Friday, 24 January 2020

उद्धार की योजना

उद्धार की योजना
          क्या आप भूखे हैं? शारीरिक रूप से भूखे
नहीं, वरन् क्या आपके जीवन में किसी और
चीज की भूख है? क्या आपके मन की गहराई में
ऐसी कोई चीज है जो कभी भी संतुष्ट होती
प्रतीत नहीं होती? 
   यदि ऐसा है तो, यीशु ही एक मार्ग है! यीशु ने कहा,
            "जीवन की रोटी मैं  हूँ : जो मेरे पास आता है वह कभी भूखा न होगा,
 और जो मुझ पर विश्वास करता है, वह  कभी प्यासा न होगा" (यूहन्ना 6:35)।

क्या आप उलझन में पड़े हैं? क्या आपके जीवन के
लिए आपको कोई मार्ग या उद्देश्य नहीं जान
पड़ा? क्या ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी
ने बत्ती बुझा दी है और आप इसे जलाने के लिए
बटन नहीं ढूँढ पा रहे हैं? 
     यदि ऐसा है तो, यीशु ही एक मार्ग है! यीशु ने घोषणा की कि,
"जगत की ज्योति मैं हूँ; जो मेरे पीछे हो लेगा
वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की
ज्योति पाएगा" (यूहन्ना 8:12)।

क्या आप कभी ऐसा महसूस करते हैं कि आपके
जीवन के द्वार बन्द हो गए हैं? क्या आपने बहुत
सारे द्वारों को केवल यह जानने के लिए
खटखटाया है, कि उनके पीछे केवल खालीपन
तथा अर्थहीनता है? क्या आप भरपूरी के एक
जीवन में प्रवेश करने के लिए प्रवेश द्वार की
खोज में हैं? 
   यदि ऐसा है तो, यीशु ही एक मार्ग
है! यीशु ने घोषणा की कि, 

"द्वार में हूँ; यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे, तो
 उद्धार पाएगा, और भीतर बाहर आया जाया करेगा
और चारा पाएगा" (यूहन्ना 10:9)।

क्या अन्य लोग हमेशा आपको नीचा दिखाते
हैं? क्या आपके सम्बन्ध सतही और थोथले हैं?
क्या आपको ऐसा प्रतीत होता है कि हर एक
व्यक्ति आपका लाभ उठाने का प्रयास कर
रहा है?
  यदि ऐसा है तो, यीशु ही एक मार्ग है! यीशु ने कहा था, 
"अच्छा चरवाहा मैं हूँ;  अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिए अपना प्राण  
देता है; मैं अपनी भेड़ों को जानता हूँ और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं" (यूहन्ना 10:11, 14)।

क्या आप आश्चर्य करते हैं कि इस जीवन के बाद
क्या होता है? क्या आप अपने जीवन को उन
वस्तुओं के लिए यापन करते हुए थक गए हैं जो
केवल सड़ती या जंक़ खा जाती हैं? क्या आप
को कई बार सन्देह होता है कि जीवन का कुछ
अर्थ है या नहीं? क्या आप अपनी मृत्यु के बाद
जीना चाहते हैं? 
यदि ऐसा है तो, यीशु ही एक मार्ग है! यीशु ने घोषणा की कि,
 "पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ; जो कोई मुझ पर विश्वास करता है 
वह यदि मर भी जाए तोभी जीएगा।
और जो कोई जीवित है और मुझ पर विश्वास
करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा" (यूहन्ना
11:25-26)।

मार्ग क्या है? सत्य क्या है? जीवन क्या हैॽ
यीशु ने उत्तर दिया, "मार्ग और सत्य और जीवन
मैं ही हूँ; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास
नहीं पहुँच सकता" (यूहन्ना 14:6)।

जिस भूख को आप महसूस करते हैं वह एक
आत्मिक भूख है, और केवल यीशु के द्वारा ही
पूरी की जा सकती है। एकमात्र यीशु ही है
जो अंधेरे को समाप्त कर सकता है। यीशु एक
संतुष्ट जीवन का द्वार है। यीशु एक मित्र और
चरवाहा है जिसकी आप खोज कर रहे थे। यीशु
- इस और आने वाले संसार के लिए जीवन है।
यीशु ही उद्धार का मार्ग है!

वह कारण जिससे आप भूख को महसूस करते हैं,
वह कारण जिससे आपको अंधेरे में खो जाना
प्रतीत होता है, वह कारण जिससे आप अपने
जीवन में कोई अर्थ नहीं पाते हैं, यह है कि आप
परमेश्वर से अलग हो गए हैं (सभोपदेशक 7:20;
रोमियों 3:23)। जिस खालीपन को आप अपने
हृदय में महसूस करते हैं वह आपके जीवन में परमेश्वर का न होना है।
 हमारी रचना परमेश्वर के साथ सम्बन्ध बनाए रखने के लिए की गई थी। 

परन्तु हमारे अपने पाप के कारण, हम उस सम्बन्ध से
अलग हो गए। इससे भी बुरा यह है कि, हमारा
पाप हमें इस और अगले जीवन में, भी पूरे
अनन्तकाल के लिए परमेश्वर से अलग होने का
कारण बनेगा (रोमियों 6:23; यूहन्ना 3:36)।

इस समस्या का हल क्या हो सकता है? यीशु
ही एक मार्ग है! यीशु ने हमारा पाप अपने ऊपर
ले लिया (2कुरिन्थियों 5:21)। यीशु हमारे
स्थान पर (रोमियों 5:8), उस दण्ड को लेते हुए
मर गया जिसके पात्र हम थे।
 तीन दिनों के पश्चात, यीशु मुर्दों में से, पाप तथा मृत्यु के ऊपर 
अपनी विजय को प्रमाणित करते हुए जी
उठा (रोमियों 6:4-5)। उसने ऐसा क्यों
किया? यीशु ने स्वयं इस प्रश्न का उत्तर दिया
है: "इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं कि कोई
अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे" (यूहन्ना
15:13)! यीशु मरा ताकि हम जी सकें। यदि हम
यीशु में अपना विश्वास, उसकी मृत्यु को
हमारे पापों के लिएचुकाई हुई कीमत मानकर
करते हैं – तो हमारे सारे पाप क्षमा किए और
धो दिए जाते हैं। तब हम अपनी आत्मिक भूख
की संतुष्टि को पा सकेंगे। फिर से बत्तियाँ
जल उठेंगी। हमारी पहुँच एक भरपूरी के जीवन
तक हो जाएगी। हम हमारे सच्चे उत्तम मित्र
तथा अच्छे चरवाहे को जानेंगे। हम यह जानेंगे
कि मरने के बाद भी हमारे पास जीवन होगा
– यीशु के साथ अनन्तकाल के लिए स्वर्ग में एक
जी उठा हुआ जीवन!
"क्योंकि परमेश्वर ने जगत में ऐसा प्रेम रखा कि
उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि
जो कोई उस पर विश्वास करे वह नष्ट न हो,
परन्तु अनन्त जीवन पाए" (यूहन्ना 3:16)।