Sunday, 22 March 2020

First speech - Jesus said on the cross पहली वाणी : जिसे यीशु ने क्रूस पर कही | इन्हें क्षमा कर क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं

पहली वाणी : जिसे यीशु ने क्रूस पर कही
" तब यीशु ने कहा; हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं ।"लूका 23:34

     प्रभु यीशु ने क्रूस पर मुख्य सात वाणी को कहा जिसमे से ये पहली वाणी ।  यह वाणी हमे यह सीखती है जैसे यीसु ने अपने सताने वालों को क्षमा किया वैसे ही हम भी अपने सताने वालों को क्षमा करें । प्रभु यीशु ने इस पृथ्वी पर रहते हुए एक भी पाप न किये, फिर भी उन्होंने क्रूस के दुख को उठाया , ताकि हम गुनेहगार को क्षमा मिले । परमेश्वर का वचन बाइबिल धर्म शास्त्र में कहता है:

" क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। यूहन्ना 3:16

" परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए। यूहन्ना 3:17

" जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहर चुका; इसलिये कि उस ने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया। यूहन्ना 3:18

एक और जगह पर परमेश्वर का वचन कहता :

" क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा। किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे। परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा। "
रोमियो 5:6-8
   उपरोक्त वचन में हम पाते है कि प्रभु यीशु मानव जाति को उनके पापों से उद्धार देने के लिए क्रूस पर बलिदान हुए । लेकिन शास्त्री, फरीसी, महायाजकों, और पुरनियों, लोगों ने यीशु को क्रूस पर चढ़ाया । वे परमेश्वर की मानव जाति के उद्धार की योजना से  अनजान थे ।  जब प्रभु यीशु इस पृथ्वी पर थे , तब उन्होंने बीमारों को चंगा किया , कोड़ियों को शुध्द किया , दुष्टात्मा ग्रसित लोगों छुटकारा दिया , मुर्दो को जिलाया फिर भी यीशु को उन्होंने क्रूस पर चढ़ा दिया  । फिर भी यीशु ने अपने सताने वालों के लिए क्रूस पर प्रार्थना की :

" तब यीशु ने कहा; हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं । लूका 23:34

  प्रभु यीशु ने अपने प्रेम को मानव जाति पर यह वाणी कह कर प्रगट किया । भारी दुख वेदना के बाद उन्होंने अपने प्राण को क्रूस पर त्याग दिए । एवं तीसरे दिन मृतकों में से जी उठे । जी उठने के बाद अपने चेलों से बात चीत की । 40 दिन वे चेलों को दिखाई दिए । फिर सबके देखते स्वर्ग पर चढ़ गए । प्रभु यीशु के  निर्दोष बलिदान के कारण स्वर्ग के द्वार खुल गए । अब प्रत्येक मनुष्य प्रभु यीशु से पापों की क्षमा मांग स्वर्ग जा सकता । लेकिन प्रभु यीशु  इस वाणी के द्वारा शिखाना चाहते  है  जैसे यीशु ने अपने सताने वालों को क्षमा किया, वैसे ही हम भी अपने सताने वालों के लिए प्रार्थना करना है और उन्हें शमा करना है । प्रभु यीशु ने अपने वचन में कहा :

" और जब कभी तुम खड़े हुए प्रार्थना करते हो, तो यदि तुम्हारे मन में किसी की ओर से कुछ विरोध, हो तो क्षमा करो: इसलिये कि तुम्हारा स्वर्गीय पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा करे॥ और यदि तुम क्षमा न करो तो तुम्हारा पिता भी जो स्वर्ग में है, तुम्हारा अपराध क्षमा न करेगा।
मरकुस 11:25,26

एक ओर जगह येशु ने कहा :

 "तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था; कि अपने पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपने बैरी से बैर।  परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो।  जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनो पर अपना सूर्य उदय करता है, और धमिर्यों और अधमिर्यों दोनों पर मेंह बरसाता है।
मत्ती 5:43-45

 प्रियो,  यदि हम स्वर्ग जाना चाहते है तो अपने सताने वालों के लिए प्रार्थना करना होगा और क्षमा करना होगा । प्रियो यदि इस वचन से अपने आशीष पाई है तो अवश्य लाइक करे और अपने मित्रों में शेयर करना न भूले । ताकि वे भी वचन की आशीष को प्राप्त कर सके । परमेश्वर आप सभों को स्वर्गीय राज्य के योग्य बनाये । अमीन