जब एक व्यक्ति जिसे यीशु मसीह की गवाही तथा सुसमाचार सुनाया जाता है तो यह सुनकर उसकी बातों पर विश्वास करता है। यह उसी प्रकार हैं जिस प्रकार एक सूबेदार जिसका सेवक बीमार था और उसने आकर यीशु से कहा - मेरा सेवक लकवे का मारा हुआ घर में पड़ा है और बहुत तकलीफ में है तब यीशु ने उससे कहा - मैं आकर उसे चंगा करूंगा। सूबेदार ने जवाब में कहा - हे प्रभु मैं इस लायक नहीं कि तू मेरी छत के नीचे आए परंतु केवल मुख ही से कही दे तो मेरा सेवक चंगा हो जाएगा। ( मतती 8:6-8)
यह सूबेदार का ऐसा बड़ा विश्वास था जिसमें आशा और निश्चय की बहुतायत थी जिसके चलते प्रभु यीशु मसीह द्वारा वहीं से कहा गया और सूबेदार का सेवक चंगा हो गया।
सूबेदार ने यीशु मसीह के बारे में एक आशा जागृत किया और उसे निश्चय हुआ कि मेरे द्वारा यीशु से कहे जाने पर वह उसे चंगा करेगा।
यह विश्वास हैं बगैर देखे विश्वास करना अर्थात सुनकर विश्वास करना।
(2) दूसरा विश्वास हैं देखकर विश्वास करना।
प्रभु यीशु मसीह के बारह चेले थे जिसमें से एक था थोमा। उसे जब शेष 10 चेलो ने ( एक चेला यहूदा फांसी लगाकर मर गया था) बताया कि यीशु मसीह मुर्दो में जी उठा है तब थोमा ने कहा जब तक मैं उसके हाथों के छेद में ऊँगली और उसकी पसली में हाथ डालकर ना देख लूँ
तब तक विश्वास ना करूंगा। थोमा अविश्वास में था कि यीशु मसीह मुर्दो में जी उठा है लेकिन हमारे प्रभु ने उसे दर्शन दिया और अविश्वास से विश्वास में लाया। तब उसने यीशु को अपना प्रभु और परमेश्वर स्वीकार किया।
यह विश्वास हैं देखकर करना। आज भी हजारों लोग हैं जो अपने जीवन में यीशु के द्वारा दिए गए आश्चर्य कर्मो को नहीं लेते उसकी उपस्थिति को महसूस नहीं कर लेते तब तक वे उस पर विश्वास नहीं करते।
विश्वासी कौन हैं?
विश्वासी वह व्यक्ति हैं-
(1) जो मन से यह विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे यीशु को मरे हुओ में जिलाया हैं। ( रोमियो 10:9)
(2) और यीशु को अपना प्रभु जानकर अंगीकार ( कहें ) करें। ( रोमियो 10:9 )
( 3) अपना मन फिराकर परमेश्वर के पास आए ( मतती 3:2 )
यहाँ पर निम्न प्रकार की बातें हैं -