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Tuesday, 29 April 2025

Jesus Christ Healing New Life यीशु मसीह चंगाई छुटकारा और नया जीवन

 यीशु मसीह चंगाई छुटकारा और नया जीवन

Sunday, 22 March 2020

दूसरी वाणी जिसे यीशु ने क्रूस कही | Second voice: what Jesus called the cross |मैं तुझ से सच कहता हूं; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होग

दूसरी वाणी : जिसे यीशु ने क्रूस कही

लूका 23:43 "यीशु ने उस से कहा, मैं तुझ से सच कहता हूं; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा॥

यीशु ने किससे और क्यों कहा: आज ही तू मेरे साथ स्वर्ग लोक में होगा ?
    बाइबिल हमे यह बताती है कि यीशु के साथ दो डाकू और क्रूस पर लटकाये गए थे । एक यीशु के दाहिनी ओर एक बाई ओर ।  जिस का वर्णन बाइबिल में इस प्रकार से है :
लुक 23:39-43 जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उन में से एक ने उस की (यीशु ) निन्दा करके कहा; क्या तू मसीह नहीं तो फिर अपने आप को और हमें बचा। इस पर दूसरे ने उसे डांटकर कहा, क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता? तू भी तो वही दण्ड पा रहा है। और हम तो न्यायानुसार दण्ड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं; पर इस ने कोई अनुचित काम नहीं किया।  तब उस ने कहा; हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना।
तब यीशु ने कहा :
लुक 23:43 यीशु ने उस से कहा, मैं तुझ से सच कहता हूं; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा॥

      उपरोक्त वचन के अनुसार एक डाकू ने यीशु पर विश्वाश किया कि यीशु परमेश्वर है और दूसरे डाकू ने विश्वाश नही किया ।
जिसने विशवास किया ,उससे यीशु ने कहा : तू आज ही मेरे साथ स्वर्ग लोक में होगा ।

   प्रियो, इस वाणी से हमे यह शिक्षा मिलती है :
1. यीशु पर विश्वास करना कि वह परमेश्वर का पुत्र है ।
2. उस डाकू के समान अपने पापों को यीशु के आगे अंगीकार करना है ।
       प्रियो,  बाइबिल में यीशु मसीह ने कई उपदेश दिए विश्वास पर । जैसे यीशु ने कहा :

यूहन्ना 3:18,19 जो उस (यीशु) पर विश्वास करता है, उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहर चुका; इसलिये कि उस ने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया।  और दंड की आज्ञा का कारण यह है कि ज्योति जगत में आई है, और मनुष्यों ने अन्धकार को ज्योति से अधिक प्रिय जाना क्योंकि उन के काम बुरे थे। " एक ओर वचन को पढ़े  जो मिलता है :

इब्रानियों 11:6" और विश्वास बिना उसे  प्रसन्न करना अनहोना है, क्योंकि परमेश्वर के पास आने वाले को विश्वास करना चाहिए, कि वह है; और अपने खोजने वालों को प्रतिफल देता है। " एक ओर वचन पड़ेंगे जो मिलता :

यूहन्ना 3:13,14" और जिस रीति से मूसा ने जंगल में सांप को ऊंचे पर चढ़ाया, उसी रीति से अवश्य है कि मनुष्य का पुत्र ( यीशु ) भी ऊंचे पर चढ़ाया जाए। ताकि जो कोई विश्वास करे उस में अनन्त जीवन पाए॥  "

       अर्थात अनंत जीवन ,स्वर्गीय जीवन पाने के लिए यीशु पर विश्वास करना जरूरी है । एक और वचन पढे जो मिलता है :

यूहन्ना 3:36 " जो पुत्र (यीशु ) पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र (यीशु ) की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है॥
   
      यदि यीशु पर विश्वास नही करते है तो परमेश्वर के क्रोध का सामना करना होगा । अर्थात नरक में डाला जाना ।एक ओर वचन को पढ़े जो मिलता है :

प्रिरितो के काम 16:30-31 और उन्हें बाहर लाकर कहा, हे साहिबो, उद्धार पाने के लिये मैं क्या करूं? उन्होंने कहा, प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा।

    प्रियो, यदि आप पापों से उद्धार पाना चाहते है  और स्वर्गीय आशीष को, अनन्त जीवन को पाना चाहते है , तो यीशु मसीह पर विश्वास करना होगा कि वह परमेश्वर का पुत्र है और हमे हमारे पापों से उद्धार देने इस जगत में आया । और हमारे पापों के प्रायश्चित के लिए क्रूस पर बलिदान हुआ ।
   
प्रियो, जैसे उस डाकू ने  यीशु पर विश्वास  किया कि  यीशु परमेश्वर का पुत्र है और अपने पापों को यीशु के आगे अंगीकार किया । तो यीशु ने उससे कहा : आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा ।

विश्वास के लिये दो बातें जरूरी है । जैसा परमेश्वर का वचन कहता :

रोमियो 10:10" क्योंकि धामिर्कता के लिये मन से विश्वास किया जाता है, और उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है।

एक और वचन की ओर आपका ध्यान ले जाना चाहती हूं :

1 यूहन्ना 1:9,10 यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह (यीशु ) हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। यदि कहें कि हम ने पाप नहीं किया, तो उसे झूठा ठहराते हैं, और उसका वचन हम में नहीं है॥

प्रियो, जैसे एक डाकू ने अपने पापों को यीशु के आगे अंगीकार कर  स्वर्गीय राज्य को पाया । लेकिन दूसरे डाकू ने अपने पापों को यीशु के आगे काबुल न कर स्वर्गीय आशीष को खो दिया । वैसे ही आज बहुत से लोग अपने पापों में बने  हुए है और परमेश्वर की दया को ठुकरा रहे है ये बहुत ही दुख की बात है । ये वाणी उन्हें फिर से परमेश्वर की दया को याद दिला रही है कि वे पापों से मन फिराए ओर परमेश्वर की दया को प्राप्त करे ।

      उपरोक्त वचनों को जानने के बाद यदि आप यीशु पर विश्वास करते है और अपने पापों से उद्धार पाना चाहते है । और स्वर्गी राज्य में भागी होना चाहते है । और नरक के दंड से बचना चाहते है तो इसी वक़्त अपने अपने पापों को यीशु के आगे कबुल करे । मतलब अपने आप को यीशु के आगे सरेंडर करे। सरेंडर करने का मतलब। जैसे एक सैनिक दूसरे देश के बॉर्डर पर यदि दूसरे देश के सैनिकों से घिर जाए तो वह अपनी जान बचाने के लिए अपने आप को सरेंडर करता है अर्थात  वह अपनी बंदूक,बैग, और जो कुछ भी उसके पास होता है उसे जमीन पर फैक कर दोनों हाथों को ऊपर करता तब दूसरे देश के सैनिक उस पर गोली नही चलते । उसी प्रकार जितने अपने पापों को यीशु के आगे डाल देते है जितने पापों से मन फिरते है और  उसे अपना उद्धारकर्ता स्वीकार करते है । तब यीशु उनके पापों को क्षमा करेगा । और उनको  स्वर्गीय राज्य के लिए चुन लेगा । प्रियो ,इसी वक्त अपना जीवन प्रभु यीशु को दे । ताकि स्वर्गीय आशीष को पा सको ओर नरक के दंड से बच सको । परमेश्वर इस वचन के द्वारा आप सभों को बहुत बहुत आशीष दे । आमीन

     

Friday, 24 January 2020

उद्धार की योजना

उद्धार की योजना
          क्या आप भूखे हैं? शारीरिक रूप से भूखे
नहीं, वरन् क्या आपके जीवन में किसी और
चीज की भूख है? क्या आपके मन की गहराई में
ऐसी कोई चीज है जो कभी भी संतुष्ट होती
प्रतीत नहीं होती? 
   यदि ऐसा है तो, यीशु ही एक मार्ग है! यीशु ने कहा,
            "जीवन की रोटी मैं  हूँ : जो मेरे पास आता है वह कभी भूखा न होगा,
 और जो मुझ पर विश्वास करता है, वह  कभी प्यासा न होगा" (यूहन्ना 6:35)।

क्या आप उलझन में पड़े हैं? क्या आपके जीवन के
लिए आपको कोई मार्ग या उद्देश्य नहीं जान
पड़ा? क्या ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी
ने बत्ती बुझा दी है और आप इसे जलाने के लिए
बटन नहीं ढूँढ पा रहे हैं? 
     यदि ऐसा है तो, यीशु ही एक मार्ग है! यीशु ने घोषणा की कि,
"जगत की ज्योति मैं हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा
वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की
ज्योति पाएगा" (यूहन्ना 8:12)।

क्या आप कभी ऐसा महसूस करते हैं कि आपके
जीवन के द्वार बन्द हो गए हैं? क्या आपने बहुत
सारे द्वारों को केवल यह जानने के लिए
खटखटाया है, कि उनके पीछे केवल खालीपन
तथा अर्थहीनता है? क्या आप भरपूरी के एक
जीवन में प्रवेश करने के लिए प्रवेश द्वार की
खोज में हैं? 
   यदि ऐसा है तो, यीशु ही एक मार्ग
है! यीशु ने घोषणा की कि, 

"द्वार में हूँ; यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे, तो
 उद्धार पाएगा, और भीतर बाहर आया जाया करेगा
और चारा पाएगा" (यूहन्ना 10:9)।

क्या अन्य लोग हमेशा आपको नीचा दिखाते
हैं? क्या आपके सम्बन्ध सतही और थोथले हैं?
क्या आपको ऐसा प्रतीत होता है कि हर एक
व्यक्ति आपका लाभ उठाने का प्रयास कर
रहा है?
  यदि ऐसा है तो, यीशु ही एक मार्ग है! यीशु ने कहा था, 
"अच्छा चरवाहा मैं हूँ;  अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिए अपना प्राण  
देता है; मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं" (यूहन्ना 10:11, 14)।

क्या आप आश्चर्य करते हैं कि इस जीवन के बाद
क्या होता है? क्या आप अपने जीवन को उन
वस्तुओं के लिए यापन करते हुए थक गए हैं जो
केवल सड़ती या जंक़ खा जाती हैं? क्या आप
को कई बार सन्देह होता है कि जीवन का कुछ
अर्थ है या नहीं? क्या आप अपनी मृत्यु के बाद
जीना चाहते हैं? 
यदि ऐसा है तो, यीशु ही एक मार्ग है! यीशु ने घोषणा की कि,
 "पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ; जो कोई मुझ पर विश्वास करता है 
वह यदि मर भी जाए तोभी जीएगा।
और जो कोई जीवित है और मुझ पर विश्वास
करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा" (यूहन्ना
11:25-26)।

मार्ग क्या है? सत्य क्या है? जीवन क्या हैॽ
यीशु ने उत्तर दिया, "मार्ग और सत्य और जीवन
मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास
नहीं पहुँच सकता" (यूहन्ना 14:6)।

जिस भूख को आप महसूस करते हैं वह एक
आत्मिक भूख है, और केवल यीशु के द्वारा ही
पूरी की जा सकती है। एकमात्र यीशु ही है
जो अंधेरे को समाप्त कर सकता है। यीशु एक
संतुष्ट जीवन का द्वार है। यीशु एक मित्र और
चरवाहा है जिसकी आप खोज कर रहे थे। यीशु
- इस और आने वाले संसार के लिए जीवन है।
यीशु ही उद्धार का मार्ग है!

वह कारण जिससे आप भूख को महसूस करते हैं,
वह कारण जिससे आपको अंधेरे में खो जाना
प्रतीत होता है, वह कारण जिससे आप अपने
जीवन में कोई अर्थ नहीं पाते हैं, यह है कि आप
परमेश्वर से अलग हो गए हैं (सभोपदेशक 7:20;
रोमियों 3:23)। जिस खालीपन को आप अपने
हृदय में महसूस करते हैं वह आपके जीवन में परमेश्वर का न होना है।
 हमारी रचना परमेश्वर के साथ सम्बन्ध बनाए रखने के लिए की गई थी। 

परन्तु हमारे अपने पाप के कारण, हम उस सम्बन्ध से
अलग हो गए। इससे भी बुरा यह है कि, हमारा
पाप हमें इस और अगले जीवन में, भी पूरे
अनन्तकाल के लिए परमेश्वर से अलग होने का
कारण बनेगा (रोमियों 6:23; यूहन्ना 3:36)।

इस समस्या का हल क्या हो सकता है? यीशु
ही एक मार्ग है! यीशु ने हमारा पाप अपने ऊपर
ले लिया (2कुरिन्थियों 5:21)। यीशु हमारे
स्थान पर (रोमियों 5:8), उस दण्ड को लेते हुए
मर गया जिसके पात्र हम थे।
 तीन दिनों के पश्चात, यीशु मुर्दों में से, पाप तथा मृत्यु के ऊपर 
अपनी विजय को प्रमाणित करते हुए जी
उठा (रोमियों 6:4-5)। उसने ऐसा क्यों
किया? यीशु ने स्वयं इस प्रश्न का उत्तर दिया
है: "इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं कि कोई
अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे" (यूहन्ना
15:13)! यीशु मरा ताकि हम जी सकें। यदि हम
यीशु में अपना विश्वास, उसकी मृत्यु को
हमारे पापों के लिएचुकाई हुई कीमत मानकर
करते हैं – तो हमारे सारे पाप क्षमा किए और
धो दिए जाते हैं। तब हम अपनी आत्मिक भूख
की संतुष्टि को पा सकेंगे। फिर से बत्तियाँ
जल उठेंगी। हमारी पहुँच एक भरपूरी के जीवन
तक हो जाएगी। हम हमारे सच्चे उत्तम मित्र
तथा अच्छे चरवाहे को जानेंगे। हम यह जानेंगे
कि मरने के बाद भी हमारे पास जीवन होगा
– यीशु के साथ अनन्तकाल के लिए स्वर्ग में एक
जी उठा हुआ जीवन!
"क्योंकि परमेश्वर ने जगत में ऐसा प्रेम रखा कि
उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि
जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो,
परन्तु अनन्त जीवन पाए" (यूहन्ना 3:16)।

Wednesday, 13 March 2019

New Jerusalem Study Who will not enter new Jerusalem New Jerusalem under construction in heaven

नये यरूशलेम का अध्ययन
         स्वर्ग में निर्माणाधीन नया यरूशलेम
मेरे पिता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं, यदि न होते, तो मैं तुम से कह देता क्योंकि मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूं। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूं, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहां ले जाऊंगा, कि जहां मैं रहूं वहां तुम भी रहो।  यूहन्ना 14: 2-3
प्रभु यीशु मसीह हमारे लिए रहने की जगह तैयार कर रहे हैं जब हमारे रहने का स्थान तैयार हो जाएगा । तब वे हमें लेने आएंगे । मसीह की दुल्हन व उसका निवास स्थान अर्थात नया यरूशलेम दुल्हन सहित नई पृथ्वी पर उतरेगा । (प्रा वा. 21: 1-2 )2 पतरस 3: 7, 10-13 के अनुसार वर्तमान पृथ्वी और आकाश जलाए जाने के लिए रखे गए है । क्योंकि शैतान ओर उसके और उसके दूतो ने वर्त्तमान पृथ्वी और आकाश को अपने धृणीत कामो और विचरण से अपवित्र कर दिया है । परमेश्वर की आग तत्वों को पिघलाकर उन्हें नया रूप देगी पृथ्वी पर समुद्र भी नहीं रहेगा और इस प्रकार वर्तमान पृथ्वी और आकाश नए आकाश और पृथ्वी में तब्दील हो जायेगे । पृथ्वी  और आकाश को बदल कर नये व पवित्र स्वरूप में होने के बाद पृथ्वी पर नया यरूशलेम उतरेगा ।
नया यरूशलेम कैसा होगा ?
(1) उसका नाम क्या होगा ।
(1) पवित्र नगर ( प्र.वा.21:2, 22:19)
(2) नया यरूशलेम (  प्र.वा. 3:12, 21:2)
(3) परमेस्वर का डेरा (  प्र.वा. 21 :2, 9,19 )
(4) दुल्हन मेमने की पत्नी (  प्र.वा. 21:2,9,19 )
(5) पवित्र यरूशलेम (  प्र.वा. 21:10)
(6) स्वर्गीय यरूशलेम (इबा : 12:2 )
(7) पिता का घर ( यूहन्ना 14:2)
(2) नये यरूशलेम के बनाने वाले-
परमेश्वर व प्रभु मसीह (  प्र.वा.3: 12, 21:1, 10
यूहन्ना 14:1-3, कुलु 4:26, इब्रा 9:11, 11: 10-16)
(3) नये यरूशलेम का बाहरी स्वरूप-
1) परमेश्वर की महिमा उसमे होगी ।
2) उसकी ज्योति प्रकाश बिल्लौर के समान और यशब की तरह स्वच्छ होगी ।
3) उसकी शहर पनाह बहुत उची होगी।
4) उसके बाहर फाटक होंगे जिन पर 12 स्वर्गदुत होंगे । और इस फाटकों पर इसाइल के 12 गोत्रो का नाम होंगे।
5) पूर्व, पश्चिम, उत्तर , दक्षिण , में 3-3 फाटक होंगे।
6) शहर पनाह की 12 निवे होगी जिन पर मेम्ने (प्रभु यीशु) के 12 प्रेरितो के नाम होंगे ( प्रा.वा. 21:11-14)
(4) नये यरूशलेम का आकार व माप -
1) नगर  वर्गाकार बसा हुआ होगा ।
2) नगर का माप साढे सात सौ कोस । इस नगर की ऊँचाई ,लाबाई और चौडाई एक बराबर होगी अर्थात 2400 कि. मी. लबा ऊँचा और चौडा नगर।
3) शहर पनाह का माप 144 हाथ ( लगभग 100 मीटर ऊँचा ) होगा ( प्रा. वा. 21:16-17)
(5) नये यरुशलेम की निर्माण सामग्री
1) शहरपनाह - यशब की
2) नगर - शुद्ध सोना ( स्वच्छ कांच के समान )
3) नगर की नीव - बहुमुल्य पत्थरो की ( 1. यशब 2) निलमणि 3) लालडी 4) मरकत 5) गोमेदक 6) पुखराज 7) लहसनिआ 8 ) याकूत की होगी।
4) 12 फाटक - मोतियों के
5) सड़क - स्वाच्छ कांच के सामान शुद्ध सोने की ( प्रा .वा. 21:18:21)
(6) नये यरुशलेम की प्रकाश व्यवस्था-
1) नगर में सूर्य और चाँद की उजियाला नही होगी।
2) परमेश्वर के तेज से उसमे उजियाला होगा व हो रहा है।
3) मेम्ना नगर का दीपक है।
4) उस नगर में रात कभी न होगी । ( प्रा. वा. 21:23, 25, 22: 5)
(7) नये यरुशलेम की जल व्यवस्था-
* उस नगर में बिल्लौर के सामान झलकती हुए जीवन के जल नदी है ।
 कोई भी आकर इस जल को पी सकेगा ( प्रा. वा. 221,17 )
(8) नये यरूसलेम की भोजन व्यवस्था- 
1) जीवन के वृक्ष में 12 प्रकार के फल लगेंगे जो हर माह फलेंगे । वृक्ष के पते जाती जाती के लोगो को चंगा करेगे( प्रा.वा. 22:2:7)
2) गुत्त मन्ना ( स्वर्गीय अन्न) स्वर्गदूतो का भोजन  ( प्रा.वा. 2:17) (भजन 78:24-25)
3)प्रभु भोज प्राप्त होगा ( लुका 22:15-18,30)
(9) नये यरुशलेम में कौन प्रवेश नहीं करेगा।
1. डरपोक 2. अविश्वासियों 3. घिनौनो 4. हत्यारो 5. व्यभिचारी 6. टोन्हों जादूगरों तांत्रिक 7. अपवित्र 8. घृणित काम करने वाले 10. झूठे झूठ को चाहने वाले और गठने वाले (  ( प्रा.वा. 21:8, 27, 22, 15 )
(10) नये यरूशलेम में कौन रहेंगे -
1) पुराने नियम के पवित्र लोगो से नये यरूशलेम की प्रतिज्ञा की गई थी ( इब्रा 11:8-16 )
2) आरभीभक कलीसिया से नगर की प्रतिज्ञा की गई थी ( यूहन्ना 14:1-3 , इब्रा 12:22-23)
3) प्रत्येक मसीही से नगर की प्रतिज्ञा है ( प्रा. वा. 3:12 यूहन्ना 14:1-3
4) वहां 144000 यहूदी होंगे । (  ( प्रा.वा. 6:9-11, 7:9-17 ,15:2-4 ,20:4-6
(11) नये यरूशलेम के शासक 
परमेश्वर और मेम्ना (  ( प्रा.वा. 22: 3-5) है व होंगे।
प्रियो स्वर्ग असीमित है उसका आकार व्यापक है जिसका हमे ज्ञान नही है। परमेश्वर जी जो कि आत्मा है और हर जगह व्याप्त है स्वर्ग , अंतरीक्ष,प्रथ्वी, नरक,अधोलोक ,सूर्य ,ग्रह ,नक्षत्र, तारे हर एक स्थान पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर मौजूद है हम हर जगह उसके देखने मे आते है हम उससे बच नही सकते ।
प्रभु परमेश्वर के पुत्र प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमारे निवास के लिए स्वर्ग के किसी हिस्से में नये यरुशलेम में स्थान तैयार किया जा रहा है और स्थान का निर्माण कार्य पूरा होते ही वे हमें लेने आएगे ।
स्वर्ग औऱ नये यरुशलेम मव यही फर्क है मानो स्वर्ग 1000 एकड़ की जमीन है और उस नया यरूशलेम 20 × 50 वर्गफीट का मकान ।।