Wednesday, 11 July 2018

यदि आप पवित्र आत्मा से भरा हुआ जीवन चाहते हैं तो यह संदेश आपके लिए हैं परमेश्वर का वचन हमें बार-बार आनंदित रहने के लिए कहता है

*यदि आप पवित्र आत्मा से भरा हुआ जीवन चाहते हैं तो यह संदेश आपके लिए हैं*

परमेश्वर का वचन हमें बार-बार आनंदित रहने के लिए कहता है

प्रभु का आनंद ही हमारी शक्ति है नहेमायाह 8:10}


जो लोग पुराने नियम को पढ़ते हैं वे जानते होंगे बाइबिल एक व्यक्ति के बारे में बताती है जिसका नाम शिमशोन था इस व्यक्ति से कोई भी जीत नहीं पताइसके महाशक्तिके कारण बाईबल बताती है उसने अकेले हजार व्यक्तियों को मारा बस एक हड्डी के द्वारा ,उसने शेर को भी मारा था बड़ी आसानी से
इसके शत्रुओं ने कितनी बार कोशिश किया इसे हराने की पर वह हमेशा  असफल होते 
जब शत्रुओं ने देखा कि हम इसे नहीं हरा सकते


तब उन्होंने बड़ी चतुराई से षड्यंत्र रचा ताकि उसके महाशक्तिशाली होने के भेद को जान सकें 
और जब इन्हें मालूम चला तब उन्होंने सबसे पहले इसके शक्ति के स्रोत को खत्म किया जिसके बाद वह शिमशोन को आसानी से अपना गुलाम बना लिएआप इससे न्यायियों 13: से 16 अध्याय में पढ़ सकते हैं}
शैतान जानता है कि हम उससे ज्यादा शक्तिशाली है इसीलिए वह युक्तियों के द्वारा हम से लड़ता है देखेंइफिसियों 6:11)
वह हमारी शक्ति के स्रोत को बंद करना चाहता है ताकि हमें आसानी से हरा सके और हमारे शक्ति आनंद में है
वह योजना बनाकर ऐसी चीजों को हमारे सामने लाता है कि हम उसमें उलझे रहकर अपने समय और आनंद को गवा दें


(1) लोगों को क्षमा ना करना
(2) चिंता और तर्क
(3) स्वार्थी होना
(4) अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह होना


यह बातें हमें आनंदित रहने नहीं देती}
अब ध्यान दे यदि हमारे अंदर आनंद नहीं तो शक्ति भी नहीं
क्योंकि प्रभु का आनंद ही हमारी ताकत है


{पवित्र आत्मा से परिपूर्ण व्यक्ति का एक चिन्ह है कि वह आनंद में रहेगा चाहे परिस्थितियां कैसी भी क्यों ना हो
पवित्र आत्मा की परिपूर्णता और आनंद  दोनों साथ-साथ चलती है देखें लुका.1:41:44)


आपको आनंद के प्रति गंभीर होना पड़ेगा यदि आप आनंदित नहीं रहेंगे तो यह आपके जीवन को उबाऊ पेचीदा बना देगा}
बहुत से लोग अपने जीवन शांति और बस खुश रहना चाहते हैं लेकिन
खुशी और आनंद अलग गलग है
खुशी हमारे भावनाएं और परिस्थिति पर आधारित है पर आनंद के साथ ऐसा नहीं
आनंद हमारे परिस्थितियों पर आधारित नहीं ना ही हमारे भावनाओं पर आधारित है
{पर वह आधारित है हमारे निर्णय पर}
नीतिवचन 15:15
दुखिया के सब दिन दु:ख भरे रहते हैं, परन्तु जिसका मन प्रसन्न रहता है, वह मानो नित्य भोज में जाता है।
इस वचन के द्वारा हम देख सकते हैं कि आनंद हमारे निर्णय पर आधारित है
उदाहरण के लिए हमारे साथ कुछ बुरा बीता तो हम उसके लिए पूरा दिन दुख मना सकते हैं या फिर हम आगे बढ़ने के द्वारा आनंदित रहने चुनाव कर सकते हैं
{आनंदित रहने के
बहुत से कारण है
लोगों की मदद करना है छोटे-छोटे बच्चों के साथ खेलना या कभी कभी कहीं घूमने जाना
हम उन बातों को कर सकते हैं जिन्हें करने में हमें अच्छा लगता है
जो गलत नहीं है और जिससे दूसरों को ठेस ना पहुंचे
इन्हें करने के द्वारा भी हम आनंदित रहने का चुनाव कर सकते हैं}
यह दो मुख्य कारणों पर हम विशेष ध्यान देंगे जो हमारे आनंद को बढ़ाएगी और स्थिर रखेगी
{पहला} और वह है आशा
रोमियो 12:12
आशा मे आनन्दित रहो;
यह एक महान शब्द है जो सचमुच में सबसे अधिक ताकतवर शब्दों में से एक है जो वास्तव में जीवन लाता है,, वचन कहता है वह आशा हमारे प्राणों के लिए ऐसा लंगर है देखें इब्रानियों 6:19}
आशा सदा जीवित है चाहे परिस्थितियां कठोर या असंभव प्रतीति हो
आशा हर परिस्थिति में हमारे आनंद को सक्रिय रखता है
आज बहुत से लोग निराश हैं और दुखी हैं इसका मुख्य कारण यह है कि उनके पास कोई आशा नहीं
{यदि हमारी पास कोई आशा कोई लक्ष्य नहीं तो हम केवल अपने समय को बर्बाद कर रहे हैं और कुछ नहीं}
हम में से हर एक के पास एक आशा एक दर्शन एक लक्ष्य होना चाहिए ताकि हम उन्हें पूरा करने के लिए सक्रिय रहे
आइए फिर से आशा करें कुछ लक्ष्य को रखें हर परिस्थिति में आशा लगाए रहें
क्योंकि हमारा परमेश्वर निराशा का नहीं पर आशा का परमेश्वर है
{दूसरा} और वह है परमेश्वर की उपस्थिति
परमेश्वर की सच्ची उपस्थिति में तीन बातों के द्वारा हम प्रवेश करते हैं
(1) ईमानदारी से उसके सम्मुख आना
(2) विश्वास अर्थात पुरे विश्वास और इस उम्मीद के साथ उसके सम्मुख आना की वह हमसे बात करेगा और हमारी सुनेगा
देखें इब्रानियों.11:6 इब्रानियों.4:2)
(3) प्रभु यीशु मसीह का लहू
यदि हमारा ह्रदय कठोर है तो हम प्रभु की उपस्थिति का आनंद नहीं उठा सकते
और कठोरता आती है पाप और परमेश्वर की आवाज को अनसुना करने से
इसलिए जाने-अनजाने की गलतियों के लिए जो हमसे होती है अपने जीवन को जांचने के द्वारा प्रभु से क्षमा मांगे और उसके लहू से धुल जाएं
भजन संहिता 16:11
[11]तू मुझे जीवन का रास्ता दिखाएगा; {तेरे निकट आनन्द की भरपूरी है}, तेरे दाहिने हाथ में सुख सर्वदा बना रहता है॥
आनंद की भरपूरी परमेश्वर की उपस्थिति से ही आती है यदि हमें आनंद चाहिए तो उसके लिए हमें परमेश्वर की भी उपस्थिति चाहिए
और परमेश्वर की उपस्थिति के लिए आपको वचन और प्रार्थना आराधना में समय बिताना अनिवार्य है
अब चुनाव हमारा
महिमा केवल प्रभु को
प्रार्थना के साथ इसे दूसरों के सात बांटे कि वह भी परमेश्वर के आनंद के पाएं


धर्म का मार्ग*

हल पर हाथ रखने का निर्णय लेना आसान है, परन्तु अंत तक हल पर हाथ रखे रहना मुश्किल है| इंसान धर्म की कठिन राह पर चल तो पड़ता है, परन्तु मंज़िल तक पहुंचना सबके बस की बात नहीं| सच्चाई के रास्ते पर चलकर दुःख उठाना, दौलत कमाने की अंधी दौड़ में पीछे रह जाना,  क्या अब भी तू अपने खराई पर बना है, जैसे प्रश्नों का सामना करना इंसान को निराश करता है| अहम् पद पर पहुंच कर ईमानदारी का दामन थामे रहना, इस ज़माने में बेबकूफ़ी समझी जाती है| दुखों की मझधार में अपने भी किनारा करने लगते हैं| लोग सवाल पूछते हैं, ईमानदारी का हासिल क्या है? जब आप ख़यालों के दोराहे पर आकर ठिठक कर रुक जाते हैं| तब संसार और शैतान कहते हैं, हमारा दरवाज़ा अब भी खुला है| दूसरी तरफ आपके हाथ में आपका हल है| फ़ैसले की घड़ी हर एक की ज़िन्दगी में आती है| एक तरफ दौलत, शौहरत और दिमागी सुकून है तो दूसरे तरफ तंगहाली, चिंता और परेशानी है| आप किसके साथ जीना चाहते हैं| कभी ना कभी हल पर से हाथ हटाने का ख़याल दिमाग़ में मचलने लगता है |यही वो लम्हा है, जहां उफनते सैलाब में आपको लंगर डालने की ज़रूरत होती है| अय्यूब 17:9 में लिखा है--तौभी धर्मी लोग अपना मार्ग पकड़े रहेंगे; और शुद्ध काम करने वाले सामर्थ पर सामर्थ पाते जायेंगे| धर्म की राह को हर हाल में पकड़े रहना आपकी ज़िन्दगी का मकसद है| ईमानदारी की रोटी में जो सुकून है, वो बेईमानी के लज़ीज़ खाने में नहीं| ईमानदारी की रोटी पर आप पूरी ईमानदारी से दुआ मांग सकते हैं| उस दुआ में आपका विवेक आपको कचोटेगा नहीं है|