहिर होती है। नम्रता मन की दीनता है, जहाँ नम्रता होती है वहाँ हेकड़ी और घमंड के लिए कोई जगह नहीं होती।नम्रता इंसान के दिल का भीतरी गुण है जो नर्मदिली धीरज और कोमलता जैसे गुणों से ज़ाहिर होता है।गलतियों 5:22, 23 मगर परमेश्वर के इन गुणों को उसकी कमज़ोरी या बुज़दिली की निशानी हरगिज़ नहीं समझना चाहिए।ऐसा नहीं कि ये गुण परमेश्वर के धर्मी क्रोध या विनाशकारी शक्ति के इस्तेमाल से मेल नहीं खाते।इसके बजाय परमेश्वर अपनी नम्रता और नर्मदिली से अपनी ज़बरदस्त क्षमता का यानी खुद पर पूरा काबू रखने की शक्ति का सबूत देता है।यशायाह 42:14 मगर, बुद्धि के साथ नम्रता का क्या नाता है?बाइबल के बारे में लिखी एक किताब कहती है कुल मिलाकर, नम्रता की परिभाषा है अपने आप को भुलाना।और नम्रता की बुनियाद पर ही सारी बुद्धि कायम है तो फिर नम्रता के बिना सच्ची बुद्धि हो ही नहीं सकती।
राजा दाऊद ने परमेश्वर के लिए गीत गाया तू ने मुझे अपने उद्धार(मोक्ष) की ढाल भी दी है तेरा दाहिना हाथ मुझे सम्भाले रहता है, तेरी नम्रता मुझे महान् बनाती है।भजन 18:35) दरअसल इस असिद्ध, अदना इंसान की रक्षा करने और उसे हर दिन सँभालने के लिए परमेश्वर ने अपने आपको नीचे झुकाया था।दाऊद को एहसास था कि अगर वह उद्धार चाहता है और राजा बनकर कुछ हद तक महानता हासिल करना चाहता है तो यह तभी मुमकिन होगजब परमेश्वर ऐसा करने के लिए खुद को नम्र करने की इच्छा दिखाए।सच अगर परमेश्वर नम्र न होता और एक नर्मदिल और प्यार करनेवाले पिता की तरह हमारे साथ पेश आने के लिए खुद को झुकाने को तैयार न होता तो हममें से कौन उद्धार(मोक्ष) की आशा कर सकता था?
गौर करने लायक बात है कि नम्रता दिखाना और मर्यादा में रहना दो अलग-अलग बातें हैं।मर्यादा वह बेहतरीन गुण है जिसे वफादार
इंसानों को अपने अंदर पैदा करना चाहिए।नम्रता की तरह मर्यादा भी बुद्धि से जुड़ी हुई है।मिसाल के लिए नीतिवचन 11:2 कहता है मर्यादाशील लोगों में बुद्धि होती है मगर, बाइबल के मुताबिक मर्यादा में रहने की बात परमेश्वर पर लागू नहीं होती।क्यों नहीं?बाइबल के मुताबिक मर्यााशील वह है जिसे हमेशा अपनी हदों का एहसास रहता है।लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के लिए ऐसी कोई हद नहीं सिवाय उनको छोड़ जो अपने धर्मी स्तरों की वजह से खुद उसने अपने लिए ठहरायी हैं।(मरकुस 10:27; तीतुस 1:2) इसके अलावा परमप्रधान परमेश्वर के नाते वह किसी के अधीन नहीं है।इसलिए मर्यादा का गुण परमेश्वर पर कभी लागू नहीं होता। लेकिन परमेश्वर नम्र और नर्मदिल है।वह अपने सेवकों को सिखाता है कि सच्ची बुद्धि पाने के लिए नर्मदिली बेहद ज़रूरी है।उसका वचन ऐसी नर्मदिली के बारे में बताता है “जिसका बुद्धि से नाता है। आमीन
राजा दाऊद ने परमेश्वर के लिए गीत गाया तू ने मुझे अपने उद्धार(मोक्ष) की ढाल भी दी है तेरा दाहिना हाथ मुझे सम्भाले रहता है, तेरी नम्रता मुझे महान् बनाती है।भजन 18:35) दरअसल इस असिद्ध, अदना इंसान की रक्षा करने और उसे हर दिन सँभालने के लिए परमेश्वर ने अपने आपको नीचे झुकाया था।दाऊद को एहसास था कि अगर वह उद्धार चाहता है और राजा बनकर कुछ हद तक महानता हासिल करना चाहता है तो यह तभी मुमकिन होगजब परमेश्वर ऐसा करने के लिए खुद को नम्र करने की इच्छा दिखाए।सच अगर परमेश्वर नम्र न होता और एक नर्मदिल और प्यार करनेवाले पिता की तरह हमारे साथ पेश आने के लिए खुद को झुकाने को तैयार न होता तो हममें से कौन उद्धार(मोक्ष) की आशा कर सकता था?
गौर करने लायक बात है कि नम्रता दिखाना और मर्यादा में रहना दो अलग-अलग बातें हैं।मर्यादा वह बेहतरीन गुण है जिसे वफादार
इंसानों को अपने अंदर पैदा करना चाहिए।नम्रता की तरह मर्यादा भी बुद्धि से जुड़ी हुई है।मिसाल के लिए नीतिवचन 11:2 कहता है मर्यादाशील लोगों में बुद्धि होती है मगर, बाइबल के मुताबिक मर्यादा में रहने की बात परमेश्वर पर लागू नहीं होती।क्यों नहीं?बाइबल के मुताबिक मर्यााशील वह है जिसे हमेशा अपनी हदों का एहसास रहता है।लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर के लिए ऐसी कोई हद नहीं सिवाय उनको छोड़ जो अपने धर्मी स्तरों की वजह से खुद उसने अपने लिए ठहरायी हैं।(मरकुस 10:27; तीतुस 1:2) इसके अलावा परमप्रधान परमेश्वर के नाते वह किसी के अधीन नहीं है।इसलिए मर्यादा का गुण परमेश्वर पर कभी लागू नहीं होता। लेकिन परमेश्वर नम्र और नर्मदिल है।वह अपने सेवकों को सिखाता है कि सच्ची बुद्धि पाने के लिए नर्मदिली बेहद ज़रूरी है।उसका वचन ऐसी नर्मदिली के बारे में बताता है “जिसका बुद्धि से नाता है। आमीन