भजन संहिता 50:14
परमेश्वर को धन्यवाद ही का बलिदान चढ़ा,
भजन संहिता 100:3
उसके फाटकों से धन्यवाद, और उसके आंगनों में स्तुति करते हुए प्रवेश करो
उसका धन्यवाद करो, और उसके नाम को धन्य कहो!
इब्रानियों 13:15
इसलिये हम उसके द्वारा स्तुति रूपी बलिदान
अर्थात उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार
करते हैं परमेश्वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।
पवित्र बाइबल मे स्तुति को ओर धन्यवाद को बलिदान (भेंट ) कहा है। याद रखे
परमेश्वर को आप इस सुष्टि की कोई भी चीज़ नही चढ़ा सकते जैसे फल,फूल
नारियल ओर भी बहुत कुछ है ।परमेश्वर ऐसी चीजो से प्रसन्न (खुश)नही होता
ये चीज़ परमेश्वर की है ओर परमेश्वर ने बनाई है हम उसकी चीज़ उसको नही
चढ़ा सकते लेकिन यदि आप परमेश्वर को प्रसन्न (खुश) करना चाहते हो या
परमेश्वर को कुछ देना चाहते हो तो उसको धन्यवाद ओर स्तुति का बलिदान चढ़ाओ।
पवित्र बाइबल मे स्तुति ओर धन्यवाद को बलिदान कहा है।(इब्रानियों 13:15, भजन 50:14
ओर परमेश्वर इसी बलिदान से प्रसन्न होता है याद रखे।
स्तुति क्या है आप जानते है स्तुति करना मतलब परमेश्वर की बड़ाई करना परमेश्वर की तारीफ करना जब कोई जन परमेश्वर की स्तुति करता है लगातार परमेश्वर की उपस्थिति उस जगह आ जाती परमेश्वर खुद उस जगह आ जाता है। (भजन सहिता 22:3 के अनुसार )जब हम परमेश्वर की स्तुति ओर धन्यवाद करते है तो हम उसका आदर करते है ओर जब हम ऐसा करते है तो परमेश्वर को उपहार (Gift) देते है।
यदि आप को कोई उपहार(Gift) दे तो आप बहुत खुश हो जाओगे। वैसे ही जब हम परमेश्वर को धन्यवाद
ओर स्तुति का उपहार(Gift) देते है तो परमेश्वर बहुत खुश होते है।
याद रखे परमेश्वर को यदि आप को खुश करना है
तो उसकी स्तुति ओर धन्यवाद करे।
जब हम परमेश्वर की स्तुति ओर धन्यवाद करते है तो हम घोषित करते है की हम परमेश्वर के लोग है। ओर जब हम ऐसा करते है तो हम परमेश्वर के साथ वाचा बांधते है।(भजन 50:5)ओर परमेश्वर की वाचा की आशीष हमारे जीवन मे आने पाती है। (निर्गमन 23:26)वाचा की आशीष का मतलब परमेश्वर की सारी प्रतिज्ञा हमारे जीवन मे पूरी होनी पाती है।स्तुति परमेश्वर के सामर्थ को लेकर आती है ओर परमेश्वर की उपस्थिति को भी लेकर आती है। (2इतिहास5:13,14)
स्तुति हमे शैतान ओर अंधकार की ताकत पर जय दिलाती है। जब हम परमेश्वर की स्तुति करते है
तो हम शैतान के ऊपर attack करते है स्तुति ये आत्मिक हथियार है जो हमे शैतान पर जय दिलाती है।
(2 इतिहास20:21 के अनुसार) हो सकता है शैतान आप के जीवन मे किसी न किसी रूप से काम कर रहा हो।
हो सकता है किसी व्यक्ति के दावरा या बीमारी के दावरा यदि ऐसा है तो आप चिंता न करे आप सिर्फ परमेश्वर की स्तुति करे जय आप को भी मिलेगी।
आप यदि परमेश्वर से प्रेम करते है ये कैसे कह सकते है ? यदि आप परमेश्वर से प्रेम करते है तो ये कैसे प्रकट करेगे परमेश्वर को। उसका जवाब है परमेश्वर को स्तुति ओर धन्यवाद का बलिदान चढ़ा कर जब हम परमेश्वर को स्तुति ओर धन्यवाद का बलिदान चढ़ाते है तो हम परमेश्वर को बताते है की हम उससे प्रेम करते है। ओर परमेश्वर का वचन भी कहता है की उसकी आज्ञा को मानना ही परमेश्वर से प्रेम करना है (यूहन्ना 14:15)
ओर हमे कहा भी है परमेश्वर के वचन मे की परमेश्वर को स्तुति ओर धन्यवाद का बलिदान चढ़ा।(भजन50:14,भजन100:3, इब्रानियों13:14)
इसलिए जब हम परमेश्वर को धन्यवाद ओर स्तुति का बलिदान चढ़ाते है तो यह प्रकट करते है की हम परमेश्वर से प्रेम करते है।
क्योकि इसके दावरा ही हम परमेश्वर को बताते है की हम परमेश्वर से प्रेम करते है। ओर याद रखे हम परमेश्वर को इस पृथ्वी की कोई भी चीज़ नही दे सकते
क्योकि सब कुछ उसका है।
यदि आप परमेश्वर को प्रसन्न करना चाहते हो तो परमेश्वर को स्तुति ओर धन्यवाद का बलिदान चढ़ाए। जब हम ऐसा करते है तो हम परमेश्वर को प्रेम करते है।