Thursday, 5 July 2018

एक हिन्दू ने ईसाई से सवाल किया EK Hindu Bhai Ne ISAI SE Saval Kiya

*एक हिन्दू ने ईसाई से सवाल किया**यार तुम ईसाई हो?**ईसाई हलेलुय्या**हिन्दू - 


यार तुम्हारे मज़हब मे तुम**लोग**गॉड के**सिवा किसी को नही मानते।*हमे देखो-हम मन्दिर भी जाते हैं,**गुरूदारा भी जाते हैं।**मस्जिद भी जाते हैं।*33 करोड़ को मानते हैं।**सब को बराबर दरजा देते हैं,**मगर तुम लोग किसी को साइड* *वाइड नही देते।**ऐसा क्यो भाई???*

ईसाई- भाई एक बात बताओ।* *एक सड़क है,तुम उस पर जा रहे हो।* *पीछे से साइकल वाले ने साइड**माँगा,आपने दे**दिया।**साइकल के पीछे स्कूटर**साइड माँगा,आपने दे दिया।* *स्कूटर के पीछे कार।**साइड माँगा,आपने दे दिया।* *कार के पीछे बस।?।**साइड माँगा,आपने दे दिया।**बस के पीछे कार,**कार के पीछे स्कूटर,**स्कूटर के पीछे बाइक**और साइकल के पीछे आप।*पर रास्ते मे एक ऐसा भी मोड़**आया जिसे रेलवे**फाटक**कहते हैं।* *वहाँ जाकर सब रूक जाते हैं।**क्योकी रेलगाड़ी किसी को साइड**नही देती।**ऐसा क्यो भाई....??**तो हिन्दू ने कहा - कैसी बाते**करते हो।*अरे भाई**रेलगाड़ी का सीधा रास्ता है,**इसलिए वो किसी को साइड**नही देती।**तो इसाई ने उस से कहा कि ऐसे

हम लोग हैं ईसाई जीवन**का भी एक ही रास्ता है और वो है* *सीधा रास्ता* *इसलिए हम एक गॉड को मानते हैं**और एक**रास्ते पर चलते हैं।* *जिस के दिल मे यीशु  कि मुहब्बत होगी...**वो ये post जरूर  शेअर  करेगा**हलेलुय्या.* *यीशु वो है जो व्हेल मछली🐋को भी रोज़ाना समन्दर में 33 टन(यानी 36,960kg) गोश खिलाता है ।**हलेलुय्या ,तो फिर हम सिर्फ 2 रोटी🍪के लिए इतना परेशान क्यों  होते है ।* *तो सिर्फ यीशु से मांगों जो देता* *ख़ुशी से और कहता नही किसी से।**जो यीशु से नही मांगता वो सब से मांगता है।**ऐ येशु ये बात आगे पहुँचने वाले को कभी किसी का मोहताज ना करना ।*

                 



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 मेरे प्यारे भाई ,बहन पास्टर ,प्रचारक और युवा मित्र साथियों आप सभी को प्रभु यीशु मसीह के मधुर और मीठे नाम में जय मसीह की कहता हूँ  "हम वचन खाते है , पचाते है या भीर चुईंगम की तरह चबाते आये हम देखे है कुछ वचनों को"

प्रकाशितवाक्य 10:8-11 में इस प्रकार से लिखा गया है, ''और जिस शब्द करनेवाले को मैंने स्वर्ग से बोलते सुना था, वह फिर मेरे साथ बातें करने लगा, "जा, जो स्वर्गदूत समुद्र और पृथ्वी पर खड़ा है, उसके हाथ में की खुली हुई पुस्तक ले लें" और मैंने स्वर्गदूत के पास जाकर कहा, "यह छोटी पुस्तक मुझे दें" और उसने मुझ से कहा, "ले, इसे खा जा, और यह तेरा पेट कड़वा तो करेगी, परंतु तेरे मुंह में मधु सी मीठी लगेगीं" इसलिए मैं वह छोटी पुस्तक उस स्वर्गदूत के हाथ से लेकर खा गया, वह मेरे मुंह में मधु सी मिठी तो लगी, परंतु जब मैं उसे खा गया, तो मेरा पेट कड़वा हो गयां तब मुझ से यह कहा गया, "तुझे बहुत से लोगों, और जातियों, और भाषाओं, और राजाओं पर, फिर भविष्यद्वाणी करनी होगीं"|
यहां हम देखते है कि जब यूहन्ना ने वह पुस्तक खाई वह उसके मुंह में मधु सी मिठी लगीं यह परमेश्वर के अनुग्रह का दृश्य है जो हमारे पास वचनो के माध्यम से आता हैं परन्तु जब वह वचन उसके अंदर गया वह कड़वा था जो यह दर्शाता है कि उसमें सत्यता है जो हमारे पापों का न्याय करता हैं यह मात्र अनुग्रह ही नही सत्य भी हैं प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में एक के बाद एक अनुग्रह और न्याय का दृश्य देखते हैं|
यहां हम देखते है कि किस प्रकार से परमेश्वर के वचन की सेवकाई कैसे सही रीति से करें हमे पहले परमेश्वर से वचन लेना, खाना और पचाना है तभी परमेश्वर हमें दूसरों के भविष्य के विषय में बताएगां ।

जब हम परमेश्वर को पाते है तो यह बहुत ही आसान होता है कि उसमें का मधुर भाग अनुग्रह ले लें हम उसे हमेशा के लिए अपने मुंह में रख सकते है, बिना परमेश्वर की अनुमति लिये कि वह हमारे अंदरूनी भाग तक पहुंचें हम उस आखरी भाग का आनन्द नहीं ले पाते क्योंकि हमने जो पाप किए है उनका न्याय करने में हम लगे रहते हैं जबकि न्याय हममें ही शुरू होना है (1 पतरस 4:17)|
बहुत से मसीही वचन को चुईंगम की तरह चबाते हैं वे इस लिए चबाते है क्योंकि वह मिठा है और बाद में उसे बाहर उगल देते हैं वह उनके हृदय में पाचन नही होतां वे परमेश्वर के वचन को गंभिरता से नहीं लेते कि खुद ही उनका न्याय करें|
परमेश्वर हमे बहुत से कड़वे अनुभवों में से लेकर जाता है ताकि जो वचन हमने सुने वे पाचन हो सकें परन्तु उन सारे कडुए अनुभवों से हम परमेश्वर की सुरक्षा का भी अनुभव करते है (2 कुरिन्थियों 1:4) और तभी हमारे पीढ़ी में हम भविष्यवाणी की सेवकाई कर पाएंगें|

जब यूहन्ना परमेश्वर के वचन का पाचन कर चुका तब परमेश्वर ने यूहन्ना से कहा 'अब तुझे भविष्यद्वाणी करना हैं जो परमेश्वर ने उससे पूर्व में कहा था इससे तुलना करो और जो सुना है वह मत लिखों हमे यह मालूम होना चाहिये कि दूसरों से क्या बाटना चाहिए और क्या नहीं|
एक बार पौलुस तिसरे स्वर्ग पर उठा लिया गया था परन्तु 14 वर्षों में उसने उस विषय में किसी को नहीं बताया और जब बताया भी तो उसने कहा मैने ऐसी बाते सुनी जो अकथनीय और मुंह पर लाना मनुष्य को उचित नही (2 कुरिन्थियों 12:4)|
यूहन्ना साफ रीति से समझ गया कि परमेश्वर उससे क्या कहना चाह रहा है और दूसरों से क्या कहना चाह रहा हैं|
प्रभु यीशु मसीह आप सभी को इस वचन के द्वारा आशीष देवे