गवाही!!! गवाही!!! गवाही!!!
परमेश्वर की महिमा के लिए गवाही
ये बहन बता रही है कि इनको कई सालो से हर्निया की बीमारी और रसोलिया थीइन्होने ने डॉक्टरों से काफी इलाज करवाया बहुत दवाईया खाई पर इन्हे कोई फर्क नही पड़ाये बहन बता रही है कि ये विश्वास के साथ प्रोफेट बजिंद्र सिंह मिनिस्ट्री की चर्च मे आईये बहन चर्च से प्रभु के दास प्रोफेट बजिंद्र सिंह जी प्रार्थना किया हुआ अभिषिक्त तेल लेकर गयी जाकर विश्वास से इन्होने अभिषिक्त तेल लगाया
और उसी वक्त इन बहनो को प्रभु के आत्मा ने छुआ और ये बहन पूरी तरह से चंगी हो गयीइन बहन ने जाकर टेस्ट करवाया और टेस्ट रिपोर्ट बिल्कुल नोर्मल आईइस चंगाई और चमत्कार के लिये प्रभु यीशु मसीह का धन्यवाद होइस चंगाई और चमत्कार के लिये सारी महिमा प्रभु यीशु मसीह को मिलेप्रार्थना करवाने के लिये सम्पर्क करे:-
आज बहुत से परिवारों में अशांति और झगड़े है और इन झगड़ों का मुख्य कारण है बहस करना सहनशील ना होना और क्षमा ना करना*
*सच्ची क्षमा अपने ह्रदय में दूसरों के प्रति बदले की भावना और कड़वाहट को ना रखना है*
*परमेश्वर का वचन हमें सिखाता है कि हमें लोगों की गलतियों के प्रति धीरजवन्त होना है*
*इसका अर्थ यह नहीं कि हम लोगों को बिगड़ने के लिए छोड़ दें हां*
*हमें लोगों को समझाना और सिखाना है*
*पर बुद्धिमानी से सबसे महत्वपूर्ण परमेश्वर के मार्गदर्शन के अनुसार*
*क्योंकि हम लोगों को नहीं बदल सकते हैं लेकिन परमेश्वर है जो उन को बदल सकता है*
*मत्ती 19:26*
*यीशु ने उन की ओर देखकर कहा, मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है*
*बहुत बार हमारे जीवन में भी ऐसी परिस्थितियां आती हैं जिसमें हमें बिल्कुल भी समझ में नहीं आता कि हम क्या करें?*
*अब जब तक हम जिंदा है तब तक शैतान हमें परेशान करेगा ही समस्याएं आएंगे ही*
*लेकिन ऐसी परिस्थितियों में भी हम एक शांतिमय जीवन को कैसे जिए?*
*और इसका कुंजी है क्या*
*इसका कुंजी है केवल परमेश्वर की उपस्थिति*
*परमेश्वर की उपस्थिति 5 मिनट बाइबल पढ़ना 10 मिनट प्रार्थना करने से नहीं आती परमेश्वर की उपस्थिति आती है {उसे खोजने में}*
*और खोजने के लिए दो बातों का होना*
*आवश्यक है पहला अपना ध्यान केवल उसी पर लगाना और दूसरा हमारा समय*
*यशायाह 55:6*
*जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो;*
*उसकी उपस्थिति के लिए हमें कीमत चुकानी पड़ती है और वह है हमारा समय*
*हम परमेश्वर की उपस्थिति में दो बातों के द्वारा प्रवेश करते हैं पहला विश्वास और दूसरा प्रभु यीशु का लहू*
*विश्वास करने के द्वारा हम परमेश्वर के विश्राम में प्रवेश करते हैं*
*इब्रानियों 4:3*
*और हम जिन्हों ने विश्वास किया है, उस विश्राम में प्रवेश करते हैं;*
*यह विश्राम वह स्थान है चाहे हम कैसे भी दर्दनाक परिस्थिति से गुजर रहे हो या अत्यंत दुख और क्लेश में हो पर फिर भी हम अंदर से शांत और आनंद में हो)*
*हम नाना प्रकार के समस्याओं से गुजरते तो हैं पर इसमें हम अकेले नहीं हमारे साथ कोई है*
*रोमियो 8:31*
*सो हम इन बातों के विषय में क्या कहें? यदि परमेश्वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है*
*और वह अंत तक हमारे साथ रहेगा वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा*
*महिमा केवल हमारे प्रभु को*