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Saturday, 22 November 2025

भजन संहिता 1 अध्ययन हिंदी में | Psalm 1 Explained in Hindi | धन्य व्यक्ति का मार्ग

 

भजन संहिता 1 पूरा अध्ययन हिंदी में | Psalm 1 Study in Hindi

भजन संहिता 1 एक ज्ञान-भजन है जिसे सामान्यतः दाऊद द्वारा लिखा गया माना जाता है। इस अध्याय में दो मार्ग दिखाए गए हैं—धर्मी का मार्ग और दुष्ट का मार्ग। यह भजन हमें सिखाता है कि परमेश्वर के वचन पर चलने वाला जीवन फलदार, स्थिर और आशीषित होता है।

भजन संहिता 1 – पृष्ठभूमि

यह अध्याय उस समय लिखा गया जब दाऊद लोगों को यह बताना चाहता था कि परमेश्वर के वचन में आनंद लेने वाला व्यक्ति ही सच्चे जीवन का आनंद पाता है। भजन 1 पूरे भजन संहिता की दिशा तय करता है और दो मार्गों की तुलना करता है:
✔ धर्मियों का मार्ग — उन्नति, स्थिरता
✔ दुष्टों का मार्ग — अस्थिरता और नाश

भजन संहिता 1 — पद दर पद अध्ययन

1:1

क्या ही धन्य है वह पुरूष जो दुष्टों की युक्ति पर नहीं चलता, और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; और न ठट्ठा करने वालों की मण्डली में बैठता है!

अनुवाद: धन्य वह मनुष्य है जो बुरे लोगों की सलाह नहीं मानता, पापियों के मार्ग पर नहीं रुकता और ठट्ठा करने वालों की संगति में नहीं बैठता।

व्याख्या:
– आशीषित जीवन बुराई से दूरी बनाने से शुरू होता है।
– चलना, खड़ा होना और बैठना — यह पाप में धीरे-धीरे फँसने के 3 स्तर हैं।
– धर्मी अपनी संगति सोच-समझकर चुनता है क्योंकि संगति जीवन की दिशा बदल देती है।

1:2

परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; और उसकी व्यवस्था पर रात दिन ध्यान करता रहता है।

अनुवाद: वह परमेश्वर के वचन से आनंद लेता है और दिन-रात उसी पर मनन करता है।

व्याख्या:
– धर्मी का आनंद संसार में नहीं, वचन में होता है।
– रात-दिन ध्यान का अर्थ है कि वचन उसके मन में लगातार सक्रिय रहता है।
– वचन के कारण उसके निर्णय, स्वभाव और जीवन में परमेश्वर का चरित्र झलकने लगता है।

1:3

वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती नालियों के किनारे लगाया गया है। और अपनी ऋतु में फलता है, और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। इसलिये जो कुछ वह पुरूष करे वह सफल होता है॥

अनुवाद: वह नहरों के पास लगे हरे-भरे वृक्ष जैसा है; सही समय पर फल देता है और उसके पत्ते नहीं सूखते। वह जो भी करता है उसमें सफलता पाता है।

व्याख्या:
– वचन उसकी जड़ों को मजबूत रखता है, जैसे पानी वृक्ष को पोषण देता है।
– वह अपने समय में फलता है — परमेश्वर सही समय पर उसके लिए मार्ग खोलता है।
– सफलता उसके प्रयास से नहीं, परमेश्वर की कृपा से आती है।

1:4

दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है।

अनुवाद: दुष्ट भूसे की तरह होते हैं जिसे हवा जहाँ चाहे उड़ा देती है।

व्याख्या:
– भूसा हल्का, अस्थिर और बेकार होता है — यही दुष्टों का जीवन है।
– उनमें स्थिरता का कोई आधार नहीं होता।
– उनका दिखावा थोड़ी-सी हवा से उड़ जाता है।

1:5

इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे;

अनुवाद: न्याय के दिन दुष्ट टिक नहीं पाएंगे और पापी धर्मियों की संगति में स्थिर नहीं रह सकेंगे।

व्याख्या:
– परमेश्वर का न्याय किसी को पक्षपात नहीं देता।
– धर्मियों की मण्डली में स्थान चरित्र और विश्वास के कारण मिलता है।
– दुष्ट अपनी चालों के कारण स्थिर नहीं रह पाते।

1:6

क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा॥

अनुवाद: यहोवा धर्मियों के मार्ग की देखभाल करता है, पर दुष्टों का मार्ग नाश की ओर जाता है।

व्याख्या:
– यहोवा जानता है = वह मार्गदर्शन, सुरक्षा और देखभाल करता है।
– धर्मी सुरक्षित है क्योंकि परमेश्वर उसके साथ है।
– दुष्टों का अंत हमेशा नाश, बिखराव और हानि में होता है।

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