बाइबिल के साथ पर्याप्त समय
*"मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूँ क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है"* (भ सं 119:99)
बाइबिल के साथ पर्याप्त समय गुजारने का अनुशासन बचपन से सीखना चाहिये. यह जिम्मेदारी प्राथमिक रूप से माता-पिता की है. पौलुस एक आत्मिक महापुरुष था. उसे अद्वितीय कौशल एवं क्षमता प्राप्त थी. उसकी बुद्धिमत्ता असाधारण थी. उसकी उपलब्धियाँ अतुलनीय थी. क्या दूसरी पंक्ति में कोई अगुवा हम पा सकते है जो उसका स्थान ले सकें? पौलुस की दृष्टि युवा तीमुथियुस पर थी, लेकिन क्या तीमुथियुस इस जिम्मेदारी को अपने कांधे पर लेने से डरता और झिझकता न था? (1 कुरि 16:10,11; 1 तीमु 5:23). फिर भी तीमुथियुस में एक असाधारण आकर्षण था. पवित्रशास्त्र के प्रति उसका प्रेम जो उसके बाल्यकाल से, उस आयु से भी पहिले था, जिसमें पापों से पश्चाताप करने और यीशु मसीह को निज उद्धारकर्ता मानकर ग्रहण करने की समझ प्राप्त हो जाती है
(2 तीमु 3:14,15). इसका श्रेय उसकी नानी और मां को जाता है (2 तीमु 1:5).
माता-पिता प्रतिदिन, कक्षा के बाद, इतना अधिक समय उन्हें मार्गदर्शन देते हुये और पाठ्य पुस्तकों के अध्ययन के लिये प्रोत्साहित करते हुये बिताते हैं. प्रतिद्वंदिता के इस संसार में यह सही और आवश्यक भी है. परन्तु बच्चों को कितना समय बाइबिल के साथ बिताने के लिये दिया जाता है? हम शायद ही यह समझ पाते हैं कि ऐसा भेदभाव परमेश्वर के क्रोध को भड़काता है. वह होशे भविष्यवक्ता के माध्यम से विलाप करता है, “मैं तो उनके लिये अपनी व्यवस्था की लाखों बातें लिखता आया हूँ परन्तु वे उन्हें पराया समझते हैं" (होशे 8:12). अपने क्रोध में उसने कहा, “इसलिये कि तूने अपने परमेश्वर की व्यवस्था को तज दिया है, मैं भी तेरे लड़केवालों को छोड़ दूँगा" (होशे 4:6).
मैं मरियम की आराधना नहीं करता पर प्रशंसा अवश्य करता हूँ! अपने पुत्र की उद्धार संबंधी सेवकाई को पूरा करने के लिये उसने परमेश्वर के साथ कितना सहयोग किया! उसके प्रयासों के विषय में सोचिये कि कैसे उसने बालक यीशु के मन और हृदय में वचन को इस अधिकाई से भरा कि मंदिर में व्यवस्था के शिक्षक भी दंग रह गये! (लूका 2:46,48). बारह से तीस वर्ष तक, वह उसकी बाइबिल शिक्षिका बनी रही. एक युवा ग्रामीण महिला के लिये जो एक बढ़ई के घर में थी, बहुत कम शैक्षणिक योग्यता के साथ, ढेर सारी घरेलू जिम्मेदारियों के बीच, अपने पुत्र यीशु एवं अन्य दूसरी संतानों के साथ पवित्रशास्त्र के अध्ययन में समय देना आसान नहीं रहा होगा. मसीहियों में “मरियम" नाम बड़ा जाना-पहचाना है किन्तु उसकी जैसी माताएँ दुर्लभ है.
*बा-इ-बि-ल, हाँ,*
*यह पुस्तक मेरे लिये है!*
*मैं केवल परमेश्वर के वचन पर निर्भर हूँ,*
*बा-इ-बि-ल!*
*"मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूँ क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है"* (भ सं 119:99)
बाइबिल के साथ पर्याप्त समय गुजारने का अनुशासन बचपन से सीखना चाहिये. यह जिम्मेदारी प्राथमिक रूप से माता-पिता की है. पौलुस एक आत्मिक महापुरुष था. उसे अद्वितीय कौशल एवं क्षमता प्राप्त थी. उसकी बुद्धिमत्ता असाधारण थी. उसकी उपलब्धियाँ अतुलनीय थी. क्या दूसरी पंक्ति में कोई अगुवा हम पा सकते है जो उसका स्थान ले सकें? पौलुस की दृष्टि युवा तीमुथियुस पर थी, लेकिन क्या तीमुथियुस इस जिम्मेदारी को अपने कांधे पर लेने से डरता और झिझकता न था? (1 कुरि 16:10,11; 1 तीमु 5:23). फिर भी तीमुथियुस में एक असाधारण आकर्षण था. पवित्रशास्त्र के प्रति उसका प्रेम जो उसके बाल्यकाल से, उस आयु से भी पहिले था, जिसमें पापों से पश्चाताप करने और यीशु मसीह को निज उद्धारकर्ता मानकर ग्रहण करने की समझ प्राप्त हो जाती है
(2 तीमु 3:14,15). इसका श्रेय उसकी नानी और मां को जाता है (2 तीमु 1:5).
माता-पिता प्रतिदिन, कक्षा के बाद, इतना अधिक समय उन्हें मार्गदर्शन देते हुये और पाठ्य पुस्तकों के अध्ययन के लिये प्रोत्साहित करते हुये बिताते हैं. प्रतिद्वंदिता के इस संसार में यह सही और आवश्यक भी है. परन्तु बच्चों को कितना समय बाइबिल के साथ बिताने के लिये दिया जाता है? हम शायद ही यह समझ पाते हैं कि ऐसा भेदभाव परमेश्वर के क्रोध को भड़काता है. वह होशे भविष्यवक्ता के माध्यम से विलाप करता है, “मैं तो उनके लिये अपनी व्यवस्था की लाखों बातें लिखता आया हूँ परन्तु वे उन्हें पराया समझते हैं" (होशे 8:12). अपने क्रोध में उसने कहा, “इसलिये कि तूने अपने परमेश्वर की व्यवस्था को तज दिया है, मैं भी तेरे लड़केवालों को छोड़ दूँगा" (होशे 4:6).
मैं मरियम की आराधना नहीं करता पर प्रशंसा अवश्य करता हूँ! अपने पुत्र की उद्धार संबंधी सेवकाई को पूरा करने के लिये उसने परमेश्वर के साथ कितना सहयोग किया! उसके प्रयासों के विषय में सोचिये कि कैसे उसने बालक यीशु के मन और हृदय में वचन को इस अधिकाई से भरा कि मंदिर में व्यवस्था के शिक्षक भी दंग रह गये! (लूका 2:46,48). बारह से तीस वर्ष तक, वह उसकी बाइबिल शिक्षिका बनी रही. एक युवा ग्रामीण महिला के लिये जो एक बढ़ई के घर में थी, बहुत कम शैक्षणिक योग्यता के साथ, ढेर सारी घरेलू जिम्मेदारियों के बीच, अपने पुत्र यीशु एवं अन्य दूसरी संतानों के साथ पवित्रशास्त्र के अध्ययन में समय देना आसान नहीं रहा होगा. मसीहियों में “मरियम" नाम बड़ा जाना-पहचाना है किन्तु उसकी जैसी माताएँ दुर्लभ है.
*बा-इ-बि-ल, हाँ,*
*यह पुस्तक मेरे लिये है!*
*मैं केवल परमेश्वर के वचन पर निर्भर हूँ,*
*बा-इ-बि-ल!*