अगर आप सेवकाई करते है तो इस पोस्ट को पड़ना
बहुत जरूर है आप के लिये आये हम आज जानते है
की यिर्मियाह का जीवन सेवकाई के प्रति कैसा था प्रभु
यीशु मसीह के मधुर और मीठे नाम में आप सभी भाई,
बहनो और पास्टर प्रचारको को जय मसीह की कहता हु यिर्मियाह 20:7-13
बहुत जरूर है आप के लिये आये हम आज जानते है
की यिर्मियाह का जीवन सेवकाई के प्रति कैसा था प्रभु
यीशु मसीह के मधुर और मीठे नाम में आप सभी भाई,
बहनो और पास्टर प्रचारको को जय मसीह की कहता हु यिर्मियाह 20:7-13
परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर के एक महान नबी यिर्मयाह को, आम
तौर से ’विलाप करना वाला नबी’ की संज्ञा भी दी जाती है। यिर्मयाह संभवतः
एक संवेदनशील और उदास स्वभाव का व्यक्ति था, जिसका हृदय उसके लोगों
इस्त्राएल द्वारा परमेश्वर की लगातार अनाज्ञाकारिता तथा उसके दुषपरिणामों
के कारण टूट गया और उसकी उदासी और भी अधिक बढ़ गई। विलाप करने की
उसकी क्षमता अद्भुत थी; इस्त्राएल की दुर्दशा को देखकर वह कहता है: "भला होता
, कि मेरा सिर जल ही जल, और मेरी आंखें आँसुओं का सोता होतीं, कि मैं
रात दिन अपने मारे हुए लोगों के लिये रोता रहता" (यिर्मियाह 9:1)।
तौर से ’विलाप करना वाला नबी’ की संज्ञा भी दी जाती है। यिर्मयाह संभवतः
एक संवेदनशील और उदास स्वभाव का व्यक्ति था, जिसका हृदय उसके लोगों
इस्त्राएल द्वारा परमेश्वर की लगातार अनाज्ञाकारिता तथा उसके दुषपरिणामों
के कारण टूट गया और उसकी उदासी और भी अधिक बढ़ गई। विलाप करने की
उसकी क्षमता अद्भुत थी; इस्त्राएल की दुर्दशा को देखकर वह कहता है: "भला होता
, कि मेरा सिर जल ही जल, और मेरी आंखें आँसुओं का सोता होतीं, कि मैं
रात दिन अपने मारे हुए लोगों के लिये रोता रहता" (यिर्मियाह 9:1)।
यद्यपि यिर्मियाह अपने राष्ट्र के पाप और उसके परिणाम के
लिए शोकित था, लेकिन इस्त्राएल के लोगों ने उसके इस दुख को
नहीं समझा, वरन परमेश्वर के न्याय की चेतावनी देने के लिए
उसे ही सताया गया; यहां तक कि इस्त्राएल को परमेश्वर की ओर
लौटने और पापों से पश्चाताप करने की उसकी पुकार के लिए एक
बार उसे दलदल से भरे एक अन्धे कुएं में कैद कर दिया गया
(यिर्मियाह 38:6)। परमेश्वर की आज्ञाकारिता में चलने और
परमेश्वर के सन्देश को लोगों तक पहुँचाने के उसके प्रयासों का
प्रतिफल उसे इस प्रकार दिया गया। लेकिन उन परिस्थितियों में
भी परमेश्वर ने उसे नहीं छोड़ा, और ना ही यिर्मियाह ने परमेश्वर
पर या अपनी सेवकाई शक किया; वह निराश अवश्य हुआ,
लेकिन उसने परमेश्वर में अपने विश्वास को टलने नहीं दिया और पीछे नहीं हटा।
लिए शोकित था, लेकिन इस्त्राएल के लोगों ने उसके इस दुख को
नहीं समझा, वरन परमेश्वर के न्याय की चेतावनी देने के लिए
उसे ही सताया गया; यहां तक कि इस्त्राएल को परमेश्वर की ओर
लौटने और पापों से पश्चाताप करने की उसकी पुकार के लिए एक
बार उसे दलदल से भरे एक अन्धे कुएं में कैद कर दिया गया
(यिर्मियाह 38:6)। परमेश्वर की आज्ञाकारिता में चलने और
परमेश्वर के सन्देश को लोगों तक पहुँचाने के उसके प्रयासों का
प्रतिफल उसे इस प्रकार दिया गया। लेकिन उन परिस्थितियों में
भी परमेश्वर ने उसे नहीं छोड़ा, और ना ही यिर्मियाह ने परमेश्वर
पर या अपनी सेवकाई शक किया; वह निराश अवश्य हुआ,
लेकिन उसने परमेश्वर में अपने विश्वास को टलने नहीं दिया और पीछे नहीं हटा।
कभी कभी अपने परमेश्वर की सेवकाई करने और उसकी
आज्ञाकरिता में बने रहने के प्रयासों में हमें दुखदायी
परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, हमें गलत समझा
जाता है, सताया जाता है और हमारे दिल भी टूटते हैं। ऐसे
में हम यिर्मियाह के जीवन और उसकी सहनशीलता से
पाठ सीख सकते हैं। यिर्मियाह को अपनी परमेश्वर से
मिली बुलाहट और सेवकाई पर इतना दृढ़ विश्वास था
कि कोई परिस्थिति, कोई प्रयास उसे इस सेवकाई को
करने से डिगा नहीं सका; वह कहता है: "यदि मैं कहूं,
मैं उसकी चर्चा न करूंगा न उसके नाम से बोलूंगा, तो
मेरे हृदय की ऐसी दशा होगी मानो मेरी हड्डियों में धधकती
हुई आग हो, और मैं अपने को रोकते रोकते थक गया
पर मुझ से रहा नहीं जाता" (यिर्मियाह 20:9)।
आज्ञाकरिता में बने रहने के प्रयासों में हमें दुखदायी
परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, हमें गलत समझा
जाता है, सताया जाता है और हमारे दिल भी टूटते हैं। ऐसे
में हम यिर्मियाह के जीवन और उसकी सहनशीलता से
पाठ सीख सकते हैं। यिर्मियाह को अपनी परमेश्वर से
मिली बुलाहट और सेवकाई पर इतना दृढ़ विश्वास था
कि कोई परिस्थिति, कोई प्रयास उसे इस सेवकाई को
करने से डिगा नहीं सका; वह कहता है: "यदि मैं कहूं,
मैं उसकी चर्चा न करूंगा न उसके नाम से बोलूंगा, तो
मेरे हृदय की ऐसी दशा होगी मानो मेरी हड्डियों में धधकती
हुई आग हो, और मैं अपने को रोकते रोकते थक गया
पर मुझ से रहा नहीं जाता" (यिर्मियाह 20:9)।
केवल यिर्मियाह का ही यह हाल नहीं था। परमेश्वर के प्रत्येक नबी और
जन को सताया गया, गलत समझा गया, तिरिस्कृत किया गया, और कईयों
को उनकी सेवकाई के लिए मार भी डाला गया; यहाँ तक कि प्रभु यीशु को
भी इन्हीं बातों का सामना करना पड़ा। परन्तु ये सभी अपने विश्वास और
अपनी सेवकाई में अडिग खड़े रहे, परमेश्वर द्वारा दी गई ज़िम्मेदारी को भरसक
निभाते रहे, और आज सारे संसार में आदर के पात्र हैं, परमेश्वर के वचन में स्थान पाते हैं, तथा हमारे लिए प्रेर्णा और मार्गदर्शन का स्त्रोत हैं।
जन को सताया गया, गलत समझा गया, तिरिस्कृत किया गया, और कईयों
को उनकी सेवकाई के लिए मार भी डाला गया; यहाँ तक कि प्रभु यीशु को
भी इन्हीं बातों का सामना करना पड़ा। परन्तु ये सभी अपने विश्वास और
अपनी सेवकाई में अडिग खड़े रहे, परमेश्वर द्वारा दी गई ज़िम्मेदारी को भरसक
निभाते रहे, और आज सारे संसार में आदर के पात्र हैं, परमेश्वर के वचन में स्थान पाते हैं, तथा हमारे लिए प्रेर्णा और मार्गदर्शन का स्त्रोत हैं।
क्या परमेश्वर की सेवकाई में आपको निराशाओं और कठिन
परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है? क्या आपका मन
भी दुखी है, हृदय टूट रहा है? हियाव रखिए, इन परिस्थितियों
का सामना करने वाले ना तो आप पहले और ना ही अकेले जन हैं।
आश्वस्त रहिए, जैसे परमेश्वर ने यिर्मियाह और अपने अन्य
लोगों को नहीं छोड़ा, आपको भी नहीं छोड़ेगा; जैसे उन्होंने अपनी
सेवकाई पूरी कर के एक बड़ा प्रतिफल पाया, आपके लिए भी
परमेश्वर की ओर से एक बड़ा प्रतिफल रखा हुआ है (2 तीमुथियुस 4:8)
। परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए और अपने हृदय के लिए ताज़गी
एवं सामर्थ मांगिए तथा उसकी पवित्र आत्मा की सहायता से,
हरेक निराशा और सताव के बावजूद, अपनी सेवकाई को पूरा
करने में लगे रहिए। अन्ततः, सेवकाई पूरा करने पर जो प्रतिफल मिलेगा,
उसके सामने आज के ये दुख कुछ भी नहीं हैं (2 कुरिन्थियों 4:17)। -
परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है? क्या आपका मन
भी दुखी है, हृदय टूट रहा है? हियाव रखिए, इन परिस्थितियों
का सामना करने वाले ना तो आप पहले और ना ही अकेले जन हैं।
आश्वस्त रहिए, जैसे परमेश्वर ने यिर्मियाह और अपने अन्य
लोगों को नहीं छोड़ा, आपको भी नहीं छोड़ेगा; जैसे उन्होंने अपनी
सेवकाई पूरी कर के एक बड़ा प्रतिफल पाया, आपके लिए भी
परमेश्वर की ओर से एक बड़ा प्रतिफल रखा हुआ है (2 तीमुथियुस 4:8)
। परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए और अपने हृदय के लिए ताज़गी
एवं सामर्थ मांगिए तथा उसकी पवित्र आत्मा की सहायता से,
हरेक निराशा और सताव के बावजूद, अपनी सेवकाई को पूरा
करने में लगे रहिए। अन्ततः, सेवकाई पूरा करने पर जो प्रतिफल मिलेगा,
उसके सामने आज के ये दुख कुछ भी नहीं हैं (2 कुरिन्थियों 4:17)। -
मसीह यीशु की कोई भी सेवकाई बिना प्रतिफल या महत्वहीन नहीं है।इसलिये
हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नाश भी होता जाता है,
तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।
क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण
और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है। - 2 कुरिन्थियों 4:16-17
हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्व नाश भी होता जाता है,
तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है।
क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्लेश हमारे लिये बहुत ही महत्वपूर्ण
और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है। - 2 कुरिन्थियों 4:16-17
यहोवा परमेश्वर मेरी ज्योति और मेरा उद्धार है; मैं किस से डरूं? यहोवा मेरे जीवन का दृढ़ गढ़ ठहरा है, मैं किस का भय खाऊं? |
The LORD is my light and my salvation; whom shall I fear? the LORD is the strength of my life; of whom shall I be afraid? |
जब कुकर्मियों ने जो मुझे सताते और मुझी से बैर रखते थे, मुझे खा डालने के लिये मुझ पर चढ़ाई की, तब वे ही ठोकर खाकर गिर पड़े॥ |
When the wicked, even mine enemies and my foes, came upon me to eat up my flesh, they stumbled and fell. |
चाहे सेना भी मेरे विरुद्ध छावनी डाले, तौभी मैं न डरूंगा; चाहे मेरे विरुद्ध लड़ाई ठन जाए, उस दशा में भी मैं हियाव बान्धे निशचिंत रहूंगा॥ |
Though an host should encamp against me, my heart shall not fear: though war should rise against me, in this will I be confident. |
एक वर मैं ने यहोवा से मांगा है, उसी के यत्न में लगा रहूंगा; कि मैं जीवन भर यहोवा के भवन में रहने पाऊं, जिस से यहोवा की मनोहरता पर दृष्टि लगाए रहूं, और उसके मन्दिर में ध्यान किया करूं॥ |
One thing have I desired of the LORD, that will I seek after; that I may dwell in the house of the LORD all the days of my life, to behold the beauty of the LORD, and to enquire in his temple. |
क्योंकि वह तो मुझे विपत्ति के दिन में अपने मण्डप में छिपा रखेगा; अपने तम्बू के गुप्त स्थान में वह मुझे छिपा लेगा, और चट्टान पर चढ़ाएगा। |
For in the time of trouble he shall hide me in his pavilion: in the secret of his tabernacle shall he hide me; he shall set me up upon a rock. |
अब मेरा सिर मेरे चारों ओर के शत्रुओं से ऊंचा होगा; और मैं यहोवा के तम्बू में जयजयकार के साथ बलिदान चढ़ाऊंगा; और उसका भजन गाऊंगा॥ |
And now shall mine head be lifted up above mine enemies round about me: therefore will I offer in his tabernacle sacrifices of joy; I will sing, yea, I will sing praises unto the LORD. |