Thursday, 17 January 2019

He Said Unto Me My Grace Is Sufficient For Thee For My Strength Is Made Perfect In Weakness

प्रभु यीशु ने मुझ से कहा
  प्रभु यीशु के मधुर और मीठे नाम में 
           आप सभी को जय मसीह की कहता हूं 
( 2 कुरिन्थियों 12 : 9 - 10 )
 जब भी हमें अपने ईच्छा अनुसार सांसरिक खुशी मिलती रहती है तब हम ईश्वर से दूर होने लगते हैं,
हम यह भूल जाते हैं यह सब हमें ईश्वर के अनुग्रह से ही मिला है न कि अपने सामर्थ से ।
   और जब हम तकलीफ में होते हैं तब यह कहने लगते हैं, हे ईश्वर आपने मेरे मुसीबत में मुझे छोड़ दिया ।

   क्या यह सही है? नहीं हम ईश्वर को भुल जाते हैं, ईश्वर हमें नहीं ।
खुशी हो या दुख हमे हर पल ईश्वर से जुड़े रहना है प्रार्थना करते रहना हैं 

  हर बात पर उनको धन्यवाद देना हैं क्योंकि जब हम प्रभु से जुड़े होते हैं प्रार्थना के द्वारा तब हमारे मन में असीम शान्ति का अनुभव करते साथ ही साथ हमारे  समस्याओं का हल भी निकलने लगता है, अतः हम ईश्वर से प्रार्थना कर सारे काम करें तब हमें  सफल होने से कोई नहीं रोक सकता, 



प्रभु आप सभी को इस वचन के द्वारा आशीष देवे।


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1} दशमांश किसको देना है ??





5} प्रार्थना में घुटने टेकने का अर्थ।


6} लोगो से शिकायते नही प्रभु से प्रार्थना कीजिये आप परिस्थितियों से आजाद हो जायेंगे



भजन संहिता(Psalms) 133
133:1 देखो, यह क्या ही भली और मनोहर बात है कि भाई लोग आपस में मिले रहें!
133:1 Behold, how good and how pleasant it is for brethren to dwell together in unity!
133:2 यह तो उस उत्तम तेल के समान है, जो हारून के सिर पर डाला गया था, और उसकी दाढ़ी पर बह कर, उसके वस्त्र की छोर तक पहुंच गया।
133:2 It is like the precious ointment upon the head, that ran down upon the beard, even Aaron's beard: that went down to the skirts of his garments;
133:3 वह हेर्मोन की उस ओस के समान है, जो सिय्योन के पहाड़ों पर गिरती है! यहोवा ने तो वहीं सदा के जीवन की आशीष ठहराई है॥
133:3 As the dew of Hermon, and as the dew that descended upon the mountains of Zion: for there the LORD commanded the blessing, even life for evermore.