Wednesday, 25 July 2018

The Lord Jesus said something about your church | आपके चर्च के बारे में प्रभु यीशु ने कुछ कहा है। The Lord Jesus said something about your church.

"आपके चर्च के बारे में"
प्रभु यीशु ने कुछ कहा है।

प्रभु यीशु के स्वर्ग जाने के बाद 'चर्च युग' चालू होता है।
इसके पहले, हमारे व्यक्तिगत जीवन, मुक्ति और गवाही के बारे में तो उसने धरती पर रहते हुए हमें सब बता ही दिया था।

तो चर्च के बारे में वो हमसे बाइबिल की आखिरी किताब प्रकाशितवाक्य में क्या कहता है ?
सुनिए
सात चर्च हैं ? 

सब अलग अलग स्वरूप के कुछ समानता कुछ विभिन्नता
(इफिसुस, स्मुरना, पिर्गमुन, थुआतीरा, सरदीस, फिल्दिल्फिया, लौदीकिया)

ये सात चर्च 'हर युग' में मौजूद रहते हैं

"और इसमें से एक चर्च आपका है"

सातों चर्च से प्रभु ने 'एक ही जैसी' (common) बात क्या कही ?

1. यदि कान हैं तो सुन लो, सातों से कहा ( याने - मेरे कहे को पूरा करो )
2. जय पाना होगा, सातों से कहा  (किस पर?  हमारे झूठ, लालच, घमंड, स्वार्थ, धन , और शैतान की परीक्षाओं पर)
3. सातों चर्च में से एक से भी उसने सांसारिक आशीषों का न वादा किया' न ज़िक्र किया 
(तो आज आपका चर्च किन सांसारिक आशीषों की मांग कर रहा है ?)

नीचे reference दिए हैं 

* कान हैं ?
प्रका.2:7/2:11/2:17/2:29/3:6/3:13/3:22 (सातों से)

* जय पाना होगा ? 
प्रका..2:7/2:11/2:17/2:26/3:5/3:12/3:21(सातों से)

* सांसारिक आशीषें देना का वादा नहीं किया ?
प्रका.. 2:7/2:11/2:17/2:28/3:5/3:12/3:21
(सातों से)

आज सवाल है,
आप का चर्च कौन सा है ? 
कान हैं ? जयवंत है ?
सांसारिक आशीषों के पीछे तो नहीं पड़ा ?
*धर्म का मार्ग*


हल पर हाथ रखने का निर्णय लेना आसान है, परन्तु अंत तक हल पर हाथ रखे रहना मुश्किल है| इंसान धर्म की कठिन राह पर चल तो पड़ता है, परन्तु मंज़िल तक पहुंचना सबके बस की बात नहीं| सच्चाई के रास्ते पर चलकर दुःख उठाना, दौलत कमाने की अंधी दौड़ में पीछे रह जाना,  क्या अब भी तू अपने खराई पर बना है, जैसे प्रश्नों का सामना करना इंसान को निराश करता है| अहम् पद पर पहुंच कर ईमानदारी का दामन थामे रहना, इस ज़माने में बेबकूफ़ी समझी जाती है| दुखों की मझधार में अपने भी किनारा करने लगते हैं| लोग सवाल पूछते हैं, ईमानदारी का हासिल क्या है? जब आप ख़यालों के दोराहे पर आकर ठिठक कर रुक जाते हैं| तब संसार और शैतान कहते हैं, हमारा दरवाज़ा अब भी खुला है| दूसरी तरफ आपके हाथ में आपका हल है| फ़ैसले की घड़ी हर एक की ज़िन्दगी में आती है| एक तरफ दौलत, शौहरत और दिमागी सुकून है तो दूसरे तरफ तंगहाली, चिंता और परेशानी है| आप किसके साथ जीना चाहते हैं| कभी ना कभी हल पर से हाथ हटाने का ख़याल दिमाग़ में मचलने लगता है |यही वो लम्हा है, जहां उफनते सैलाब में आपको लंगर डालने की ज़रूरत होती है| अय्यूब 17:9 में लिखा है--तौभी धर्मी लोग अपना मार्ग पकड़े रहेंगे; और शुद्ध काम करने वाले सामर्थ पर सामर्थ पाते जायेंगे| धर्म की राह को हर हाल में पकड़े रहना आपकी ज़िन्दगी का मकसद है| ईमानदारी की रोटी में जो सुकून है, वो बेईमानी के लज़ीज़ खाने में नहीं| ईमानदारी की रोटी पर आप पूरी ईमानदारी से दुआ मांग सकते हैं| उस दुआ में आपका विवेक आपको कचोटेगा नहीं है|



जो हम को जीवित रखता है; और हमारे पांव को टलने नहीं देता।
66:9 Which holdeth our soul in life, and suffereth not our feet to be moved.
66:10 क्योंकि हे परमेश्वर तू ने हम को जांचा; तू ने हमें चान्दी की नाईं ताया था।
66:10 For thou, O God, hast proved us: thou hast tried us, as silver is tried.
66:11 तू ने हम को जाल में फंसाया; और हमारी कटि पर भारी बोझ बान्धा था;
66:11 Thou broughtest us into the net; thou laidst affliction upon our loins.
66:12 तू ने घुड़चढ़ों को हमारे सिरों के ऊपर से चलाया, हम आग और जल से होकर गए; परन्तु तू ने हम को उबार के सुख से भर दिया है॥
66:12 Thou hast caused men to ride over our heads; we went through fire and through water: but thou broughtest us out into a wealthy place.
66:13 मैं होमबलि लेकर तेरे भवन में आऊंगा मैं उन मन्नतों को तेरे लिये पूरी करूंगा,
66:13 I will go into thy house with burnt offerings: I will pay thee my vows,
66:14 जो मैं ने मुंह खोलकर मानीं, और संकट के समय कही थीं।
66:14 Which my lips have uttered, and my mouth hath spoken, when I was in trouble.
66:15 मैं तुझे मोटे पशुओं के होमबलि, मेंढ़ों की चर्बी के धूप समेत चढ़ऊंगा; मैं बकरों समेत बैल चढ़ाऊंगा॥
66:15 I will offer unto thee burnt sacrifices of fatlings, with the incense of rams; I will offer bullocks with goats. Selah.
66:16 हे परमेश्वर के सब डरवैयों आकर सुनो, मैं बताऊंगा कि उसने मेरे लिये क्या क्या किया है।
66:16 Come and hear, all ye that fear God, and I will declare what he hath done for my soul.
66:17 मैं ने उसको पुकारा, और उसी का गुणानुवाद मुझ से हुआ।
66:17 I cried unto him with my mouth, and he was extolled with my tongue.
66:18 यदि मैं मन में अनर्थ बात सोचता तो प्रभु मेरी न सुनता।