Tuesday, 23 October 2018

एक पंडित प्रभु यीशु के पास आया, एक सवाल पूछता है BY भाई Shishye Thompson के कलम से

पर मैं,पहचान ही न पाया उस पड़ोसी को" (कविता) एक पंडित प्रभु यीशु के पास आया, एक सवाल पूछता है (परीक्षा लेने के लिए) 
अनंत जीवन का वारिस होने के लिए मैं क्या करूँ ?( वैसे सवाल भी गलत है क्योंकि मनुष्य  ऐसा कोई कर्म नहीं कर सकता जिससे वह मुक्ति हासिल करे ) प्रभु यीशु ने सवाल पर सवाल किया कि लिखा क्या है? उसने कहा परमेश्वर से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी शक्ति और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख और  अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख (लूका 10:27 ) आगे पंडित ने फिर सवाल किया - ये मेरा पड़ोसी कौन है ?
प्रभ यीशु ने जवाब में एक सामरी राहगीर का ज़िक्र किया जिसने एक यहूदी, जिसे डाकुओं ने लूटकर अधमरा छोड़ दिया था, उसकी मदद करी थी ।
उसने - ज़ख्मो की मरहम पट्टी की - अपने गधे पर बैठाया- सराय में लेकर गया
- देखभाल करने के लिए दो दीनार अडवांस देकर गया
  कहा में लौटकर आऊंगा,और जो पैसा बनेगा, में  वो भी चुकाऊंगा, बस इसका ख़याल करना।
इस कहानी का सार- परमेश्वर जीवन चाहता है, ज्ञान नहीं"
कविता
"पर मैं, पहचान ही न पाया पड़ोसी को"

मैं पहचान नहीं पाया अपने आप को
जान नहीं पाया हार को
स्वार्थ का, शरीर का बस एक कैदी था, 
पर मैं, पहचान ही न पाया उस पड़ोसी को 

सही हूँ, मैं साबित करूँ सबको 
अन्याय सही, पर दिलासा देउँ खुदको 
हार अपनी  ही लिखता रहा, 
पर मैं, पहचान ही न पाया उस पड़ोसी को 

दोष  देता रहा, उन लोगों को
घरवालों, पड़ोसी और सरकार को 
लकीरें हाँथ की तो खींचता  रहा, 
पर मैं, पहचान ही न पाया उस पड़ोसी को 

बस मुझे करना क्या है, बता दो 
पहुंच जाऊंगा, पा लूंगा रास्ता वो
स्वर्ग राज्य का, कहते हैं जिसे वो, 
पर मैं, पहचान ही न पाया उस पड़ोसी को 

हृदय, मन या शक्ति हो
कर सकता हूँ प्रेम, परमेश्वर को
लेकिन यहां तो है वही तस्वीर उसकी, 
पर मैं, पहचान ही न पाया उस पड़ोसी को 

मारा कूटा, लुटा अधमुआ पड़ा जो 
अनजान, दलित,अछूत ही था वो
कहीं वो ही तो न था, अभागा
पर मैं पहचान ही न पाया उस पड़ोसी को 

करता होगा इंतज़ार मेरा, हाँ वहीं वो 
दूर बढ़ गया हूँ तेज चलता  था मैं तो
जाने किधर आ गया हूँ खो गया हूँ, 
पर मैं, पहचान ही न पाया उस पड़ोसी को 

पूछता तो फिर भी  है, आज हम सब से वो
कौन है तुम्हारा पड़ोसी वो
क्या नही कंगाल, कुचला और लाचार, 
पर मैं, पहचान ही न पाया उस पड़ोसी को 

आज सवाल है
क्या अपने पड़ोसी को पहचान रहे हो ?
भाई  Shishye Thompson के कलम से 

यहोवा परमेश्वर मेरी ज्योति और मेरा उद्धार है; मैं किस से डरूं? यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ ठहरा है, मैं किस का भय खाऊं?
 The LORD is my light and my salvation; whom shall I fear? the LORD is the strength of my life; of whom shall I be afraid?
 जब कुकर्मियों ने जो मुझे सताते और मुझी से बैर रखते थे, मुझे खा डालने के लिये मुझ पर चढ़ाई की, तब वे ही ठोकर खाकर गिर पड़े॥
 When the wicked, even mine enemies and my foes, came upon me to eat up my flesh, they stumbled and fell.
 चाहे सेना भी मेरे विरुद्ध छावनी डाले, तौभी मैं न डरूंगा; चाहे मेरे विरुद्ध लड़ाई ठन जाए, उस दशा में भी मैं हियाव बान्धे निशचिंत रहूंगा॥
 Though an host should encamp against me, my heart shall not fear: though war should rise against me, in this will I be confident.
 एक वर मैं ने यहोवा से मांगा है, उसी के यत्न में लगा रहूंगा; कि मैं जीवन भर यहोवा के भवन में रहने पाऊं, जिस से यहोवा की मनोहरता पर दृष्टि लगाए रहूं, और उसके मन्दिर में ध्यान किया करूं॥
 One thing have I desired of the LORD, that will I seek after; that I may dwell in the house of the LORD all the days of my life, to behold the beauty of the LORD, and to enquire in his temple.
 क्योंकि वह तो मुझे विपत्ति के दिन में अपने मण्डप में छिपा रखेगा; अपने तम्बू के गुप्त स्थान में वह मुझे छिपा लेगा, और चट्टान पर चढ़ाएगा।
 For in the time of trouble he shall hide me in his pavilion: in the secret of his tabernacle shall he hide me; he shall set me up upon a rock.
 अब मेरा सिर मेरे चारों ओर के शत्रुओं से ऊंचा होगा; और मैं यहोवा के तम्बू में जयजयकार के साथ बलिदान चढ़ाऊंगा; और उसका भजन गाऊंगा॥
 And now shall mine head be lifted up above mine enemies round about me: therefore will I offer in his tabernacle sacrifices of joy; I will sing, yea, I will sing praises unto the LORD.