Thursday, 17 April 2025

three types of sins तीन प्रकार के पाप बाईबल से जाने

                तीन प्रकार के पाप
पहला पाप - अनुवांशिक पाप आदम और हवा का पापी स्वभाव जो वंशानुगत तरीके से हमारे जीवन में पाया जाता है।
दूसरा पाप - हमारे द्वारा जानबूझकर किये गये पाप। 
तीसरा पाप - परमेश्वर की आज्ञाओ को न मानना। 
जो पाप हमारे द्वारा किए गये उन्हें क्षमा करके यीशु मसीह ने हमारे हृदयों में बयाने के रूप में अपनी आत्मा को दिया है जो हे अब्बा हे अब्बा हे पिता पुकारती हैं। 
हमें अपने लहूँ से धोकर आदम और हवा द्वारा किए गए पाप जो हमारे जीवन में वंशानुगत तरीके से थे हमें उससे छुटकारा दिया और हमें उस वंश से निकालकर अपने वंश में अर्थात् उसके खून से साफ हुए लोगो के झुंड में मिलाया अब हम एक चुना हुआ वंश और परमेश्वर के बेटे बेटियाँ है। 
(2) राजपद धारी - राजपदधारी का मतलब हैं राज्य करने का अधिकार धारण करने वाला । राज्य का अधिकार केवल राजा ही धारण करता है अर्थात् हम ( प्रत्येक विश्वासी)  अर्थात् राज्य करने का अधिकार करने वाले हैं। अर्थात् हम राजा है। ( प्र . वा 1:6,5:10)
(3) पवित्र लोग - प्रभु यीशु मसीह द्वारा हमें अपने वचनों से पवित्र किया गया है ( यूहनां 15:13 ) हम पवित्र इसलिए हैं कयोंकि -(1) येशु के लहु से धुलकर शुद्ध और पवित्र हुए हैं। (2) मसीह यीशु के वचनों को सुनकर या पढ़कर हम जो वचन पालन करते हैं तो हम इस वचन के द्वारा शुद्ध होते है इसलिए हम विश्वासी पवित्र है। 
(4) परमेश्वर की निज प्रजा - हम सब विश्वासी परमेश्वर की निज प्रजा है। अधीनता एवं आज्ञापालन का जीवन ही मनुष्य को किसी के भी आधीन कर सकता है जिस तरह राजा के अधीन प्रजा होती है और राजय के कानुनो का पालन करती हैं उसी तरह यदि विश्वासी प्रभु के कानुन का पालन करता है तो वह उसकी प्रजा बन जाता है। 
(5) याजकों का समाज - याजक सुनकर ऐसा लगता है जैसे कोई लंबा चोड़ा पहने हुए पटुआ बांधे हुए कोई वह व्यक्ति बड़ी दाड़ी रखे हुए होगा लेकिन हम इससे हटकर बगैर ऐसी वेशभूषा और रूप वाले याजक हैं। 
पुराने नियम में तीन प्रकार के लोग 
(1) साधारण लोग ( 11 गोत्र इसत्राएल के) 
(2) लेवी ( परमेश्वर के तम्बू की सेवा करने वाले लेवी गोत्र के लोग) 
(3) याजक ( हारुन जो कि लेवी के गोत्र का था और उसके बेटे)
(1) 11 गोत्र ( साधारण लोग - लेमेन)- इसत्राएल देश को परमेश्वर ने 11 क्षेत्रों में बांटकर सारी भूमि 11 गोत्रों के लोगों को दी थी। इस भूमि में जो भी फसल एवं पशु होते हैं उनका दसमांश वे लोग परमेश्वर के तम्बू की सेवा करने वाले लेपियों को देते थे एवं पापबली, मेलबली, अननबली आदि बली वस्तु मंदिर में ले जाकर याजकों द्वारा परमेश्वर को चढ़ाते थे। प्रिय पाठको मंदिर व तंबू में परमेश्वर के समुख पैसा था  नगदी नहीं दिखाई जाती थी ( गिनती 18:26-27) परमेश्वर के समुख केवल बलिदान चढ़ाए जाते थे। 
(2) लेबी गोत्र - यह गोत्र परमेश्वर के तम्बू की सेवा करता था और परमेश्वर की सेवा के लिए अलग किया गया था। इसत्राएल के 11 गोत्र लेवियों को फसल एवं पशु का दशमांश देते थे और  लेवि गोत्र इस दशमांश उठाने की भेंट के रूप में याजको को देते थे। ( गिनती 3:5-8, 18:21-32)
इस तरह जीविकोपार्जन हेतु लेवियों को दशमांश एवं याजको को उठाने की भेंट प्राप्त होती हैं। 
(3) याजक- लेवी गोत्र के हारून महायाजक एवं उसके कुल के लोग ही याजक की सेवा करते थे। इन्हें लेवियों से उठाने की भेंट प्राप्त होती थी तथा बली पशु की मांस का कुछ हिस्सा और अर्पूण की हुई वस्तुएं। ( लैवय 10:8 - 20, गिनती 3:10)
इस तरह बाइबल यह बताती हैं कि - 
11 गोत्र - फसल एवं पशु व्यवसाय करते थे। 
लेवी - परमेश्वर व तंबू की सेवा करते थे। 
याजक - बलिदान चढ़ाने का कार्य करते थे। 
नये नियम में एक समाज - याजको का समाज
संर्पूण विश्व की लगभग 6500 जातियों के लोग जो इसत्राइली नहीं है उन्हें परमेश्वर ने पुत्र मसीह पर विश्वास लाने के चलते याजक पद नियुक्त किया है। वे अपनी ही जाती के हैं वे परमेश्वर के याजक हैं। 
नये नियम में केवल एक समाज - नये नियम की कलीसिया में केवल चुने हुए लोग हैं जो कि संसार से प्रभु की दया द्वारा निकलकर उद्वार प्राप्त कर मसीह की देह ( कलीसिया) में शामिल होते हैं। वह याजक बन जाते हैं वह एक साधारण व्यक्ति नहीं रहते परंतु परमेश्वर उस  व्यक्ति को याजक बना देते हैं।