परमेश्वर का उजियाला अंधेरे को दूर करता है!
यहोवा मेरे अन्धियारे को दूर करके उजियाला कर देता है।—2 शमूएल 22:29.
1. उजियाले का जीवन के साथ क्या ताल्लुक है?
परमेश्वर ने कहा उजियाला हो: तो उजियाला हो गया। उत्पत्ति 1:3 इन महत्त्वपूर्ण शब्दों से उत्पत्ति की किताब में सृष्टि का वृत्तांत दिखाता है कि यहोवा उजियाले का सोता है जिसके बिना पृथ्वी पर जीवन असंभव है। यहोवा उस आध्यात्मिक प्रकाश का भी सोता है जो हमें जीवन में मार्गदर्शन देने के लिए बहुत ज़रूरी है। भजन 43:3 राजा दाऊद ने आध्यात्मिक प्रकाश और जीवन के बीच जो गहरा ताल्लुक है उसके बारे में इन शब्दों में बताया:“जीवन का सोता तेरे ही पास है; तेरे प्रकाश के द्वारा हम प्रकाश पाएंगे।—भजन 36:9.
2. पौलुस के मुताबिक ज्योति का किसके साथ गहरा नाता है?
दाऊद के ज़माने से करीब 1,000 साल बाद प्रेरित पौलुस ने सृष्टि के वृत्तांत का ज़िक्र किया। उसने कुरिन्थ की मसीही कलीसिया को यह लिखा परमेश्वर ही है जिस ने कहा कि अन्धकार में से ज्योति चमके। फिर पौलुस ने दिखाया कि आध्यात्मिक ज्योति और यहोवा से मिलनेवाले ज्ञान के बीच गहरा नाता है। उसने आगे लिखा: वही हमारे हृदयों में चमका कि परमेश्वर की महिमा की पहिचान की ज्योति यीशु मसीह के चेहरे से प्रकाशमान हो। (2 कुरिन्थियों 4:6) यह ज्योति हम तक कैसे पहुँचती है?
बाइबल—उजियाले का ज़रिया
3. बाइबल के ज़रिए यहोवा कौन-सा प्रकाश देता है?
3 यहोवा आध्यात्मिक उजियाला खासकर अपने प्रेरित वचन बाइबल के ज़रिए देता है। इसलिए जब हम बाइबल का अध्ययन करते और परमेश्वर के ज्ञान की समझ हासिल करते हैं, तो हम उसका प्रकाश अपने ऊपर चमकने देते हैं। बाइबल के ज़रिए यहोवा अपने उद्देश्यों पर रोशनी डालता है और हमें बताता है कि हम उसकी इच्छा कैसे पूरी कर सकते हैं। इससे हमारी ज़िंदगी को मकसद मिलता है और हमारी आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी होती हैं। सभोपदेशक 12:1; मत्ती 5:3 यीशु ने मूसा की व्यवस्था का हवाला देते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि हमें अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतों का ध्यान रखना है। उसने कहा: “लिखा है कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।—मत्ती 4:4; व्यवस्थाविवरण 8:3.
4. किस मायने में यीशु जगत की ज्योति है?
4 आध्यात्मिक प्रकाश के साथ यीशु का गहरा ताल्लुक है। दरअसल उसने खुद को “जगत की ज्योति बताया और कहा: जो मेरे पीछे हो लेगा वह अन्धकार में न चलेगा परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा। यूहन्ना 8:12 इन शब्दों से हमें साफ पता चलता है कि यहोवा की सच्चाई मानवजाति तक पहुँचाने में यीशु एक अहम भूमिका निभाता है। अगर हम अंधकार से दूर परमेश्वर के उजियाले में चलना चाहते हैं तो हमें बाइबल में दर्ज़ यीशु की हर बात माननी होगी। साथ ही उसके आदर्श और उसकी शिक्षाओं पर चलना होगा।
5. यीशु की मृत्यु के बाद उसके चेलों पर कौन-सी ज़िम्मेदारी आयी?
5 यीशु ने अपनी मृत्यु के कुछ ही दिन पहले एक बार फिर अपनी पहचान ज्योति के रूप में करते हुए अपने चेलों से कहा: ज्योति अब थोड़ी देर तक तुम्हारे बीच में है जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है तब तक चले चलो; ऐसा न हो कि अन्धकार तुम्हें आ घेरे; जो अन्धकार में चलता है वह नहीं जानता कि किधर जाता है। जब तक ज्योति तुम्हारे साथ है, ज्योति पर विश्वास करो कि तुम ज्योति के सन्तान होओ। यूहन्ना 12:35, 36 जो लोग ज्योति की संतान बने उन्होंने बाइबल की खरी बातों का आदर्श’ सीखा। 2 तीमुथियुस 1:13 14 फिर वे इन खरी बातों के ज़रिए और भी सच्चे दिल के लोगों को अंधकार से निकालकर परमेश्वर की ज्योति में ले आए।
6. पहला यूहन्ना 1:5 में ज्योति और अंधकार के बीच कौन-सा बुनियादी फर्क बताया गया है?
6 प्रेरित यूहन्ना ने लिखा: परमेश्वर ज्योति है: और उस में कुछ भी अन्धकार नहीं।1 यूहन्ना 1:5 ध्यान दीजिए कि यहाँ ज्योति और अंधकार के बीच कैसा फर्क बताया गया है। यहोवा आध्यात्मिक उजियाले का सोता है और आध्यात्मिक अंधकार के साथ उसका कोई नाता नहीं। तो फिर अंधकार का सोता कौन है?
आध्यात्मिक अंधकार—उसका सोता
संसार पर जो आध्यात्मिक अंधकार छाया हुआ है उसके पीछे किसका हाथ है और वह किस हद तक असर करता है?
7 प्रेरित पौलुस ने इस संसार के ईश्वर का ज़िक्र किया। इन शब्दों का प्रयोग उसने शैतान यानी इब्लीस के लिए किया। उसने आगे यह भी कहा कि शैतान ने अविश्वासियों . की बुद्धि को अन्धी कर दी है ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप है उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके। 2 कुरिन्थियों 4:4 कई लोग परमेश्वर को मानने का दावा करते हैं मगर उनमें से ज़्यादातर यह नहीं मानते कि इब्लीस अस्तित्त्व में है। ऐसा क्यों? क्योंकि वे यह कबूल करने के लिए हरगिज़ तैयार नहीं हैं कि एक दुष्ट अलौकिक शक्ति सचमुच में हो सकती है और उनके सोच-विचार पर असर कर सकती है। लेकिन जैसा कि पौलुस ने बताया इब्लीस सचमुच अस्तित्त्व में है और वह लोगों पर ऐसा प्रभाव डालता है कि वे सच्चाई की रोशनी नहीं देख पाते। शैतान इंसानों के सोच-विचार को भ्रष्ट करने की ताकत रखता है क्योंकि एक भविष्यवाणी में उसे सारे संसार को भरमानेवाला” कहा गया है। प्रकाशितवाक्य 12:9 शैतान की करतूतों का नतीजा यह हुआ कि यशायाह की भविष्यवाणी के मुताबिक यहोवा की सेवा करनेवालों को छोड़ बाकी सारी मानवजाति की यह हालत है: देख पृथ्वी पर तो अन्धियारा और राज्य राज्य के लोगों पर घोर अन्धकार छाया हुआ है।—यशायाह 60:2.
8. आध्यात्मिक अंधकार में पड़े रहनेवाले किन तरीकों से दिखाते हैं कि वे उलझन में हैं?
जब चारों तरफ घोर अंधकार छाया होता है तो कुछ भी दिखायी नहीं देता। ऐसे में एक इंसान बड़ी आसानी से भटक सकता है या उलझन में पड़ सकता है। ठीक उसी तरह जो लोग आध्यात्मिक अंधकार में हैं उनके पास आध्यात्मिक अर्थ में समझ-बूझ नहीं होती और वे जल्द ही उलझन में पड़ जाते हैं। वे सच और झूठ अच्छे और बुरे के बीच फर्क करने की काबिलीयत खो सकते हैं। अंधकार में पड़े ऐसे लोगों के बारे में भविष्यवक्ता यशायाह ने लिखा: हाय उन पर जो बुरे को भला और भले को बुरा कहते जो अंधियारे को उजियाला और उजियाले को अंधियारा ठहराते और कड़ुवे को मीठा और मीठे को कड़वा करके मानते हैं! यशायाह 5:20 आध्यात्मिक अंधकार में जीनेवाले लोग अंधकार के ईश्वर शैतान के कब्ज़े में हैं इसलिए वे प्रकाश और जीवन के सोते से दूर हो जाते हैं। इफिसियों 4:17-19.
अंधकार से उजियाले तक का सफर इसमें आनेवाली चुनौतियाँ
9. समझाइए कि किस तरह दुष्टों को आध्यात्मिक अंधकार साथ ही सचमुच के अंधकार से लगाव होता है।
परमेश्वर के वफादार सेवक अय्यूब ने बताया कि दुष्टों को अंधकार से कितना लगाव रहता है: व्यभिचारी यह सोचकर कि कोई मुझ को देखने न पाए दिन डूबने की राह देखता रहता है और वह अपना मुंह छिपाए भी रखता है। अय्यूब 24:15 दुष्ट लोग आध्यात्मिक रूप से भी अंधेरे में हैं और यह अंधकार उन पर ज़बरदस्त असर डाल सकता है। प्रेरित पौलुस ने कहा कि जो इस तरह के अंधकार में फँसे हैं उनमें लैंगिक अनैतिकता चोरी लालच पियक्कड़पन गाली-गलौज और दूसरों को लूटना आम बातें हैं। मगर उनमें से जो कोई परमेश्वर के वचन के प्रकाश में आता है वह बदल सकता है। कुरिन्थियों को लिखी पौलुस की पत्री से पता चलता है कि ऐसा बदलाव वाकई मुमकिन है। कुरिन्थ के कई मसीही पहले अंधकार के काम करते थे फिर भी पौलुस ने उनसे कहा: परन्तु तुम प्रभु यीशु मसीह के नाम से और हमारे परमेश्वर के आत्मा से धोए गए और पवित्र हुए और धर्मी ठहरे।”—1 कुरिन्थियों 6:9-11.
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