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Sunday, 18 May 2025

अय्यूब 1 अध्याय – पूरा वचन और गहरी व्याख्या | Hindi Bible Study | Job Chapter 1 Explanation

अय्यूब 1 अध्याय – पूरा वचन और विस्तार से व्याख्या | हिंदी बाइबल अध्ययन

अय्यूब 1 अध्याय – पूरा वचन और विस्तार से व्याख्या

अय्यूब 1 अध्याय के बारे में जानकारी:
अय्यूब 1 अध्याय में हम एक धर्मात्मा और धीरजवान इंसान अय्यूब की कहानी पढ़ते हैं। यह अध्याय हमें सिखाता है कि जब इंसान पर विपत्तियाँ आती हैं तब भी उस पर विश्वास बनाए रखना कितना जरूरी होता है। इस अध्याय में शैतान और परमेश्वर के बीच संवाद के माध्यम से अय्यूब की परीक्षा का वर्णन है, जिससे हमें धैर्य और ईमानदारी की प्रेरणा मिलती है।


अय्यूब 1:1

"उश की धरती पर एक मनुष्य था, जिसका नाम अय्यूब था। वह निःसंदेह था और परमेश्वर से डरा हुआ था, और बुराई से कटता था।"

व्याख्या: अय्यूब का परिचय इस वचन में मिलता है कि वह एक धार्मिक और सच्चा इंसान था। उसका जीवन परमेश्वर की आज्ञाओं के अनुसार था और वह बुराई से दूर रहता था। इससे हमें यह सीख मिलती है कि एक सच्चा विश्वास रखने वाला इंसान अपने आचरण से अलग पहचाना जाता है।

अय्यूब 1:2

"उसके सात पुत्र और तीन पुत्रियाँ थीं।"

व्याख्या: अय्यूब के परिवार का परिचय यहाँ दिया गया है, जो एक खुशहाल और समृद्ध परिवार था। इस से यह पता चलता है कि वह केवल व्यक्तिगत रूप से ही नहीं, बल्कि सामाजिक रूप से भी स्थापित और समृद्ध था।

अय्यूब 1:3

"उसके पास बहुत सारी भेड़ें और ऊँट थे, बहुत से मजदूर और बहुत धन-दौलत थी। वह पूर्व के लोगों में सबसे बड़ा था।"

व्याख्या: अय्यूब की संपत्ति और सामाजिक स्थिति का वर्णन करता है कि वह अपने समय के सबसे सम्पन्न और सम्मानित व्यक्ति थे। इससे यह पता चलता है कि वह सफल था, लेकिन फिर भी विनम्र और परमेश्वर का भय रखने वाला था।

अय्यूब 1:4

"उसके पुत्र अपने घरों में भोज किया करते थे, और उनकी तीनों बहनें उनके साथ भोजन करती थीं।"

व्याख्या: यहाँ अय्यूब के परिवार में प्रेम और मेलजोल की बात की गई है। परिवार के सदस्य मिलजुल कर खुशहाल समय बिताते थे, जो परिवार की एकता और प्रेम को दर्शाता है।

अय्यूब 1:5

"जब भोज पूरा होता, तो अय्यूब उठता, और अपने बच्चों को पवित्र करता, और प्रत्येक को क्षमा करने के लिए प्रार्थना करता, क्योंकि वह कहता था, 'किस knows, may be my children sinned and cursed God in their hearts.'"

व्याख्या: अय्यूब की ईमानदारी और परमेश्वर के प्रति उसकी गहरी श्रद्धा यहां दिखती है। वह अपने बच्चों के लिए भी परमेश्वर से क्षमा मांगता था, जो बताता है कि वह आत्मा की शुद्धता के लिए कितना चिंतित था। यह हमें भी अपने परिवार और स्वयं के लिए ईश्वर की रहमत के लिए प्रार्थना करने की सीख देता है।

अय्यूब 1:6

"एक दिन जब परमेश्वर के बेटे उसके सामने आये, तब शैतान भी उनके बीच में आ गया।"

व्याख्या: यह वचन स्वर्गीय सभा का परिचय देता है जहाँ परमेश्वर के स्वर्गदूत आते हैं, और शैतान भी उनके बीच में आता है। यह हमे दिखाता है कि परमेश्वर की योजना में शैतान की भी एक भूमिका होती है। यह संघर्ष का आरंभ है जो अय्यूब की परीक्षा के लिए तैयार करता है।

अय्यूब 1:7

"परमेश्वर ने शैतान से कहा, 'तुम कहां से आये?' शैतान ने परमेश्वर से कहा, 'धरती पर और वहां के लोगों के बीच घूम रहा था।'"

व्याख्या: शैतान की धरती पर गतिविधि का उल्लेख यह बताता है कि वह लगातार मनुष्यों को परीक्षा में डालने और परमेश्वर के कार्यों को चुनौती देने के लिए सक्रिय है। हमें अपने जीवन में शैतान की चालाकियों से सावधान रहना चाहिए।

अय्यूब 1:8

"परमेश्वर ने शैतान से कहा, 'क्या तुमने मेरे सेवक अय्यूब को देखा है? वहां कोई नहीं है जो मेरा सेवक जैसा हो। वह निःसंदेह है और परमेश्वर से डरा हुआ है, और बुराई से कटता है।'"

व्याख्या: परमेश्वर अय्यूब की प्रशंसा करता है और उसकी सच्चाई की गवाही देता है। यह हमें याद दिलाता है कि ईश्वर अपने सेवकों को देखता है और उनकी भक्ति को महत्व देता है।

अय्यूब 1:9

"शैतान ने परमेश्वर से कहा, 'क्या अय्यूब बिना कारण परमेश्वर से डरा है?'"

व्याख्या: शैतान अय्यूब के विश्वास पर संदेह करता है और कहता है कि अय्यूब सिर्फ इसलिए परमेश्वर से डरता है क्योंकि वह समृद्ध और सुरक्षित है। यह हमारे जीवन की सच्चाई की परीक्षा का प्रतीक है।

अय्यूब 1:10

"क्या तुमने उसके ऊपर और उसके घर पर अपनी छाया नहीं डाली है? उसने तेरी संपत्ति का रखरखाव किया है। इसलिए वह तुम्हारा नाम पूजता है।"

व्याख्या: शैतान कहता है कि अय्यूब का भक्ति केवल उसके भौतिक आशीर्वादों के कारण है। यह चुनौती है कि क्या विश्वास विपत्ति में भी कायम रह सकता है।

अय्यूब 1:11

"परंतु अब हाथ उठा कर उसे छू, और देख, क्या वह खुलेआम तुझे श्राप नहीं देगा।'"

व्याख्या: शैतान परमेश्वर को चुनौती देता है कि अगर अय्यूब को दुःख दिया जाए तो वह उसका विश्वास तोड़ देगा। यह जीवन में परीक्षा और संघर्ष के समय हमारी सच्चाई की परीक्षा का प्रतीक है।

अय्यूब 1:12

"परमेश्वर ने शैतान से कहा, 'देख, वह तेरे हाथ में है; पर उसकी जान को मत छूना।' तब शैतान परमेश्वर के सामने से चला गया।"

व्याख्या: परमेश्वर की अनुमति से शैतान अय्यूब की परीक्षा करता है, लेकिन उसकी जान को नुकसान नहीं पहुंचाया जाता। यह हमें सिखाता है कि ईश्वर अपनी सीमाएँ निर्धारित करता है, और हमारी रक्षा करता है।

अय्यूब 1:13

"एक दिन जब उसके पुत्र और पुत्रियाँ अपने घरों में भोज कर रहे थे, तब एक दूत अय्यूब के पास आया।"

व्याख्या: यहाँ विपत्ति की शुरुआत होती है, जब अय्यूब के खुशहाल जीवन में संकट आता है। यह जीवन के उतार-चढ़ाव को दर्शाता है, जो किसी भी इंसान के लिए संभव है।

अय्यूब 1:14

"उसने कहा, 'तुम्हारे भेड़ों पर हमला हुआ है, और जो भेड़ों को चराते थे, वे मार दिए गए। मैं भाग कर आया हूँ कि तुम्हें खबर दूं।'"

व्याख्या: यह वचन अय्यूब की पहली बड़ी हानि की सूचना देता है। अचानक हुए नुकसान से जीवन में अस्थिरता और पीड़ा आती है।

अय्यूब 1:15

"जब वह बात कर रहा था, एक और आया, और कहा, 'तेरे सात बैल और तीन ऊँट आग में जल गए, और उनके चरवाहे मरे। मैं भाग कर आया हूँ कि तुम्हें खबर दूं।'"

व्याख्या: लगातार दूसरी आपदा अय्यूब की परीक्षा को और बढ़ाती है। यह दर्शाता है कि विपत्तियाँ एक के बाद एक आ सकती हैं, लेकिन विश्वास बनाए रखना आवश्यक है।

अय्यूब 1:16

"जब वह बात कर रहा था, तो एक और आया, और कहा, 'तेरे बेटे और बेटियाँ भोज कर रहे थे, और एक मजबूत हवा ने चारों को मार डाला। मैं अकेला बच कर आया हूँ कि तुम्हें खबर दूं।'"

व्याख्या: सबसे बड़ी हानि परिवार की मौत से अय्यूब की परीक्षा चरम पर पहुँचती है। यह इंसान के जीवन की नाजुकता और ईश्वर पर विश्वास की जरूरत को दर्शाता है।

अय्यूब 1:17

"अय्यूब ने उठ कर अपने वस्त्र फाड़े, अपना सिर मट्ठे, और गिर कर परमेश्वर की उपासना की।"

व्याख्या: अय्यूब की प्रतिक्रिया हमें सिखाती है कि विपत्ति में भी हमें परमेश्वर की पूजा करनी चाहिए, दुख में भी विश्वास को नहीं खोना चाहिए। यह सच्चे विश्वास का परिचायक है।

अय्यूब 1:18

"उसका सब परिवार उसके सामने था, और वह हर कष्ट से गुज़र रहा था।"

व्याख्या: यहां अय्यूब की पीड़ा और उसकी परीक्षा का जिक्र है। जीवन के सबसे कठिन क्षणों में भी वह अपने विश्वास को नहीं छोड़ता। यह सभी के लिए प्रेरणा है।

अय्यूब 1:19

"अय्यूब ने कहा, 'नंगे हाथ मैं अपनी माँ की गोद से निकला हूँ, और नंगे हाथ लौट जाऊँगा।'"

व्याख्या: यह वचन बताता है कि मनुष्य इस दुनिया में कुछ भी लेकर नहीं आता और कुछ भी लेकर नहीं जाता। जीवन अस्थायी है, और हमें परमेश्वर पर भरोसा करना चाहिए।

अय्यूब 1:20

"फिर उसने घुटनों के बल गिर कर उपासना की।"

व्याख्या: विपत्ति में अय्यूब की नम्रता और भक्ति का यह सुंदर दृश्य है। यह हमें भी सिखाता है कि संकट के समय हमें भी विनम्र होकर ईश्वर की ओर लौटना चाहिए।

अय्यूब 1:21

"अय्यूब ने कहा, 'परमेश्वर ने दिया है, परमेश्वर ने लिया है; परमेश्वर का नाम धन्य हो।'"

व्याख्या: अय्यूब का यह कथन हमारे विश्वास की गहराई को दर्शाता है। वह जानता है कि सारी संपत्ति और खुशियाँ परमेश्वर की देन हैं, और किसी भी परिस्थिति में उसका नाम धन्य माना जाना चाहिए।

अय्यूब 1:22

"सभी इस प्रकार की बातों पर अय्यूब ने कोई पाप नहीं किया, न ही उसने परमेश्वर को दोषी ठहराया।"

व्याख्या: अंतिम वचन यह दिखाता है कि अय्यूब ने अपने विश्वास को नहीं खोया, और उसने परमेश्वर को दोष नहीं दिया। यह हमें सिखाता है कि हमें जीवन की कठिनाइयों में भी ईश्वर पर भरोसा बनाए रखना चाहिए।


यह पोस्ट Pastor Emmanuel के द्वारा लिखा गया है।

Saturday, 17 May 2025

अय्यूब 3 अध्याय 1 से 26 तक का पूरा वचन और विस्तार से व्याख्या – हिंदी बाइबल स्टडी

अय्यूब अध्याय 3 - सम्पूर्ण बाइबल अध्ययन (हिंदी में)

अय्यूब अध्याय 3 - सम्पूर्ण वचन और व्याख्या (Job Chapter 3 in Hindi)

अय्यूब 3:1

इसके बाद अय्यूब ने अपना मुंह खोला, और अपने जन्म के दिन को कोसा।

व्याख्या: अय्यूब की पीड़ा इतनी बढ़ गई थी कि वह अपने ही जन्म को शाप देने लगा। यह उस गहरे मानसिक और आत्मिक संकट का प्रतीक है जिसमें मनुष्य अपनी उपस्थिति पर ही प्रश्न उठाने लगता है।

अय्यूब 3:2

और अय्यूब ने कहा,

व्याख्या: अब अय्यूब अपने दिल की गहराइयों से वह कहने को तैयार है जो उसके भीतर लंबे समय से दबा था। यह उसके दुःख की अभिव्यक्ति की शुरुआत है।

अय्यूब 3:3

क्या दिन था जिस दिन मैं उत्पन्न हुआ? और क्या रात थी जिस दिन कहा गया, "तू गर्भ में पड़ा है?"

व्याख्या: अय्यूब अब अपने जन्म पर प्रश्न उठाता है। वह चाहता है कि वह कभी न पैदा होता, क्योंकि उसके लिए यह जीवन बहुत दुःख और पीड़ा का कारण बन चुका है।

अय्यूब 3:4

वह दिन अंधकारमय हो, परमेश्वर से उपेक्षित हो, और ऊँचाई से कोई ज्योति न चमके।

व्याख्या: अय्यूब चाहता है कि वह दिन अंधकार में डूब जाए, जैसे वह कभी अस्तित्व में नहीं था। वह परमेश्वर से ही उपेक्षा का अनुभव कर रहा है।

अय्यूब 3:5

उस दिन अंधकार और घना अंधकार हो, उसे घेरने वाली घटाएँ उसे ढक लें, और उस पर भय के बवंडर उच्छल जाएं।

व्याख्या: अय्यूब चाहता है कि उस दिन पर सभी बुराइयाँ और घने अंधकार का राज हो, जिससे कोई प्रकाश न दिखाई दे। यह उसकी निराशा की पराकाष्ठा है।

अय्यूब 3:6

उस रात को काली रात समझा जाए, उसे उसमें कोई खुशी न हो, न ही वह किसी समय के दिनों में गणना में आए।

व्याख्या: वह रात और दिन दोनों के बीच खोया हुआ महसूस करता है। वह चाहता है कि वह रात कभी अस्तित्व में न आए, जैसे उसकी पीड़ा का कोई अंत न हो।

अय्यूब 3:7

उस रात को बियाबान की तरह हो, न उसमें कोई ध्वनि हो, न कोई आनंद का दिन आए।

व्याख्या: अय्यूब के लिए वह रात पूरी तरह निराशाजनक है, जिसमें न कोई आशा है, न कोई खुशहाली। वह बियाबान में अकेला और खोया हुआ महसूस करता है।

अय्यूब 3:8

जो समुद्र को जागृत करते हैं, और उसके गर्भ में हलचल मचाते हैं, क्या उन्हें शाप न दिया जाए?

व्याख्या: अय्यूब समुद्र के उथल-पुथल को एक उपमा के रूप में प्रस्तुत करता है, वह चाहता है कि जैसे समुद्र में हलचल मचाने वाले शापित होते हैं, वैसे ही उसके जन्म के दिन को भी शापित किया जाए।

अय्यूब 3:9

उस दिन के तारे अंधकारमय हो जाएं, और वे परमेश्वर के प्रकाश का आलंबन न बनें।

व्याख्या: अय्यूब चाहता है कि उस दिन का हर रूप अंधकार में डूब जाए, जिसमें कोई आशा या प्रकाश न दिखाई दे।

अय्यूब 3:10

क्योंकि वह मेरे जन्म को नित्य कुपित करता है, और मुझे निरर्थक जन्म देने के लिए परमेश्वर ने मेरी स्त्री के गर्भ में मुझे स्थान दिया।

व्याख्या: अय्यूब अपने जन्म को निरर्थक मानता है, और यह महसूस करता है कि परमेश्वर ने उसे जन्म देने में कोई उद्देश्य नहीं रखा।

अय्यूब 3:11

क्यों मैं मरकर जन्मा नहीं, या मेरे मुँह से ही मृत्यु क्यों नहीं आई?

व्याख्या: अय्यूब मौत की कामना करता है, वह मानता है कि मृत्यु उसे शांति दे सकती है।

अय्यूब 3:12

क्या जब मैं पैदा हुआ था, मेरी माँ ने मुझे क्यों रखा? या मेरे पिताजी ने मुझे क्यों अपनाया?

व्याख्या: अय्यूब अपने माता-पिता से सवाल करता है कि क्यों उन्हें जन्म दिया, जबकि वह जीवन में इतनी पीड़ा सह रहा है।

अय्यूब 3:13

यदि मैं मर जाता, तो विश्राम प्राप्त करता, और शांति पाता,

व्याख्या: अय्यूब मृत्यु को विश्राम और शांति का स्रोत मानता है। वह अब जीने की तुलना में मरने को बेहतर मानता है।

अय्यूब 3:14

जो लोग दुष्ट थे, वे वहाँ विश्राम करते हैं; और वहाँ रक्षक और नियंत्रक नहीं होते।

व्याख्या: अय्यूब यह मानता है कि मृत्यु में सभी भेद मिट जाते हैं, चाहे व्यक्ति दुष्ट हो या नहीं।

अय्यूब 3:15

मैं तो वहाँ राजा और प्रधानों के साथ रहता, जो सोने का महल बनाते थे, और चांदी के घर में रहते थे।

व्याख्या: वह मृत्यु को एक ऐसा स्थान मानता है, जहाँ सभी समान होते हैं, और यहाँ तक कि राजा और गरीब भी एक जैसे रहते हैं।

अय्यूब 3:16

क्योंकि वहाँ गरीब और उधारकर्ता समान हैं, और दास मुक्त हो जाता है अपने मालिक से।

व्याख्या: मृत्यु में सामाजिक भेदभाव समाप्त हो जाता है। गरीब और उधारकर्ता, दास और मालिक सभी समान हो जाते हैं। यह मनुष्य के जीवन की अस्थायी सत्ता की याद दिलाता है।

अय्यूब 3:17

वहाँ पथभ्रष्ट और पथहीन लोग एक साथ विश्राम करते हैं।

व्याख्या: मृत्यु में हर प्रकार के लोग, चाहे वे सही मार्ग पर हों या भटक गए हों, सबको समान विश्राम मिलता है। यह मृत्यु की समानता दर्शाता है।

अय्यूब 3:18

जहाँ चीर और अँधकार है, और जहाँ प्रकाश है अंधकार से छुटकारा नहीं पाता।

व्याख्या: यहाँ अय्यूब मृत्यु के उस रहस्य को व्यक्त करता है जहाँ ना तो पूरी तरह उजाला है और ना अंधकार। यह उस अवस्था की व्याख्या है जहाँ जीवन के परिचित अनुभव समाप्त हो जाते हैं।

अय्यूब 3:19

वहाँ घोड़े और उसके सवार दोनों एक साथ रहते हैं।

व्याख्या: मृत्यु सभी वर्गों और पदों के बीच भेद मिटा देती है — चाहे वह घोड़ा हो या उसका सवार, दोनों को समान अवस्था में रखा जाता है।

अय्यूब 3:20

जहाँ दुष्ट और निर्मल दोनों हैं, और जहां दुष्ट और जो दूसरों को घायल करते हैं, एक साथ रहते हैं।

व्याख्या: यहाँ भी मृत्यु के समानता के सिद्धांत को दोहराया गया है जहाँ सभी, चाहे वे अच्छे हों या बुरे, एक समान रूप से विश्राम करते हैं।

अय्यूब 3:21

मैं सोचता हूँ, और मेरा मन कहता है,

व्याख्या: अय्यूब अपने भीतर गहरे विचारों में डूब जाता है और अपने मन की बात सुनता है, जो उसे मृत्युपरक विचारों की ओर ले जाता है।

अय्यूब 3:22

क्योंकि मृत्यु से बचा हुआ व्यक्ति है? मृत्यु की घाटी से कौन लौटता है?

व्याख्या: अय्यूब यह प्रश्न पूछता है कि मृत्यु से कोई वापस नहीं आता, जो जीवन के अस्थायी और नश्वर स्वभाव को दर्शाता है।

अय्यूब 3:23

मैं तो यहूदी का जीवन मार्ग देखता हूँ, और रात और दिन के बीच घूमता रहता हूँ।

व्याख्या: अय्यूब जीवन की निरंतर संघर्षमय स्थिति को दर्शाता है, जहाँ वह जीवन के मार्ग पर दिन-रात यात्रा करता है, परंतु शांति नहीं पाता।

अय्यूब 3:24

जब मैं कहता हूँ, मेरी शक्ति है, और मेरी आत्मा परमेश्वर की कृपा से जीवित है;

व्याख्या: यहाँ अय्यूब जीवन में बची हुई अपनी ताकत और परमेश्वर की कृपा को महसूस करता है, जो उसे जीने की हिम्मत देती है।

अय्यूब 3:25

तो मैं अपने दुखों से घबरा जाता हूँ, और याद करता हूँ कि मैं कैसे उसके सामने गया।

व्याख्या: अय्यूब अपनी पीड़ा में भयभीत होता है, लेकिन परमेश्वर के सामने आने की याद उसे संतोष भी देती है।

अय्यूब 3:26

जहाँ भी मैं चलता हूँ, मुझे अपनी ओर उसकी दृष्टि प्राप्त होती है।

व्याख्या: अय्यूब यह स्वीकार करता है कि परमेश्वर उसकी हर गतिविधि पर नज़र रखते हैं, चाहे वह कहीं भी हो। यह परमेश्वर की सर्वव्यापकता और देखभाल का संकेत है।

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