Saturday, 14 July 2018

वो धूल में क्या लिख रहा था रहस्य ?

वो धूल में क्या लिख रहा था ।
(रहस्य ?)
फरीसी धर्मगुरु एक स्त्री को यीशु के पास लेकर
         आते हैं जो व्यभिचार में पकड़ी गई थी।

मंदिर के मैदान में प्रभु यीशु धूल पर बैठे कुछ लोग जो वहां 
एकत्र हुए थे उनको उपदेश दे रहे थे।
(याद रहे कि प्रभु यीशु धर्मगुरुओं ओर लोगों के बीच इतने बड़े नहीं माने जाते थे, कि उन्हें मंदिर के अंदर किसी कांफ्रेंस हॉल या कमरे में बैठकर उपदेश देने की इजाज़त दी जाती ) यूहन्ना 8


मूसा का कानून कहता है(व्यवस्था) कि ऐसी स्त्री को पत्थरवाह करके मार देना चाहिये, इसमे आप की क्या राय है।

उनके सवालों को नज़र अंदाज़ करते हुए प्रभु यीशु, जमीन पर बैठे हुए  धूल पर अपनी उँगलुओं से कुछ लिखने लगे, तब बार बार पूछने पर वे उनकी ओर देखकर बोले, 
 "तुममे जो निष्पाप हो वही पहले उसको पत्थर मारे"
और फिर से झुककर वे लिखने लगे।

"सवाल ये है कि वो अपनी उंगलियों से क्या लिख रहे थे"

किसी को नहीं मालूम न मुझे मालूम है 
लेकिन मैं वचन में लिखे कुछ हादसों से उन लिखे शब्दों  को ढूंढने की कोशिश करता हूँ। 

इस हादसे में प्रभु यीशु जज भी बने और साथ साथ वकील भी।

उंगलियां ??

जब भी परमेश्वर की उंगलियां लिखती है, तो वो मनुष्य के खिलाफ एक फैसला (verdict)  होता है  वो मनुष्य को अपराधी और अधर्मी  घोषित करता है ।

और मनुष्य भागने लगता है कुलुसिओं 2:14

चलिए ये 3 मौकों में क्या हुआ ।

1. सीनाई के पहाड़ पर 40 दिन तक  मूसा रहा। वहां परमेश्वर ने अपने उंगलियों से 10 आज्ञाएँ लिखकर दे दी। निर्गमन 31:18

और ये कैसी विडम्बना है कि जब वो आज्ञा मूसा के हाथ में आयी  थी उसी वक्त इस्राएली पहाड़ के नीचे सोने के बछड़े को बनाकर उसको अपना ईश्वर पुकार रहे थे कह रहे थे कि यही उन्हें मिस्र से निकालकर  लाया है। मूर्ति पूजा कर रहे थे, साथ ही सेक्स के पाप में भी सारी भीड़ उलझ  गयी थी।
परमेश्वर ने मूसा से कहा नीचे जा और देख तेरे लोग क्या कर रहे हैं। 

नीचे जाकर मूसा ने क्रोध में आकर दस आज्ञाओं की पटिया तोड़ दी।

मनुष्य की बगावत की तस्वीर है, आज्ञा तोड़ने की तस्वीर है। और ये लिखी आज्ञाएँ उन्हें दोषी ठहरा चुकी
अधर्मी ठहरा चुकी।

2. बेल्शेज़र बेबीलोन का राजा था, नबुकद्नेसर का बेटा था, यरुशलम को तबाह करके, मंदिर के सारे सोने और चांदी के बहुमूल्य बर्तन लेकर नबुकद्नेसर बेबीलोन आ गया। बेल्शेज़र ने बड़ी जेवनार की 1000 बड़े अधिकारियों को बुलाया और इन पवित्र बर्तनों में शराब पी और अपने देवताएँ को  महिमा दी।

अचानक महल की दीवार में उंगलियां दिखीं और लिखने लगी । बेल्शेज़र के अपराध का फैसला 

"मने मने तकेल उपर्सीन" दानिएल 5:7

किसी को समझ न आया, बेल्शेज़र भयभीत हुआ उसके पाँव कांपने लगे। दानिएक को बुलाया गया जिसने अर्थ बताया
मने - तू गिना गया और गिनती कम निकली
तकेल - तू तौला गया है और हल्का निकला
उसी रात बेल्शेज़र का कत्ल हुआ और फ़ारसी राजा दारा ने साम्राज्य जीत लिया।

3. फैसला व्यभिचारिनी के  खिलाफ या धर्म गुरुओं के खिलाफ तो अब प्रभु यीशु की उंगलियों ने क्या लिखा
शायद वही लिखा जो बाबुल की महल की दीवार पर लिखा, उनके धूल के विवेक पर लिखा जो थोड़ी हवा चलने  पर मिट जाता है।

"मने मने तकेल"
 फरीसी पहचान गए , 
और सीध होकर  यही कहा,
तुम में जो वज़नदार (धर्मी) हो वो उसे पहले पत्थर मारे।
मने मने तकेल -  याने तुम सब भी अपराधी और अधर्मी पाए गए हो

अंजाम 


पत्थर छोड़कर वे भाग गए,
परमेश्वर की उंगलियां जब लिखती हैं तो कौन खड़ा रह सकता है ?

आज सवाल है,

उसकी उंगलियां आपके दिल में कुछ लिख रही हैं ?
यहोवा का धन्यवाद करो
     क्योंकि वह भला है
और उसकी करूणा सदा की है!
यहोवा के छुड़ाए हुए ऐसा ही कहें, जिन्हें उसने द्रोही के हाथ से दाम दे कर छुड़ा लिया है,
और उन्हें देश देश से पूरब- पश्चिम, उत्तर और दक्खिन से इकट्ठा किया है॥
वे जंगल में मरूभूमि के मार्ग पर भटकते फिरे, और कोई बसा हुआ नगर न पाया;
भूख और प्यास के मारे, वे विकल हो गए।
तब उन्होंने संकट में यहोवा की दोहाई दी, और उसने उन को सकेती से छुड़ाया;
और उन को ठीक मार्ग पर चलाया, ताकि वे बसने के लिये किसी नगर को जा पहुंचे।
लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण, जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!
क्योंकि वह अभिलाषी जीव को सन्तुष्ट करता है, और भूखे को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है॥
जो अन्धियारे और मृत्यु की छाया में बैठे, और दु:ख में पड़े और बेड़ियों से जकड़े हुए थे,
इसलिये कि वे ईश्वर के वचनों के विरुद्ध चले, और परमप्रधान की सम्मति को तुच्छ जाना।
तब उसने उन को कष्ट के द्वारा दबाया; वे ठोकर खाकर गिर पड़े, और उन को कोई सहायक न मिला।
तब उन्होंने संकट में यहोवा की दोहाई दी, और उस ने सकेती से उनका उद्धार किया;
उसने उन को अन्धियारे और मृत्यु की छाया में से निकाल लिया; और उन के बन्धनों को तोड़ डाला।
लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!
क्योंकि उसने पीतल के फाटकों को तोड़ा, और लोहे के बेण्डों को टुकड़े टुकड़े किया॥
मूढ़ अपनी कुचाल, और अधर्म के कामों के कारण अति दु:खित होते हैं।
उनका जी सब भांति के भोजन से मिचलाता है, और वे मृत्यु के फाटक तक पहुंचते हैं।
तब वे संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं, और व सकेती से उनका उद्धार करता है;
वह अपने वचन के द्वारा उन को चंगा करता और जिस गड़हे में वे पड़े हैं, उससे निकालता है।
लोग यहोवा की करूणा के कारण और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें!
और वे धन्यवाद बलि चढ़ाएं, और जयजयकार करते हुए, उसके कामों का वर्णन करें॥
जो लोग जहाजों में समुद्र पर चलते हैं, और महासागर पर होकर व्यापार करते हैं;
वे यहोवा के कामों को, और उन आश्चर्यकर्मों को जो वह गहिरे समुद्र में करता है, देखते हैं।
क्योंकि वह आज्ञा देता है, वह प्रचण्ड बयार उठकर तरंगों को उठाती है।
वे आकाश तक चढ़ जाते, फिर गहराई में उतर आते हैं; और क्लेश के मारे उनके जी में जी नहीं रहता;
वे चक्कर खाते, और मत वाले की नाईं लड़खड़ाते हैं, और उनकी सारी बुद्धि मारी जाती है।
तब वे संकट में यहोवा की दोहाई देते हैं, और वह उन को सकेती से निकालता है।
वह आंधी को थाम देता है और तरंगें बैठ जाती हैं।
तब वे उनके बैठने से आनन्दित होते हैं, और वह उन को मन चाहे बन्दर स्थान में पहुंचा देता है।
लोग यहोवा की करूणा के कारण, और उन आश्चर्यकर्मों के कारण जो वह मनुष्यों के लिये करता है, उसका धन्यवाद करें।
और सभा में उसको सराहें, और पुरनियों के बैठक में उसकी स्तुति करें॥
वह नदियों को जंगल बना डालता है, और जल के सोतों को सूखी भूमि कर देता है।
वह फलवन्त भूमि को नोनी करता है, यह वहां के रहने वालों की दुष्टता के कारण होता है।
वह जंगल को जल का ताल, और निर्जल देश को जल के सोते कर देता है।
और वहां वह भूखों को बसाता है, कि वे बसने के लिये नगर तैयार करें;
और खेती करें, और दाख की बारियां लगाएं, और भांति भांति के फल उपजा लें।
और वह उन को ऐसी आशीष देता है कि वे बहुत बढ़ जाते हैं, और उनके पशुओं को भी वह घटने नहीं देता॥
फिर अन्धेर, विपत्ति और शोक के कारण, वे घटते और दब जाते हैं।
और वह हाकिमों को अपमान से लाद कर मार्ग रहित जंगल में भटकाता है;
वह दरिद्रों को दु:ख से छुड़ा कर ऊंचे पर रखता है, और उन को भेड़ों के झुंड सा परिवार देता है।
सीधे लोग देख कर आनन्दित होते हैं; और सब कुटिल लोग अपने मुंह बन्द करते हैं।

जो कोई बुद्धिमान हो, वह इन बातों पर ध्यान करेगा; और यहोवा की करूणा के कामों पर ध्यान करेगा॥


मेरे प्यारे भाई ,बहन पास्टर ,प्रचारक और युवा मित्र साथियों आप सभी को प्रभु यीशु मसीह के मधुर और मीठे नाम में जय मसीह की कहता हूँ  "हम वचन खाते है , पचाते है या भीर चुईंगम की तरह चबाते आये हम देखे है कुछ वचनों को"

प्रकाशितवाक्य 10:8-11 में इस प्रकार से लिखा गया है, ''और जिस शब्द करनेवाले को मैंने स्वर्ग से बोलते सुना था, वह फिर मेरे साथ बातें करने लगा, "जा, जो स्वर्गदूत समुद्र और पृथ्वी पर खड़ा है, उसके हाथ में की खुली हुई पुस्तक ले लें" और मैंने स्वर्गदूत के पास जाकर कहा, "यह छोटी पुस्तक मुझे दें" और उसने मुझ से कहा, "ले, इसे खा जा, और यह तेरा पेट कड़वा तो करेगी, परंतु तेरे मुंह में मधु सी मीठी लगेगीं" इसलिए मैं वह छोटी पुस्तक उस स्वर्गदूत के हाथ से लेकर खा गया, वह मेरे मुंह में मधु सी मिठी तो लगी, परंतु जब मैं उसे खा गया, तो मेरा पेट कड़वा हो गयां तब मुझ से यह कहा गया, "तुझे बहुत से लोगों, और जातियों, और भाषाओं, और राजाओं पर, फिर भविष्यद्वाणी करनी होगीं"|
यहां हम देखते है कि जब यूहन्ना ने वह पुस्तक खाई वह उसके मुंह में मधु सी मिठी लगीं यह परमेश्वर के अनुग्रह का दृश्य है जो हमारे पास वचनो के माध्यम से आता हैं परन्तु जब वह वचन उसके अंदर गया वह कड़वा था जो यह दर्शाता है कि उसमें सत्यता है जो हमारे पापों का न्याय करता हैं यह मात्र अनुग्रह ही नही सत्य भी हैं प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में एक के बाद एक अनुग्रह और न्याय का दृश्य देखते हैं|
यहां हम देखते है कि किस प्रकार से परमेश्वर के वचन की सेवकाई कैसे सही रीति से करें हमे पहले परमेश्वर से वचन लेना, खाना और पचाना है तभी परमेश्वर हमें दूसरों के भविष्य के विषय में बताएगां ।

जब हम परमेश्वर को पाते है तो यह बहुत ही आसान होता है कि उसमें का मधुर भाग अनुग्रह ले लें हम उसे हमेशा के लिए अपने मुंह में रख सकते है, बिना परमेश्वर की अनुमति लिये कि वह हमारे अंदरूनी भाग तक पहुंचें हम उस आखरी भाग का आनन्द नहीं ले पाते क्योंकि हमने जो पाप किए है उनका न्याय करने में हम लगे रहते हैं जबकि न्याय हममें ही शुरू होना है (1 पतरस 4:17)|
बहुत से मसीही वचन को चुईंगम की तरह चबाते हैं वे इस लिए चबाते है क्योंकि वह मिठा है और बाद में उसे बाहर उगल देते हैं वह उनके हृदय में पाचन नही होतां वे परमेश्वर के वचन को गंभिरता से नहीं लेते कि खुद ही उनका न्याय करें|
परमेश्वर हमे बहुत से कड़वे अनुभवों में से लेकर जाता है ताकि जो वचन हमने सुने वे पाचन हो सकें परन्तु उन सारे कडुए अनुभवों से हम परमेश्वर की सुरक्षा का भी अनुभव करते है (2 कुरिन्थियों 1:4) और तभी हमारे पीढ़ी में हम भविष्यवाणी की सेवकाई कर पाएंगें|

जब यूहन्ना परमेश्वर के वचन का पाचन कर चुका तब परमेश्वर ने यूहन्ना से कहा 'अब तुझे भविष्यद्वाणी करना हैं जो परमेश्वर ने उससे पूर्व में कहा था इससे तुलना करो और जो सुना है वह मत लिखों हमे यह मालूम होना चाहिये कि दूसरों से क्या बाटना चाहिए और क्या नहीं|
एक बार पौलुस तिसरे स्वर्ग पर उठा लिया गया था परन्तु 14 वर्षों में उसने उस विषय में किसी को नहीं बताया और जब बताया भी तो उसने कहा मैने ऐसी बाते सुनी जो अकथनीय और मुंह पर लाना मनुष्य को उचित नही (2 कुरिन्थियों 12:4)|
यूहन्ना साफ रीति से समझ गया कि परमेश्वर उससे क्या कहना चाह रहा है और दूसरों से क्या कहना चाह रहा हैं|

प्रभु यीशु मसीह आप सभी को इस वचन के द्वारा आशीष देवे